औरंगाबाद जिले के ओबरा थाना क्षेत्र में पुलिस ने एटीएम बदलकर लोगों के खाते से पैसा चुराने वाले अंतरराज्यीय गिरोह का पर्दाफाश किया है। ओबरा पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए इस गिरोह के चार सदस्यों को औरंगाबाद के ब्लॉक मोड़ के पास से गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार आरोपियों के पास से भारी मात्रा में आपत्तिजनक सामान भी बरामद किया गया है। गिरफ्तार आरोपियों की पहचान झारखंड के धनबाद जिले के तेतुलमारी निवासी समर सिंह, गया जिले के गुरुआ थाना क्षेत्र के गंगटी निवासी रंजीत कुमार, धनबाद जिले के जोड़ापोखर थाना क्षेत्र के डिगवाडीह निवासी मनोज कुमार शर्मा तथा धनबाद जिले के खास सिजुआ निवासी मनोज कुमार के रूप में की गई है। पुलिस ने इनके पास से 5 स्मार्टफोन, 1 सामान्य मोबाइल, 1 लोहे का चाकू, 2 पिलास, 8 फर्जी एटीएम कार्ड तथा एक ब्रिजा चार पहिया वाहन बरामद किया है। एटीएम बदलकर गायब कर दिया था डेढ़ लाख रुपए इस संबंध में ओबरा थाना अध्यक्ष नीतीश कुमार ने प्रेस वार्ता कर पूरे मामले का खुलासा किया। उन्होंने बताया कि 20 नवंबर को ओबरा थाना मोड़ के सामने स्थित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया के एटीएम से सुर्खी गांव निवासी एक व्यक्ति के खाते से धोखाधड़ी कर डेढ़ लाख रुपए की निकासी कर ली गई थी। पीड़ित की ओर से थाना में अज्ञात लोगों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी। आवेदन में बताया गया था कि एटीएम कार्ड बदलकर उनके खाते से बड़ी रकम निकाल ली गई है। प्राथमिकी दर्ज होने के बाद पुलिस ने मामले को गंभीरता से लेते हुए वैज्ञानिक पद्धति से अनुसंधान शुरू किया। जांच के क्रम में तकनीकी साक्ष्यों और अन्य इनपुट के आधार पर पुलिस को इस गिरोह के बारे में ठोस जानकारी मिली। इसके बाद पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए चारों आरोपियों को औरंगाबाद के ब्लॉक मोड़ के पास से धर दबोचा। एटीएम के अंदर एटीएम इंजीनियर लिखकर चिपकाते थे मोबाइल नंबर पूछताछ के दौरान गिरफ्तार अभियुक्तों ने एटीएम ठगी की घटना में अपनी संलिप्तता स्वीकार कर ली है। अभियुक्त रंजीत कुमार ने अपने स्वीकारोक्ति बयान में बताया कि वे चारों दोस्त पिछले करीब चार वर्षों से संगठित गिरोह बनाकर एटीएम से ठगी की घटनाओं को अंजाम दे रहे थे। किसी भी वारदात से पहले वे दो दिनों तक चयनित एटीएम मशीन की रेकी करते थे और उसकी सुरक्षा व आवाजाही पर नजर रखते थे। घटना को अंजाम देने के लिए वे फर्जी एटीएम कार्ड, पेचकस, पिलास, फेवीक्वीक और अन्य औजार साथ लेकर एटीएम पहुंचते थे। चारों में से दो लोग एटीएम के अंदर जाते थे, जबकि दो बाहर निगरानी करते थे। एटीएम के अंदर एक साथी का मोबाइल नंबर “एटीएम इंजीनियर” के नाम से चिपका दिया जाता था। इसके बाद फर्जी एटीएम कार्ड में फेवीक्वीक लगाकर मशीन में डाल दिया जाता था, जिससे कार्ड अंदर फंस जाता था। जब कोई अन्य ग्राहक एटीएम में कार्ड डालता था और उसका कार्ड फंस जाता था, तो गिरोह का सदस्य मदद के बहाने उसे चिपकाए गए नंबर पर कॉल करने को कहता था। फोन उठाकर दूसरा सदस्य खुद को इंजीनियर बताता और ग्राहक से कई बार पिन डलवाता था, ताकि पिन याद किया जा सके। बाद में ग्राहक को दूर बुलाकर फोन बंद कर दिया जाता और फंसे कार्ड को निकालकर उसी से पैसे की निकासी कर ली जाती थी। पुलिस ने आम लोगों से सतर्क रहने की अपील की पुलिस ने बताया कि आरोपियों से बरामद फर्जी एटीएम कार्ड और मोबाइल फोन से अन्य घटनाओं के सुराग भी मिलने की संभावना है। फिलहाल सभी आरोपियों को आवश्यक कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है। पुलिस यह भी जांच कर रही है कि इस गिरोह ने और किन-किन इलाकों में इस तरह की वारदात को अंजाम दिया है। पुलिस ने आम लोगों से भी अपील की है कि एटीएम से लेनदेन के दौरान सतर्क रहें और किसी भी अजनबी की मदद लेने से बचें।
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