भारतीय सेना की वो नई नवेली ब्रिगेड, जिसने 4 महीने में ही दिखा दी अपनी ताकत
भारतीय सेना की नई रुद्र ब्रिगेड ने उत्तर सिक्किम के ऊंचे और कठिन पहाड़ी इलाकों में अपनी बेहतरीन तैयारी और ताकत दिखाते हुए शानदार प्रदर्शन किया है. यह ब्रिगेड पूर्वी कमान के तहत बनाई गई है और इसमें सेना की अलग-अलग इकाइयां मिलकर काम करती हैं. इसका मकसद ऊंचाई वाले इलाकों में किसी भी चुनौती का तेजी और तालमेल के साथ मुकाबला करना है. रुद्र ब्रिगेड की यह सफलता दिखाती है कि भारतीय सेना लगातार और आधुनिक व मजबूत होती जा रही है.
रुद्र ब्रिगेड भारतीय सेना की एक नई और खास टुकड़ी है. इसमें सिर्फ पैदल सेना ही नहीं, बल्कि टैंक, तोपखाना, ड्रोन और स्पेशल फोर्स जैसी कई इकाइयां एक साथ काम करती हैं. इसे इस तरह बनाया गया है कि ये किसी भी मुश्किल या ऊंचे इलाके में तुरंत कार्रवाई कर सके.
ये कब बनी?
रुद्र ब्रिगेड की घोषणा 26 जुलाई 2025 को कारगिल विजय दिवस के मौके पर की गई थी. सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने बताया था कि इसकी मंजूरी एक दिन पहले, यानी 25 जुलाई 2025 को दी गई थी.
रुद्र ब्रिगेड बनाने के पीछे तीन बड़े कारण हैं:
- तेजी से कार्रवाई करने की क्षमता बढ़ाना — ताकि सीमा पर किसी भी खतरे या आपात स्थिति में सेना तुरंत जवाब दे सके.
- टीमवर्क और समन्वय बढ़ाना — अलग-अलग यूनिट्स को एक साथ काम करने के लिए तैयार करना, जिससे युद्ध के वक्त फैसले और कार्रवाई में देरी न हो.
- भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार रहना — आधुनिक तकनीक, ड्रोन और हाई-एल्टीट्यूड ऑपरेशन्स को ध्यान में रखकर सेना को और मजबूत बनाना.
क्या है विजय कारगिल दिवस?
सेना की बहादुरी को सलाम करने के लिए 26 जुलाई को हर साल कारगिल विजय दिवस मनाया जाता है. यह दिन कारगिल में शहीद हुए सैनिकों के शौर्य का प्रतीक है. दरअसल 1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच जम्मू-कश्मीर के कारगिल में युद्ध हुआ था, जिसका कारण था कि पाकिस्तान से कुछ घुसपैठियों ने हमारे देश में आकर किलेबंदी कर ली थी. भारतीय सेना ने उन घुसपैठियों को न सिर्फ मार गिराया बल्कि पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी भी दी थी कि अगर ऐसा दोबारा होता है तो इससे भी भयानक परिणाम भुगतने होंगे. इसलिए यह कारगिल युद्ध भारतीय सेना के शौर्य और साहस का प्रतीक बन गया.
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