मंसूरचक प्रखंड गंभीर जल संकट का सामना कर रहा है। कभी बलान नदी के कारण पानी से समृद्ध माना जाने वाला यह क्षेत्र अब मृतप्राय स्थिति में पहुंच गया है, क्योंकि बलान नदी सूखने के कगार पर है। गर्मी ने बढ़ाई मुसीबत गर्मी बढ़ने के साथ ही मंसूरचक में स्थिति और बिगड़ जाती है। कुएं और तालाब पूरी तरह सूख चुके हैं। पानी की आपूर्ति के लिए स्थापित सौर ऊर्जा संचालित जल मीनारें भी अब काम नहीं कर रही हैं। भूजल स्तर में लगातार गिरावट के कारण घरों में लगे पंपों से भी पानी निकलना कम हो गया है। पानी के लिए त्राहिमाम इस गंभीर जल संकट से स्थानीय लोगों की परेशानी लगातार बढ़ रही है। उन्हें पीने के पानी के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। जानवरों को भी पानी की एक बूंद नहीं मिल पा रही है, जिससे उनकी जान पर बन आई है। योजनाएं हुईं निष्क्रिय मंसूरचक के समसा, साठा, समसा दो और मंसूरचक जैसे क्षेत्रों में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर कई योजनाएं शुरू की गई थीं। स्थानीय लोगों का कहना है कि इन योजनाओं से पानी की आपूर्ति शुरू तो हुई थी, लेकिन आज वे पूरी तरह से निष्क्रिय हो चुकी हैं।
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