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बेटे की मौत के बाद मां ने भी की सुसाइड:दरभंगा में रेसिडेंशियल स्कूल का छात्र था नाबालिग, हॉस्टल में हुई थी संदिग्ध मौत

दरभंगा में बेटे की मौत के करीब 3 महीने बाद मां ने जहर खाकर अपनी जान दे दी। महिला ने रविवार को सल्फास की गोली खा ली थी। तबीयत बिगड़ने पर पहले फिनाइल पीने, फिर सल्फास खाने की बात कही। दो दिनों तक चले इलाज के बाद महिला की मंगलवार को डीएमसीएच में मौत हो गई। 85 दिन पहले महिला के 9 साल के इकलौते बेटे की स्कूल के हॉस्टल में फंदे से लटकी लाश मिली थी। महिला ने बेटे की मौत के मामले में जांच पड़ताल की मांग की थी। महिला की ओर से जांच की मांग के बाद पुलिस ने बच्चे की मौत को आत्महत्या बताया था, जबकि बच्चे की मां की ओर से आरोप लगाया गया था कि उनके बेटे की पहले पिटाई की गई और फिर हत्या के बाद उसकी लाश को फंदे से लटकाकर आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की गई। मृतका की पहचान 35 साल की मनीषा कुमारी के रूप में हुई है, जबकि उसके बेटे की पहचान 9 साल के कश्यप कुमार के रूप में हुई थी। अब मनीषा की मौत के बाद उसके पति लव कुमार ने पुलिस-प्रशासन को अपनी पत्नी की मौत का जिम्मेदार बताया है। अब सिलसिलेवार तरीके से जानिए महिला और उसके बेटे की मौत की कहानी पहले 7 अक्टूबर का मामला जानिए दरभंगा के लहेरियासराय थाना क्षेत्र के माउंट समर कान्वेंट स्कूल में 7 अक्टूबर को कश्यप कुमार की फंदे से लटकी लाश मिली थी। कश्यप माउंट समर कान्वेंट स्कूल में दूसरी क्लास का छात्र था। वो स्कूल के हॉस्टल में ही रहकर पढ़ाई करता था। कश्यप को फंदे से उतारने के बाद स्कूल प्रबंधन की ओर से अस्पताल पहुंचाया गया था, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था। कश्यप कुमार समस्तीपुर के पानमंडी वार्ड नंबर 25 के रहने वाले लव कुमार का बेटा था। परिजनों के अनुसार, कश्यप का हॉस्टल में नामांकन एक महीने पहले यानी 10 सितंबर 2025 को हुआ था। वो अपने माता-पिता की इकलौता संतान था। कश्यप बचपन से ही अपने मामा-मामी और नाना-नानी के साथ रहकर पढ़ाई कर रहा था। उसके पिता समस्तीपुर में ई-रिक्शा चलाते हैं, जबकि मां मनीषा अपने मायके में रह रही थी। कश्यप के मामा ने भांजे की पिटाई के बाद हत्या के आरोप लगाए थे घटना के बाद मृतक के मामा शिवशंकर कुमार ने बहादुरपुर थाना में आवेदन देकर कहा था कि मेरे भांजे की बेरहमी से पिटाई कर हत्या की गई और बाद में आत्महत्या का रूप देने के लिए उसे फंदे से लटका दिया गया। उन्होंने बताया कि मैंने अपने भांजे को जिस दिन स्कूल पहुंचाया, उसी दिन शाम को उसकी मौत की सूचना मिली। शिवशंकर शाह ने बताया कि 7 अक्टूबर की सुबह कश्यप को मैं खुद स्कूल लेकर गया था। उसे हॉस्टल में छोड़कर घर आ गया था। लेकिन शाम को उसकी मौत की सूचना मिली। जब स्कूल प्रशासन से बात की, तो उन्होंने कश्यप की मौत को आत्महत्या बताया था। शिवशंकर साह ने बताया कि कश्यप की मौत के मामले में स्कूल प्रबंधन और स्थानीय प्रशासन की मिलीभगत के कारण आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई। उन्होंने बताया कि वे थाना, एसएसपी, आईजी, जनप्रतिनिधियों और प्रशासनिक अधिकारियों के पास लगातार गुहार लगाते रहे, लेकिन कहीं से न्याय नहीं मिला। उन्होंने कहा कि कश्यप की मौत के बाद न तो प्रशासन का कोई अधिकारी उनके घर आया और न ही स्कूल प्रबंधन का कोई प्रतिनिधि हालचाल पूछने तक पहुंचा। अब जानिए कश्यप की मां मनीषा की मौत की कहानी कश्यप की मां मनीषा ने रविवार की शाम 6 बजे सल्फास की गोली खा ली थी। तबीयत बिगड़ने पर परिजन उसे एक निजी अस्पताल लेकर गए, जहां उसे एडमिट कराया गया। होश में आने पर पहले मनीषा ने फिनायल पीने की बात कही, लेकिन देर रात उसने परिजनों को बताया कि उसने सल्फास खाया है। इसके बाद डॉक्टरों ने उसे बेहतर इलाज के लिए दरभंगा मेडिकल कॉलेज अस्पताल रेफर कर दिया। इलाज के दौरान मंगलवार को उसकी मौत हो गई। परिजनों का आरोप है कि बेटे की मौत के बाद लगाए गए गंभीर आरोपों के बावजूद अब तक इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई थी, जिससे मनीषा मानसिक रूप से पूरी तरह टूट चुकी थी। बेटे की मौत के तीन महीने बाद मां ने भी जहर खाकर आत्महत्या कर ली। परिजन ने मामले की निष्पक्ष जांच और दोषियों पर सख्त कार्रवाई एक बार फिर से मांग की है। मृतका के भाई बोले- मनीषा को आश्वासन के बजाय थाना से भगाया गया था शिवशंकर शाह ने ये भी आरोप लगाया कि बेटे की मौत के बाद मनीषा लगातार थाना जाती रही थी। लेकिन पुलिस की ओर से कार्रवाई का आश्वासन देने के बजाय उसे भगा दिया गया था। पुलिस के इस व्यवहार से मनीषा मानसिक रूप से टूट चुकी थी। बेटे की मौत के बाद से मनीषा लगातार रोती रहती थी और न्याय के लिए भटकती रही थी। मनीषा की बहन के बेटे प्रिंस कुमार ने कहा, “मेरी मौसी अपने बेटे की हत्या की लड़ाई लड़ते-लड़ते थक गई थी। पहले मेरा मौसेरा भाई चला गया और अब मेरी मौसी भी हमें छोड़कर चली गई। हमारा पूरा परिवार बिखर गया है, हमें समझ नहीं आ रहा कि अब क्या करें।”


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