लेह हिंसा की जांच कर रहे ज्यूडिशियल जांच कमीशन ने लेह एपेक्स बॉडी (LAB) के औपचारिक अनुरोध के बाद बयान दर्ज करने और सबूत जमा करने की समय सीमा 10 दिन बढ़ा दी है। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज बीएस चौहान की अध्यक्षता वाले तीन सदस्यों वाले कमीशन को 17 अक्टूबर को गृह मंत्रालय ने यह पता लगाने के लिए नोटिफाई किया था कि 24 सितंबर को लेह में हिंसा वजह क्या थी। शुक्रवार को जारी एक आदेश के अनुसार, आयोग को 27 नवंबर को LAB के को-चेयरमैन से एक लिखित अनुरोध मिला, जिसमें अतिरिक्त समय मांगा गया था, यह कहते हुए कि “बहुत से लोग अभी भी आयोग के सामने अपने बयान देना और सबूत जमा करना चाहते हैं।” केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची का दर्जा देने की मांग कर रहे प्रदर्शनकारियों और सुरक्षा बलों के बीच झड़प में चार आम लोगों की मौत हो गई और 90 लोग घायल हो गए, जिससे महीनों से चल रहा आंदोलन और बढ़ गया। आज की अन्य बड़ी खबरें… इंडिया गेट प्रोटेस्ट केस: कोर्ट ने 2 आरोपियों को 1 दिन की पुलिस कस्टडी और 13 को ज्यूडिशियल कस्टडी में भेजा दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने शुक्रवार को वागीशा और आयशा की एक दिन की कस्टडी पुलिस को दे दी। बाकी 13 आरोपियों को सात दिन की ज्यूडिशियल कस्टडी में भेज दिया गया। उन्हें माओवादी माडवी हिडमा के सपोर्ट में प्रोटेस्ट और नारे लगाने के सिलसिले में कर्तव्य पथ पुलिस स्टेशन में दर्ज FIR से जुड़े मामले में गिरफ्तार किया गया था। ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास (JMFC) अरिदमन सिंह चीमा ने सात आरोपियों की रिहाई की अर्जी भी खारिज कर दी और गिरफ्तारी को कानूनी माना।
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