ब्रिटेन को क्यों सता रहा है Gen-Z का डर? यहां के युवाओं में किस बात का असंतोष

ब्रिटेन को क्यों सता रहा है Gen-Z का डर? यहां के युवाओं में किस बात का असंतोष

दुनिया भर में Gen-Z युवा अपनी समस्याओं के खिलाफ जोरदार विरोध कर रहे हैं. ये युवा सोशल मीडिया के जमाने में पले-बढ़े हैं और अपनी बात को जल्दी फैलाने में माहिर हैं. नेपाल में सोशल मीडिया पर पाबंदी लगने के बाद बड़ी हिंसा हुई. वहां के युवा सड़कों पर उतर आए और संसद भवन, प्रधानमंत्री के घर को आग लगा दी. प्रधानमंत्री शर्मा ओली को पद छोड़ना पड़ा. नेपाल के युवाओं का गुस्सा भ्रष्ट नेताओं और असमानता के खिलाफ था.

मोरक्को में जब एक अस्पताल में कई महिलाओं की मौत हुई, तो युवा वहां भी प्रदर्शन करने लगे. मेडागास्कर में बिजली और पानी की कमी से युवा परेशान हो गए. पेरू में पेंशन कानून के खिलाफ प्रदर्शन हुए, लेकिन असली वजह भ्रष्टाचार और पुलिस की बर्बरता थी. युवाओं ने इसके खिलाफ जोरदार आवाज उठाई. अब सवाल यह है कि क्या यह विरोध ब्रिटेन जैसे देशों में भी फैलेंगे, क्योंकि युवा अपनी आवाज तेज कर रहे हैं.

युवाओं की मांगें नजरअंदाज नहीं कर सकते

यूनीवर्सिटी ऑफ बर्मिंघम के प्रोफेसर फ्रेजर सुगडेन कहते हैं कि ये युवा सोचते हैं कि सरकार का पैसा जनता का है, इसलिए वह इसे बेइमानी से खर्च न करे. अमेरिकी काउंसलर सर्जियो पंटोजा टॉरेस बताते हैं कि ये युवा अपनी बात पर चलते हैं और जब नजरअंदाज होते हैं तो जोर से विरोध करते हैं. ये विरोध किसी छोटी घटना का परिणाम नहीं, बल्कि युवाओं का नया तरीका है अपने भविष्य के लिए लड़ने का.

ब्रिटेन में भी युवाओं में असंतोष

ब्रिटेन में युवाओं की संख्या नेपाल से कम है और वहां की औसत उम्र भी ज्यादा है. फिर भी विशेषज्ञों को डर है कि यहां भी युवा असंतुष्ट हैं. पश्चिमी देशों में भी युवा अपनी जिंदगी के स्तर को लेकर दुखी हैं क्योंकि उन्हें अपने माता-पिता या दादा-दादी जितनी अच्छी जिंदगी नहीं मिल रही. उनका मानना है कि यह गुस्सा कहीं न कहीं फूट सकता है.

अभी तक ब्रिटेन के युवा अपनी नाराजगी वोटिंग और धरनों के जरिए जताते हैं, लेकिन अगर इसे सही तरीके से न संभाला गया तो गलत लोग इसका फायदा उठा सकते हैं. डॉ. फ्रेजर सुगडेन कहते हैं कि आज के युवा ज्यादा शिक्षित, ज्यादा जुड़े हुए और ताकतवर हैं. इसलिए युवाओं की ताकत को कम मत समझिए. कभी भी सोशल मीडिया पर शांत माहौल अचानक हिंसक हो सकता है. इसलिए युवाओं की बात सुनना और उनकी समस्याओं को समझना बहुत जरूरी है.

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