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भाई बहन की मौत मामले में केस दर्ज:जांच में जुटी रेल पुलिस, पटना जंक्शन के पास अचेत पाए गए थे

जहर खाने से गोपालगंज निवासी भाई-बहन दिनेश राय (32) और गोल्डी (28) की मौत के मामले में फिलहाल घटना की वजह का खुलासा नहीं हो सका है। पीएमसीएच TOP के सामने मृतकों के पिता अवधेश राय ने अपना बयान दर्ज कराया है। इसमें उन्होंने बताया है कि दोनों बच्चे पिछले 20 वर्ष से संपर्क में नहीं थे। घटना की जानकारी उन्हें रेल पुलिस की ओर से दी गई। एक शख्स के माध्यम से उनके बेटे और बेटी को PMCH में रेल पुलिस के द्वारा एडमिट कराया गया था। इलाज के दौरान दोनों की मौत हो गई। उन्होंने आशंका जाहिर की है कि दोनों की मौत कीटनाशक खाने से हुई है। फिलहाल पिता के बयान के आधार पर पटना जंक्शन रेल पुलिस ने यूडी केस दर्ज किया है। उधर पीएमसीएच में मंगलवार को पोस्टमार्टम के बाद पिता और साथ आए परिजनों ने पटना में ही शवों का अंतिम संस्कार कर दिया गया। एक सीसीटीवी फुटेज सामने आया है। जिसमें दोनों भाई बहन पटना जंक्शन के समीप होटल गली में कुछ खाकर पानी पीते दिख रहे हैं। मूल रूप से गोपालगंज के बनकटा गांव निवासी भाई-बहन दिनेश राय (32) और गोल्डी ने रविवार की शाम अचेत अवस्था में पटना जंक्शन के समीप कोतवाली इलाके की गली में पाए गए थे। रेल पुलिस ने दोनों को उनके जानने वाले ऋतिक नाम के शख्स से इलाज के लिए पीएमसीएच में भर्ती कराया था। वहां इलाज के दौरान रविवार की आधी रात में दोनों की मौत हो गई थी। घटना की सूचना के बाद पिता और पड़ोसी सोमवार की दोपहर पीएमसीएच पहुंचे थे। लेकिन देर हो जाने के कारण शवों का मंगलवार को पोस्टमार्टम कराया गया।पीएमसीएच टीओपी इंचार्ज रोहित पासवान ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद यह पता चल सकेगा कि भाई-बहन ने कौन सा जहर खाया था और उनकी मौत किन परिस्थिति में हुई। पिता बोले- 20 साल पहले घर छोड़कर चले गए थे पिता अवधेश राय की गांव में करीब 10 कट्ठा जमीन है और उन्होंने कुछ मवेशी पाल रखे हैं। किसानी और दूध बेचकर उनका गुजारा चलता है। पिता ने पुलिस को बताया कि पत्नी जमीन बेचने को लेकर उनसे झगड़ा करती थी। ऐसा नहीं करने पर वह 20 वर्ष पहले दिनेश राय और गोल्डी के साथ घर छोड़कर चली गई थी। वह बच्चों के साथ गोपालगंज के चैनपुरा इलाके में अपनी बहन के घर पर रही थी। कुछ समय पहले पत्नी का भी देहांत हो गया। हालांकि पत्नी की देहांत की सूचना भी नहीं दी गई। वर्षों से बच्चों ने भी ना तो उनसे कोई बात की थी और ना ही पाटीदारों और ग्रामीणों के संपर्क में थे। इसी बीच उनके साथ क्या घटना घटी जिससे वे जहर खाकर जान देने को मजबूर हुए, इसकी जानकारी पिता और परिजनों को नहीं है।


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