देश में किसी भी तरह से होने वाले ब्लैक आउट के दौरान भी सुचारू रूप से बिजली आपूर्ति करने और हरित ऊर्जा का सदुपयोग कर बढ़ावा देने के लिए एनटीपीसी बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम को अपना रहा है। देशभर के 20 थर्मल प्लांट में यह सिस्टम लगाया जाएगा, जिसकी तैयारी शुरू हो गई है। इसमें से तीन प्लांट बिहार में लगेगा और 1800 मेगावाट प्रति घंटा का सिस्टम लगाया जा रहा है। बिहार में सबसे बड़ा सिस्टम एनटीपीसी बरौनी में लगाया जा रहा है। जहां 1000 मेगावाट प्रति घंटा ऊर्जा स्टोरेज किया जाएगा, तो बाढ़ और नवीनगर प्लाट में 400-400 प्रति घंटा स्टोरेज होगा। बिहार के ऊर्जा क्षेत्र के लिए एक क्रांतिकारी कदम उठाते हुए एनटीपीसी ने बरौनी थर्मल पावर स्टेशन में 1000 मेगावाट-घंटे (MWh) क्षमता का बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS) विकसित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। बढ़ती ऊर्जा मांग पूरी होगी यह महत्वाकांक्षी परियोजना न केवल एनटीपीसी बरौनी की क्षमताओं को बढ़ाएगी। बल्कि बिहार राज्य की बढ़ती ऊर्जा मांगों को पूरा करने और नवीकरणीय ऊर्जा (Renewable Energy) के एकीकरण को मजबूत करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। यह सिस्टम लगभग 4 घंटे तक 250 मेगावाट बिजली उपलब्ध कराने में सक्षम होगा, जो राज्य के ऊर्जा ग्रिड को एक नई स्थिरता प्रदान करेगा। विद्युत ऊर्जा को रिचार्जेबल बैटरियों में संग्रहित करती यह बिहार के बिजली उपभोक्ताओं, उद्योगों और पर्यावरण प्रेमियों के लिए समान रूप से उत्साहजनक है, क्योंकि यह आधुनिक ऊर्जा प्रबंधन की ओर एक बड़ा कदम है। बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम (BESS) एक मॉडर्न तकनीक है, जो विद्युत ऊर्जा को रिचार्जेबल बैटरियों में संग्रहित करती है। जिससे जरूरत पड़ने पर इसका उपयोग किया जा सके। यह प्रणाली मूल रूप से एक बड़े पैमाने का बैटरी बैंक होती है, जिसे बिजली ग्रिड से जोड़ा जाता है। बैटरियों की सुरक्षा और दक्षता सुनिश्चित करती जब बिजली की मांग कम होती है, या रात के समय, सौर और पवन ऊर्जा का उत्पादन अधिक होता है। तो यह सिस्टम ग्रिड से या नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों से अतिरिक्त बिजली को अपनी बैटरियों में संग्रहित कर लेता है। यह विद्युत ऊर्जा को रासायनिक ऊर्जा के रूप में तब तक संग्रहित रखता है, जब तक इसकी आवश्यकता नहीं हो। यह पूरी प्रक्रिया बैटरी मैनेजमेंट सिस्टम (BMS) की ओर से नियंत्रित होती है, जो बैटरियों की सुरक्षा और दक्षता सुनिश्चित करता है। BESS की स्थापना से कई फायदे पीक आवर्स और शाम के समय जब बिजली की मांग अधिक होती है, नवीकरणीय ऊर्जा का उत्पादन कम हो जाएगा है। BESS संग्रहित ऊर्जा को वापस बिजली ग्रिड में जारी करगे। इसके लिए इन्वर्टर (Bi-directional Inverter) डायरेक्ट करंट (DC) को अल्टरनेटिंग करंट (AC) में बदल देगा। जिसे घरों और उद्योगों में उपयोग किया जा सकता है। एनटीपीसी बरौनी में 1000 MWh क्षमता के BESS की स्थापना से कई फायदे होंगे। BESS बिजली की आपूर्ति और मांग के बीच होने वाले तत्काल असंतुलन को तुरंत संतुलित कर सकता है। यह ग्रिड की Frequency को नियंत्रित करने में मदद करेगा। जिससे ब्लैकआउट जैसी स्थितियों की आशंका कम हो जाएगी। यह दिन में पीक आवर्स के दौरान ग्रिड पर पड़ने वाले अत्यधिक भार को कम कर