भारत ने मंगलवार को बंगाल की खाड़ी में न्यूक्लियर पावर्ड सबमरीन INS अरिघाट से 3,500 किलोमीटर रेंज वाली K-4 बैलिस्टिक मिसाइल का सफल परीक्षण किया। लॉन्च विशाखापट्टनम तट के पास किया गया। यह टेस्ट समुद्र के अंदर से मिसाइल दागने की भारत की क्षमता को मजबूत करने की दिशा में अहम कदम माना जा रहा है। K-4 मिसाइल को इस तरह डिजाइन किया गया है कि इसे सबमरीन से लॉन्च कर दूर स्थित टारगेट्स पर हमला किया जा सके। इस परीक्षण के साथ भारत की समुद्र आधारित परमाणु प्रतिरोध क्षमता को और मजबूती मिली है। भारत अब जमीन, हवा और समुद्र—तीनों माध्यमों से परमाणु हथियार लॉन्च करने की क्षमता रखता है। ये मिसाइल 2 टन तक न्यूक्लियर वॉरहेड ले जाने में सक्षम है। वहीं, K-सीरीज की मिसाइलों में “K” अक्षर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के सम्मान में रखा गया है, जिनकी भारत के मिसाइल कार्यक्रम में अहम भूमिका रही है। मिसाइल की तकनीक और खासियत K-4 मिसाइल, जमीन से लॉन्च होने वाली अग्नि-सीरीज पर आधारित एक एडवांस सिस्टम मिसाइल है, जिसे पनडुब्बी से लॉन्च के लिए बनाया गया है। लॉन्च के समय मिसाइल पहले समुद्र की सतह से बाहर आती है, इसके बाद उड़ान भरते हुए लक्ष्य की ओर बढ़ती है। यह मिसाइल न्यूक्लियर वारहेड ले जाने में सक्षम है और अरिहंत-क्लास की पनडुब्बियों से दागी जा सकती है। न्यूक्लियर ट्रायड का अहम हिस्सा K-4 को भारत की न्यूक्लियर ट्रायड का एक महत्वपूर्ण स्तंभ माना जाता है। इससे भारत की ‘डिटेरेंस’ क्षमता मजबूत होती है, यानी संभावित दुश्मन पर यह मनोवैज्ञानिक दबाव बनता है कि किसी भी हमले का जवाब दिया जा सकता है। 23 दिसंबर: भारत ने आकाश नेक्स्ट जेनरेशन मिसाइल डिफेंस सिस्टम का सफल टेस्ट किया था भारतीय सेना ने 23 दिसंबर को आकाश मिसाइल डिफेंस सिस्टम के एडवांस्ड वर्जन आकाश नेक्स्ट जेनरेशन (आकाश-NG) का ओडिशा के चांदीपुर इंटीग्रेटेड टेस्ट रेंज में सफल ट्रायल किया था। DRDO के मुताबिक, ट्रायल के दौरान आकाश-NG ने अलग-अलग दूरी और ऊंचाई पर मौजूद हवाई लक्ष्यों को सटीक तरीके से नष्ट किया। इसमें सीमा के पास कम ऊंचाई पर उड़ने वाले और लंबी दूरी पर ज्यादा ऊंचाई वाले लक्ष्य भी शामिल थे। पूरी खबर पढ़ें… 24 सितंबर: भारत में पहली बार ट्रेन से अग्नि-प्राइम मिसाइल का टेस्ट भारत ने 24 सितंबर की देर रातरेल पर बने मोबाइल लॉन्चर सिस्टम के जरिए अग्नि-प्राइम मिसाइल की टेस्टिंग की थी। यह कैनिस्टराइज्ड लॉन्चिंग सिस्टम से लॉन्च की गई। इसके लिए ट्रेन को विशेष रूप से डिजाइन किया गया। यह ट्रेन देश के हर उस कोने तक जा सकती है, जहां रेल लाइन मौजूद है। पूरी खबर पढ़ें… ———- ये खबर भी पढ़ें…
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