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भास्कर के सवाल पर भड़के शिक्षा मंत्री:सुनील कुमार बोले- जनवरी के बाद TRE-4 होगी, लाइब्रेरियन को अभी इंतजार करना होगा

बिहार में अब शिक्षक नियुक्ति परीक्षा (TRE-4) नए साल में जनवरी के बाद होगी। 25 हजार शिक्षकों की भर्ती होगी। अभी तक मात्र आधे जिले का रोस्टर क्लियरेंस हुआ है। आधे का बाकी है। दैनिक भास्कर से एक्सक्लूसिव बातचीत में शिक्षा मंत्री सुनील कुमार ने कहा कि STET का रिजल्ट आना बाकी है। ये दोनों प्रक्रिया पूरी होने के बाद TRE-4 के तहत भर्ती शुरू होगी। लाइब्रेरियन को नियुक्ति के लिए इंतजार करना होगा। हमने बच्चों की पढ़ाई और स्कूलों में शौचालय की कमी पर सवाल किए तो वह भड़क गए। पढ़िए और देखिए शिक्षा मंत्री सुनील कुमार का एक्सक्लूसिव इंटरव्यू… क्यों भड़के शिक्षा मंत्री? बातचीत के दौरान हमने शिक्षा मंत्री से पूछा कि असर की एक रिपोर्ट के मुताबिक अभी भी बिहार में कक्षा 5 के लगभग 55.2% छात्र दूसरी कक्षा के हिन्दी की किताबें नहीं पढ़ पाते हैं। तीसरी क्लास के 37.5% छात्र ही घटाव के प्रश्न हल कर सकते हैं। 7% स्कूलों में अभी तक रसोई सुविधा नहीं हो पाई है। 17% स्कूलों में अभी शौचालय नहीं है। इतना सुनते ही शिक्षा मंत्री भड़क गए। उन्होंने इसके आगे किसी सवाल का जवाब देने से साफ मना कर दिया। अब पढ़िए शिक्षा मंत्री से खास बातचीत… सवाल- TRE-4 कब तक शुरू होगा? इसमें कितने शिक्षकों की नियुक्ति होगी? जवाब- देश का ऐसा कोई राज्य नहीं है, जहां 2.70 लाख शिक्षकों की नियुक्ति 2 साल में हुई हो। आज तक शिक्षकों की नियुक्ति और तबादलों पर कोई सवाल नहीं उठा है। ये प्राइवेट स्कूल के टीचर की नियुक्ति नहीं है। इसमें रोस्टर क्लियर करना होता है। इलेक्शन के कारण इसमें देरी हुई है। रोस्टर क्लियरेंस आधे जिलों का आ चुका है। आधे का आना बाकी है। रोस्टर क्लियरेंस जिले से आने के बाद सामान्य प्रशासन विभाग भी इस पर काम करता है ताकि आरक्षण बरकरार रहे। इसके साथ ही बिहार बोर्ड की तरफ से STET की परीक्षा भी ली गई है, इसका रिजल्ट आना बाकी है। इस बार 25 हजार के आसपास रिक्ति आने की संभावना है। किस सब्जेक्ट में क्या जरूरत है। ये देखना पड़ेगा, सबकुछ व्यवस्थित किया जाएगा। हम अभ्यर्थियों को भरोसा दिलाते हैं कि जनवरी के बाद टीआरई की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। सवाल- शिक्षक के साथ लाइब्रेरियन की नियुक्ति की भी मांग हो रही है, ये कब तक होने की संभावना है? जवाब- लाइब्रेरियन की नियुक्ति भी होगी। TRE की प्रक्रिया पूरी होने के बाद दिव्यांग बच्चों के लिए स्पेशल टीचर्स की नियुक्ति की जाएगी। इसके लिए एक एलिजिब्लिटी टेस्ट लिया जाएगा। इसके बाद लाइब्रेरियन की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू करेंगे। सवाल- स्कूल में बेहतर पढ़ाई के लिए क्या-क्या बदलाव कर रहे हैं? जवाब- आने वाले 5 सालों में शिक्षा में गुणात्मक विकास कैसे लाया जाए? छात्रों को नौकरी-रोजगार कैसे मिले? डिजिटल प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कैसे बढ़ाया जा सके? इसके लिए हम रोडमैप पर काम कर रहे हैं। हर पंचायत में एक मॉडल स्कूल बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। क्वालिटी ऑफ एजुकेशन पर विशेष ध्यान दे रहे हैं। कस्तूरबा गांधी स्कूल में पढ़ाने के लिए फिजिक्स वाला जैसी संस्थान के साथ करार किया गया है। साउथ की एक संस्था ने पटना की 30 बच्चियों की जिम्मेदारी ली है। बच्चियां सरकारी स्कूल में पढ़ेंगी, उनकी जिम्मेदारी यह संस्था लेंगे। CSR पर इसी दिशा में फोकस किया जा रहा है। सरकार के प्रयास में कोई कमी नहीं है। सवाल- यूपी का रोमियो स्क्वाड मॉडल बिहार के लिए कितना मुनासिब है? जवाब- हमलोगों ने कोई स्क्वाड का नाम नहीं दिया है, लेकिन जिला से लेकर राज्य स्तर तक मॉनिटरिंग की जा रही है। शिक्षक और छात्र समय पर आ रहे हैं या नहीं, यह जानने के लिए स्कूलों