देगा। ऑफ-पीक समय में ऊर्जा को स्टोर करके और पीक समय में जारी करके, यह महंगे पीकिंग पावर प्लांटों पर निर्भरता कम कर सकता है। महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को बिना रुके बिजली मिलेगी बिजली कटौती या ग्रिड की खराबी की स्थिति में यह एक विश्वसनीय बैकअप पावर स्रोत (पावर बैंक) के रूप में काम करेगा। जिससे आवश्यक सेवाओं और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को निर्बाध बिजली मिलेगी। सौर और पवन ऊर्जा जैसे नवीकरणीय स्रोत मौसम और समय पर निर्भर करते हैं, जिससे उनका उत्पादन अनिरंतर होता है। BESS, अतिरिक्त नवीकरणीय ऊर्जा को संग्रहित करके और जरूरत के समय जारी करके इस अनिरंतरता को दूर करने में मदद करेगा। यह हरित ऊर्जा को ग्रिड में अधिक प्रभावी ढंग से एकीकृत करने में सक्षम बनाएगा। जिससे जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम होती है और कार्बन उत्सर्जन में कमी आ जाएगी। एनटीपीसी बरौनी में 2.5 मेगावाट के सोलर पावर प्लांट के साथ इसका तालमेल हरित ऊर्जा के उपयोग को और गति देगा। यह सिस्टम ग्रिड के उन्नयन और नई ट्रांसमिशन लाइनों के निर्माण की आवश्यकता को कम करेगा। लागत को कम करने में मदद मिलेगी जिन्होंने अपने घर, मॉल या कहीं पर सोलर सिस्टम लगाया है, वे इसके माध्यम से पैसे की बहुत बचत कर सकते हैं। ऑफ-पीक घंटों में सस्ती बिजली खरीदकर और पीक घंटों में उसे बेचकर यह बिजली की समग्र लागत को कम करने में मदद कर सकता है। बिहार जैसे राज्य के लिए, जहां औद्योगिक विकास और बढ़ती आबादी के कारण बिजली की मांग लगातार बढ़ रही है। वहां BESS एक गेम चेंजर साबित हो सकता है। यह परियोजना सुनिश्चित करेगी कि राज्य को चौबीसों घंटे विश्वसनीय और किफायती बिजली मिलती रहे। एनटीपीसी बरौनी वर्तमान में अपनी कोयला आधारित 250 मेगावाट की दो इकाइयों से 100 प्रतिशत बिजली बिहार राज्य को उपलब्ध करा रही है, इस BESS के साथ राज्य की ऊर्जा सुरक्षा को और मजबूत करेगी। इलेक्ट्रिकल इंजीनियर विनय ने बताया कि एनटीपीसी में बैटरी एनर्जी स्टोरेज सिस्टम स्थापित करने का निर्णय आधुनिक ऊर्जा प्रबंधन की दिशा में एक साहसिक और दूरदर्शी कदम है। भारत की आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगी यह परियोजना न केवल तकनीकी रूप से उन्नत है, बल्कि पर्यावरण और आर्थिक दृष्टि से भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। यह बिहार के ऊर्जा भविष्य को स्थिरता, विश्वसनीयता और हरियाणा ऊर्जा एकीकरण की मजबूत नींव प्रदान करेगी। जिससे राज्य विकास और समृद्धि के एक नए युग में प्रवेश करने के लिए तैयार है। यह मॉडर्न तकनीक देश के ग्रिड को भी मजबूत करेगी और ऊर्जा क्षेत्र में भारत की आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देगी। बिहार में बिजली की खपत में 2005 में 700 मेगावाट की खपत से बढ़कर 2025 तक 8000 मेगावाट को पार कर गया। अलग-अलग समय सामान्य दिन और गर्मी के अनुसार बदलती रहती है, 2024-2025 में यह 7000 मेगावाट से 9000 मेगावाट तक पहुंच गई। जिसमें गर्मियों में पीक डिमांड 8000 मेगावाट से 8560 मेगावाट तक पहुंच गई है, जो पिछले सालों की तुलना में काफी ज्यादा है। गर्मी के मौसम में एयर कंडीशनर और कूलर के अधिक उपयोग से 20 सालों में प्रति व्यक्ति बिजली की खपत में लगभग 5 गुना वृद्धि हुई है।
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