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ब्रह्मोस पाकिस्तान जासूसी केस- बरी होने के बाद बोले साइंटिस्ट:जिस दिन गिरफ्तार हुआ, उसी दिन मर गया था; DRDO ने दिया था यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड

ब्रह्मोस मिसाइल सेंटर में काम करने वाले DRDO के अवॉर्ड-विनिंग साइंटिस्ट निशांत अग्रवाल पर पाकिस्तान के लिए जासूसी करने का आरोप लगा था, लेकिन सात साल के बाद बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर बेंच ने उन्हें जासूसी करने के आरोपों से बरी कर दिया। इस पर अब उन्होंने दैनिक भास्कर एप से खुलकर बात की। निशांत अग्रवाल उत्तराखंड के हरिद्वार में रुड़की के रहने वाले है। उन्होंने कहा कि पूरी कहानी 8 अक्टूबर 2018 को शुरू हुई। उससे पहले मैं DRDO के स्पेशल प्रोजेक्ट ब्रह्मोस मिसाइल के लिए सीनियर साइंटिस्ट इंजीनियर के पद पर काम कर रहा था। 8 अक्टूबर को मैं और मेरी पत्नी घर पर थे। तभी अचानक शाम के समय यूपी और महाराष्ट्र की एटीएस ने मुझे पाकिस्तान को ब्रह्मोस मिसाइल की तकनीक लीक करने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया। उस समय मैं अपने परिवार के साथ था। परिवार वाले ये सब देखकर हैरान रह गए थे। उसके बाद से आज तक मेरी फैमिली एक सामाजिक प्रेशर झेल रही है। भास्कर इंटरव्यू में निशांत अग्रवाल ने क्या-क्या कहा…पढ़िए सवाल : ‘यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड’ मिलने के बाद गिरफ्तार किया गया, आपके दिमाग में क्या चल रहा था?
जवाब : मैं उस वक्त ब्रह्मोस एयरोस्पेस नागपुर में DRDO के लिए सीनियर सिस्टम इंजीनियर के पद पर काम कर रहा था। इसी दौरान DRDO ने मेरे काम को देखते हुए मुझे यंग साइंटिस्ट अवॉर्ड दिया। मैं उस समय अपने करियर की लर्निंग फेस में था और ब्रह्मोस पर काम कर रहा था। अचानक 8 अक्टूबर को मुझे गिरफ्तार कर लिया गया। उस वक्त मुझे कुछ पता भी नहीं था। उस दिन तक तो मेरा ट्रैफिक चालान भी नहीं कटा था। लेकिन उस दिन अचानक यूपी और महाराष्ट्र की एटीएस ने मुझे पकड़ लिया और उन्होंने मुझ पर पाकिस्तान के लिए जासूसी करने का आरोप लगाया। मुझे पता था कि मैं निर्दोष हूं। क्या हुआ, क्यों हुआ, कुछ समझ नहीं आया। ना मुझे ना मेरी फैमिली को। उस समय मैं मेरी वाइफ के साथ नागपुर में था। मैं तो उसी दिन मर गया था ये चीज सोचके। लेकिन एक उम्मीद थी कि न्याय होता है इस दुनिया में। एक दिन मुझे भी न्याय मिलेगा। इस दौरान मेरा परिवार मेरे साथ खड़ा रहा। ATS ने मुझे मेरे नागपुर वाले घर से गिरफ्तार किया। सवाल : जेल के अंदर के वे दिन कैसे थे? जवाब : जेल में रहना मेरे लिए लर्निंग फेस था। मैंने जेल में खुद को पॉजिटिव रखा। जेल में रहकर मैं सोचता था कि मेरे लिए मेरा देश सबसे ज्यादा जरूरी है और मैं उसके लिए कुछ भी करने को तैयार था। बस इसी उम्मीद से मैं अपनी पढ़ाई कर रहा था। मैंने 24 घंटों को डिवाइड किया और खुद पर फोकस रखा। इस दौरान एक्साइज, योगा और मेडिटेशन ने मेरी बहुत हेल्प की। 24 घंटों को 6 पार्ट में डिवाइड कर मैंने हाइजीन, एक्साइज, योगा और मेडिटेशन पर फोकस किया। मेरा ध्यान दिमाग को फिट रखने में था। जेल में ही रहकर मैंने अपनी मास्टर्स पॉलिटिकल साइंस में कम्प्लीट की। इसमें जेल की लाइब्रेरी ने मेरी बहुत मदद की। इन सब ने मेरी मदद जेल से बाहर आने में की और मुझे इतना सब होने के बावजूद नागपुर के एक बड़े इंस्टीट्यूट ने मुझे जॉब ऑफर की। आज मैं वहीं काम कर रहा हूं। इस वजह से मैं जेल को मां बोलता हूं, जिसने मुझे बहुत कुछ सिखाया। सवाल : आपका LinkedIn से पाकिस्तान कनेक्शन कैसे जुड़ा? जवाब : ये 2017 की बात है तब LinkedIn के बारे में किसी को कोई ज्यादा जानकारी नहीं थी। मैं अपने करियर के तलाश में LinkedIn पर जॉब ढूंढ रहा था। इसी दौरान सेजल कपूर नाम की एक लड़की ने जॉब रिक्वायरमेंट की पोस्ट डाली थी। (सेजल कपूर के नाम से पाकिस्तान के एजेंट एक्टिव थे) ये देखकर मैंने पोस्ट के लिए अपना बायोडाटा उसे भेजा। मैंने कोई भी ब्रह्मोस की जानकारी उसे नहीं दी। बस इसके बाद मेरा पूरा परिवार निशाने पर आ गया। ATS के गिरफ्तार करने के बाद पूरी मीडिया मेरे पीछे पड़ गई। सवाल : जब आप जेल में थे तो किसने आपका सपोर्ट किया? जवाब : जो लोग मेरी गिरफ्तार से पहले मुझे जानते थे उन्होंने मेरा खुलकर सपोर्ट किया। क्योंकि वे लोग मुझे पर्सनली जानते थे। मैं गलत नहीं था और मैंने हमेशा देश के लिए पहले सोचा। मेरी पूरी फैमिली मेरे साथ खड़ी रही। उस समय मेरी शादी को ज्यादा समय भी नहीं हुआ था। फिर भी मेरी पत्नी ने मेरा भरोसा किया। सवाल : जांच एजेंसियों ने आपके साथ कैसा व्यवहार किया? जवाब : जांच एजेंसियां अपना काम कर रही थी और मैं अपना काम कर रहा था। मुझे खुद विश्वास था और मैं दुनिया के सामने सच लाना चाहता था। इसी विश्वास से आज मुझे जज ने न्याय दिया। सवाल : इस पूरी घटना ने आपको कैसे बदला? जवाब : निशांत अग्रवाल अभी भी वही है जो 2018 से पहले था। लेकिन 7 साल दो महीने में मुझे बहुत कुछ सिखाया। अब मैं इन सब चीजों से बाहर आना चाहता हूं और अपने देश के लिए काम करना चाहता हूं। कलंक और फिर न्याय तक का सफर


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