भास्कर न्यूज | नवादा शहर के गांधी इंटर विद्यालय के विशाल मैदान में चल रहे 8 दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञानयज्ञ के पांचवें दिन शुक्रवार को भक्तों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। आरती एवं मंगलाचरण के पश्चात कथा व्यास स्वामी प्रभजनानंद शरण जी महाराज ने श्रीमद्भागवत महापुराण के विभिन्न प्रसंगों पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया। वातावरण में भक्ति, ज्ञान और आध्यात्म का अनोखा संगम देखने को मिला। स्वामी प्रभजनानंद शरण जी ने अपने प्रवचन में गजेंद्र मोक्ष प्रसंग का विशेष उल्लेख करते हुए कहा कि यह कथा हमें जीवन की परिस्थितियों को समझने का संदेश देती है। उन्होंने बताया कि गजेंद्र, जब संकट में फंसा था, तब उसने पूर्ण समर्पण भाव से भगवान को पुकारा। इसी समर्पण ने उसका उद्धार कराया। महाराज ने रोचक उदाहरण देते हुए कहा, कि भगवान ने जब मगर (ग्राहक) को वध कर गज की रक्षा की और उसे बाहर निकाला, तब गजेंद्र ने देखा कि भगवान के समक्ष ही कोई और भी भगवान की स्तुति कर रहा है। यह देख वह चकित हो उठा। उन्होंने आगे बताया कि गजेंद्र ने भगवान से प्रश्न किया हे प्रभु क्या आप दो हैं। आपके जैसा अन्य कौन। इस पर भगवान मुस्कुराकर बोले कि वे एक ही हैं, दूसरा कोई नहीं। जो उनके समान दिख रहा था, वह वही मगर है जिसने गजेंद्र को पकड़ रखा था। भगवान ने उसे मोक्ष प्रदान कर दिव्य रूप दिया था। इस रहस्य को सुनकर गजेंद्र की आंखों में आंसू आ गए और उसने कहा कि उसे तो उद्धार के लिए पुकारा गया था, किंतु भगवान ने उद्धार उस प्राणी का कर दिया जिसने कष्ट दिया। मोहिनी अवतार का भी वर्णन प्रस्तुत किया कथा के क्रम में महाराज ने भगवान के मोहिनी अवतार का भी विस्तृत वर्णन प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि समुद्र मंथन के समय जब देव-दानवों में अमृत को लेकर विवाद उत्पन्न हुआ, तब भगवान ने मोहिनी स्वरूप धारण कर देवताओं को अमृत प्रदान किया और विश्व व्यवस्था की रक्षा की। इस अवतार का उद्देश्य धर्म की पुनर्स्थापना और अधर्म का विनाश था। पांचवें दिन की कथा में भजन-कीर्तन, शंखनाद और जयकारों से पूरा मैदान भक्तिमय हो उठा। बड़ी संख्या में महिला-पुरुष श्रद्धालु कथा श्रवण के लिए उपस्थित रहे। आयोजकों ने बताया कि आगामी दिनों में नंदोत्सव, रासलीला और श्रीकृष्ण जन्मोत्सव जैसे प्रमुख प्रसंगों का वर्णन किया जाएगा। कथा के अंत में स्वामी प्रभजनानंद शरण जी ने सभी श्रद्धालुओं को धर्म, सदाचार और सत्य के मार्ग पर चलने का संदेश देते हुए बताया कि श्रीमद्भागवत केवल धर्मग्रंथ नहीं, बल्कि जीवन प्रबंधन की सर्वोत्तम पुस्तक है।आयोजकों ने श्रद्धालुओं से अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित होने की अपील की।
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