में 98% टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया है। जहां गलतियां मिलती हैं, कार्रवाई की जा रहा है। DEO, RDDE जैसे ऑफिसर गलत करते हैं तो विजिलेंस कार्रवाई कर रही है। जो गड़बड़ी करेंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई होगी। ई-शिक्षा पोर्टल पर बच्चों के माता-पिता शिकायत और सुझाव दे सकते हैं। इसकी रोज समीक्षा की जाती है। अभी कई स्कूलों में बाउंड्री वॉल तैयार नहीं किया गया है। उस पर भी नजर रखी जा रही है। सुधार कर रहे हैं, जरूरी होता है तो कड़ी कार्रवाई भी करते हैं। सवाल- ‘असर’ की रिपोर्ट के मुताबिक अभी भी 20% बच्चे स्कूल से दूर हैं, इन्फ्रास्ट्रक्चर की भी किल्लत है? जवाब- असर को ये भी देखना चाहिए कि 2005 से पहले की स्थिति क्या थी। ड्रॉप आउट का आंकड़ा गलत है। शिक्षकों की नियुक्ति से फायदा हुआ है। बहुत सुधार हुआ है। मिड डे मील सभी जगह मिल रहा है। डिजिटल प्लेटफॉर्म पर काम शुरू हो गया है। 90 MOU (मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग) अलग-अलग एनजीओ के साथ किए गए हैं। महिलाओं का साक्षरता दर बढ़कर 76% से ज्यादा हो गया है। शिक्षा के माध्यम से महिलाओं का सशक्तिकरण हुआ है। हमारे पास बहुत सारी चुनौतियां हैं। 2005 से पहले जहां 1 लाख शिक्षक थे, आज 5.60 लाख से ज्यादा हैं। 78 हजार से ज्यादा स्कूल और 15 यूनिवर्सिटी हैं। हमलोग 1.9 करोड़ छात्र-छात्राओं को मिड डे मील देते हैं। ड्रॉप आउट कम कर एडमिशन बढ़ाया गया है। सवाल- क्या अलग हायर एजुकेशन डिपार्टमेंट की जरूरत थी, इसकी घोषणा में देर हुई? जवाब- अभी कैबिनेट का फैसला हो जाने दीजिए, इसके बाद इस पर कुछ बोलना सही रहेगा। समय की मांग होती है। समय-समय पर इसमें बदलाव किया जा रहा है। वक्त की मांग है कि हायर एजुकेशन पर फोकस करना है। सवाल- सरकार का फोकस नौकरी और रोजगार पर है, इसमें आप अपनी क्या भूमिका देख रहे हैं? जवाब- हमने 2.70 लाख से ज्यादा टीचर, हेड टीचर की नियुक्ति की है। 2.5 लाख से ज्यादा शिक्षक पंचायती राज व्यवस्था से आए थे, उन्हें एक मामूली परीक्षा लेकर विशेष शिक्षक बनाए हैं। आने वाले दिनों में टीआरई-4 में नियुक्ति करेंगे। 25 हजार से ज्यादा शिक्षक की नियुक्ति होगी। यूनिवर्सिटी, पॉलिटेक्निक और आईटीआई स्किल बेस्ड शिक्षा को बढ़ा रहे हैं। ये भी रोजगार दे रहे हैं। स्वरोजगार और रोजगार दे सकें, इस पर काम कर रहे हैं। शिक्षकों को अच्छी ट्रेनिंग मिले, इसके लिए हर जिले में टीचर ट्रेनिंग कॉलेज खोले हैं। सवाल- क्या शिक्षा विभाग में भी AI की भूमिका बढ़ेगी? जवाब- AI से कोई भी सेक्टर अछूता नहीं रह सकता। इसे नजरअंदाज नहीं कर सकते। भविष्य में इसे निचले स्तर तक लागू करना होगा। हर स्कूल में कैसे आईसीटी लैब हों, इस पर हमारा फोकस है। स्किल डेवलपमेंट पर हमारा फोकस है ताकि छात्रों को रोजगार के अच्छे मौके मिलें। सवाल- शिक्षकों को चुनाव में लगाने से पढ़ाई प्रभावित होती है, क्या इसका कोई विकल्प है? जवाब- चुनाव संवैधानिक व्यवस्था है। चुनाव आयोग के पास इतने लोग नहीं हैं कि सभी काम करा सके। इसलिए हर राज्य में शिक्षकों को सहयोग करना पड़ता है। अब शिक्षक लौट आए हैं। समय पर परीक्षा होगी और रिजल्ट आएगा। सवाल- स्कूलों में पुलिस कैंप बना दिया जाता है, पढ़ाई प्रभावित होती है? जवाब- स्कूल में कैंप अमूमन नहीं बनाए जाते। केवल चुनाव के दौरान बनाए जाते हैं। इसके अलावा बिहार में परमिशन नहीं है कि कोई कैंप बनाया जा सके। इन्फ्रास्ट्रक्चर को लेकर चैलेंजेज हैं। 78 हजार स्कूल हैं। कुछ जगहों पर बिल्डिंग नहीं है। इनपर भी तेजी से काम हो रहा है। आने वाले समय में जो भी गैप होंगे उसे बेहतर किया जाएगा। 78 हजार स्कूलों में 1.76 करोड़ बच्चों को शिक्षा देते हैं। कई देशों की इतनी आबादी नहीं है। 1.9 करोड़ बच्चों को हम रोज मिड डे मील खिलाते हैं। यूरोप के कई देशों की इतनी आबादी भी नहीं है।


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