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भागवत बोले-भारत के लिए जीने का समय, मरने का नहीं:हर इंसान में देशभक्ति जरूरी; यहां ‘तेरे टुकड़े होंगे’ जैसी भाषा नहीं चलेगी

राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने शुक्रवार को कहा कि देश को हर चीज से ऊपर रखना चाहिए। यह भारत के लिए जीने का समय है, मरने का नहीं। देश में रहते हुए देशभक्ति दिखनी चाहिए। यहां ‘तुम्हारे टुकड़े-टुकड़े होंगे’ जैसी भाषा नहीं चलेगी। भागवत ने ये बातें अंडमान में दामोदर सावरकर के गीत ‘सागर प्राण तलमाला’ की 115वीं सालगिरह के मौके पर आयोजित एक प्रोग्राम में कहीं। आरएसएस चीफ ने कहा कि आज समाज में छोटी-छोटी बातों पर टकराव दिखाता है कि हम कैसा सोचते हैं। एक महान देश बनाने के लिए, हमें सावरकर के संदेश को याद करना होगा। भागवत ने आगे कहा कि सावरकर जी ने कभी नहीं कहा कि वह महाराष्ट्र से हैं या किसी खास जाति के हैं। उन्होंने हमेशा एक राष्ट्र की सोच सिखाई। हमें अपने देश को ऐसे सभी टकरावों से ऊपर रखना होगा। हमें यह मानना ​​होगा कि हम सब भारत हैं। भागवत का बयान, 2 बड़ी बातें… देश को लेकर भागवत के पिछले 2 बयान… 1 दिसंबर: भागवत बोले- अब देश को सही स्थान मिल रहा है राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि आज विश्व मंच पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बात ध्यान से सुनी जाती है और यह भारत की बढ़ती वैश्विक ताकत दिखाता है। भारत अब दुनिया में अपना उचित स्थान प्राप्त कर रहा है। भागवत सोमवार को पुणे में RSS के 100 वर्ष पूरे होने पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। इस दौरान उन्होंने सुझाव दिया कि संगठनों को केवल वर्षगांठों या शताब्दियों का इंतजार नहीं करना चाहिए, बल्कि निर्धारित समय में अपने कार्य पूरे करने पर ध्यान देना चाहिए। 18 नवंबर: भागवत बोले- भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करना जरूरी नहीं मोहन भागवत ने कहा- भारत और हिंदू एक ही हैं। भारत को हिंदू राष्ट्र घोषित करने की कोई जरूरत नहीं है। हमारी सभ्यता पहले से ही इसे जाहिर करती है। गुवाहाटी में एक कार्यक्रम के दौरान भागवत ने कहा कि जो भी भारत पर गर्व करता है, वह हिंदू है। हिंदू सिर्फ धार्मिक शब्द नहीं बल्कि एक सभ्यता गत पहचान है, जो हजारों साल की सांस्कृतिक परंपरा से जुड़ी है। —————————- ये खबर भी पढ़ें… मोहन भागवत बोले- पहले लोग संघ के काम पर हंसते थे: आज डंका बज रहा है मोहन भागवत ने कहा- पहले लोग संघ के काम पर हंसते थे। डॉ. हेडगेवार पर भी हंसते थे, कहते थे नाक साफ नहीं कर सकते। ऐसे बच्चों को लेकर यह राष्ट्र निर्माण करने चले हैं। इस तरह का उपहास होता था। विचार भी अमान्य था। लोग कहते थे हिंदू संगठन मेंढक तोलने जैसी बात है, हो नहीं सकता है। हिंदू को काहे जगा रहे हो, मृत जाति है। पूरी खबर पढ़ें…


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