भागलपुर के सन्हौला प्रखंड की सिलहन खजुरिया पंचायत में विकास कार्यों की हकीकत सरकारी दावों से बिल्कुल उलट दिख रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षी हर घर नल का जल योजना जहां पूरे राज्य में सफलता की बात करती है, वहीं पंचायत के बेलडीहा गांव, वार्ड संख्या–11 में यह योजना पिछले छह महीनों से पूरी तरह बंद पड़ी है। इससे ग्रामीणों को भारी परेशानी उठानी पड़ रही है। गांव की महिलाओं ने बताया कि योजना के बंद होने के बाद वे मजबूरी में बगल के निजी बोरिंग मालिक को हर महीने 100 से 150 रुपए देने को विवश हैं, तभी उन्हें पीने और इस्तेमाल के लिए पानी मिल पाता है। ग्रामीणों के अनुसार, इस योजना से शुरुआत में बड़ी उम्मीदें थीं, लेकिन विभागीय उदासीनता और मेंटेनेंस के अभाव में आठ महीने भी बीते नहीं कि योजना ठप हो गई। इससे करीब 50–60 घरों के लोग प्रभावित हैं। महिला बोली- छह महीने से नल में पानी नहीं आ रहा है गांव की महिला सोनाली देवी बताती हैं कि छह महीना से नल में पानी नहीं आ रहा है। रोज 100–150 रुपए देकर मजबूरी में निजी बोरिंग से पानी लेना पड़ता है। आखिर सरकार का पानी कहां गया? उधर, पंचायत में जलजमाव की समस्या भी गंभीर होती जा रही है। गांव में बने नाले की सफाई लंबे समय से नहीं हुई है। नतीजतन नाले का गंदा पानी सड़क पर बह रहा है, जिसकी वजह से बच्चों और बुजुर्गों का निकलना मुश्किल हो गया है। कई बच्चे रास्ते में फिसलकर गिर भी चुके हैं। ग्रामीण सुनील ने बताया कि नाला बनने के बाद आज तक उसकी नियमित सफाई नहीं हुई। बारिश के समय गंदगी और बढ़ जाती है। पंचायत प्रतिनिधियों से लेकर विभागीय पदाधिकारियों तक सभी को कई बार समस्या से अवगत कराया गया, लेकिन अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार कागज़ों पर विकास के दावे करती है, लेकिन जमीनी हकीकत बिल्कुल अलग है। पानी और सफाई जैसी बुनियादी सुविधाओं के अभाव में गांव के लोग हर दिन संघर्ष कर रहे हैं। ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है, ताकि बंद नल-जल योजना को पुनः चालू किया जा सके और नाले की नियमित सफाई सुनिश्चित हो।
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