भागलपुर के एसएम कॉलेज में बुधवार को अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के अवसर पर एक दिवसीय लेक्चर कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में टीएनबी कॉलेज के राजनीति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. मनोज कुमार मुख्य वक्ता रहे। उन्होंने अपने व्याख्यान में मानवाधिकारों की अवधारणा, इतिहास और समकालीन चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा की। उद्घाटन और स्वागत संबोधन कार्यक्रम का उद्घाटन एसएम कॉलेज की प्रधानाचार्य प्रो. निशा झा ने किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि भारत में मानवाधिकार की अवधारणा ‘वसुधैव कुटुंबकम’ और ‘सर्वे भवन्तु सुखिनाः’ जैसे मूल सिद्धांतों पर आधारित है। उन्होंने ऐसे आयोजनों की निरंतरता पर जोर देते हुए कहा कि इससे छात्राओं का बौद्धिक, कलात्मक और सृजनात्मक विकास होता है। राजनीति विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. अनुराधा प्रसाद ने अतिथियों का स्वागत किया, जबकि कार्यक्रम का संचालन सीनियर असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. दीपक कुमार दिनकर ने किया। मानवाधिकारों का पर्सपेक्टिव मुख्य वक्ता डॉ. मनोज कुमार ने मानवाधिकारों के ऐतिहासिक विकास पर प्रकाश डालते हुए इंग्लैंड के 1215 ई. के मैग्नाकार्टा को अधिकारों का महान घोषणा पत्र बताया। उन्होंने बंदी प्रत्यक्षीकरण अधिनियम, 1776 के अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम, 1789 की फ्रांस की राज्य क्रांति, 1917 की रूस की क्रांति, 10 दिसंबर 1948 की मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा पत्र और वियना कन्वेंशन जैसे ऐतिहासिक पड़ावों का उल्लेख किया। डॉ. मनोज ने मानवाधिकारों के वैश्विक और भारतीय परिप्रेक्ष्य पर चर्चा करते हुए कहा कि गरिमापूर्ण जीवन जीने का अधिकार ही मानवाधिकार का मूल है। उन्होंने मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर हो रहे हमलों की निंदा की और मानवाधिकारों की रक्षा के प्रति सजग रहने की आवश्यकता पर बल दिया। मानवाधिकारों के समक्ष चुनौतियां डॉ. मनोज कुमार ने मानवाधिकारों के समक्ष आज की प्रमुख चुनौतियों को रेखांकित किया। इनमें लैंगिक असमानता, आर्थिक असमानता, भेदभाव, गरीबी, भ्रष्टाचार, जलवायु परिवर्तन, हिंसा और संघर्ष, यातनाएं तथा उत्पीड़न शामिल हैं। उन्होंने इन चुनौतियों से निपटने के लिए जागरूकता और ठोस कदम उठाने की आवश्यकता पर जोर दिया। कार्यक्रम का उद्देश्य कार्यक्रम का उद्देश्य छात्राओं को मानवाधिकारों की अवधारणा और उनके महत्व से अवगत कराना था। इस अवसर पर छात्राओं को मानवाधिकारों की रक्षा और उनके प्रचार-प्रसार के लिए प्रेरित किया गया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्राएं और शिक्षक उपस्थित रहे। इस आयोजन ने मानवाधिकारों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और उनके संरक्षण के लिए प्रेरणा देने का कार्य किया।
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