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भाजपा नेता बोले-सजा भाई की, भुगत रहा मैं:भाजपा में मेरा नाम कागज से मिटा सकते है दिल से नहीं

“उमेश पाल हत्याकांड में मारे गए शूटर गुलाम हसन के बड़े भाई और भाजपा नेता राहिल हसन ने दो साल बाद अपना दर्द बयां किया है। उन्होंने कहा कि भाई के एनकाउंटर के बाद से लगातार सामाजिक और राजनीतिक प्रताड़ना झेल रहा हूं। जबकि मेरा कोई दोष नहीं था। मैं खुद उस वक्त भाजपा का जिला अध्यक्ष था और अपराध के खिलाफ हमेशा आवाज उठाई। भाई के शव तक को हमने स्वीकार नहीं किया, ताकि समाज को संदेश जाए कि अपराध का समर्थन नहीं।” राहिल ने कहा कि भाजपा में रहते हुए भी उन्हें आज तक अपनी बात रखने का मौका नहीं मिला। मैंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक को पत्र लिखा, लेकिन अब तक कोई जवाब नहीं मिला। राहिल ने कहा कि अगर निर्दोष होने के बावजूद उन्हें न्याय नहीं मिला तो यह समाज के लिए गलत संदेश होगा। सवाल-जवाब के क्रम में पढ़िए बातचीत… सवाल: आपके भाई गुलाम हसन एनकाउंटर में मारे गए। उमेश पाल हत्याकांड में उनका नाम था। उस घटना के बाद से आप लगातार विवादों में रहे, क्या कहना चाहेंगे?
जवाब: लगभग दो साल से अधिक हो चुके हैं, पर आज भी मैं प्रताड़ना झेल रहा हूं। भाई की गलती की सजा मुझे क्यों दी जा रही है? मैंने न तो अपराध में साथ दिया, न ही समर्थन किया। हमारी मां तक ने शव नहीं लिया। हमने समाज को संदेश देने की कोशिश की कि अपराध का कोई धर्म नहीं होता। सवाल: बावजूद इसके आपका घर बुलडोजर से ढहा दिया गया, फिर भी आप भाजपा में बने रहे—क्यों?
जवाब: क्योंकि मैं पार्टी की विचारधारा में भरोसा रखता हूं। 2014 में नरेंद्र मोदी जी के अभियान से प्रेरित होकर जुड़ा था। दूसरे दलों ने लालच दिया, लेकिन मैंने सच का साथ नहीं छोड़ा। सवाल: क्या आपको पार्टी नेतृत्व से कोई सुनवाई मिली?
जवाब: मैंने योगी जी, केशव मौर्य जी, और प्रधानमंत्री तक को पत्र लिखा, पर अब तक कोई जवाब नहीं। बस इतनी उम्मीद है कि मुझे अपनी बात कहने का मौका दिया जाए। सवाल: कई लोग कहते हैं कि भाजपा मुसलमानों को बराबरी से नहीं देखती—आप क्या सोचते हैं?
जवाब: ये गलत सोच है। भाजपा सबको भारतीय मानती है। लेकिन अगर एक निर्दोष मुस्लिम कार्यकर्ता को सुने बिना दोषी ठहरा दिया जाए, तो सवाल उठते हैं। मैं चाहता हूं कि मेरे साथ न्याय हो, ताकि समाज को सही संदेश मिले। सवाल: अगर आपको मौका मिला तो आप क्या कहना चाहेंगे?
जवाब: मैं भाजपा से दिल से जुड़ा हूं। मेरा नाम कागज से मिटा सकते हैं, लेकिन दिल से भारतीय जनता पार्टी नहीं मिटेगी। मैं चाहता हूं कि सच बोलने वालों को सुना जाए और निर्दोषों को न्याय मिले।


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