‘बहुत मन्नत के बाद मुझे बेटी हुई थी। पूरे परिवार की वो जान थी। हमने बहुत हिफाजत से उसे पाला था। अवंतिका डॉक्टर बनना चाहती थी।’ ‘मुझे यकीन नहीं हो रहा कि आज हमारी बेटी हमारे बीच नहीं रही। पूरा गांव सदमे में है।’ ‘ये कहना है उस पिता का, जिसकी 3 साल की बच्ची की बिहार के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल PMCH में इलाज के दौरान शनिवार(6 दिसंबर) को मौत हो गई। परिवार का आरोप है कि, डॉक्टर ने एनेस्थीसिया का ओवरडोज दे दिया, जिससे उसकी जान चली गई। मृतक बच्ची की पहचान अवंतिका राय(3) के रूप में हुई। वो गोपालगंज के कटिया गांव पुरानी बाजार निवासी शैलेश राय की बेटी थी। दैनिक भास्कर की टीम बच्ची के परिवार वालों से बात करने के लिए उसके गांव कटिया पहुंची। वहां पहुंचे तो अवंतिका के घर में सन्नाटा पसरा था। घर के बाहर अलग-बगल के लोग, पिता और दादा कुर्सी लगाकर मायूस बैठे थे। सबके चेहरे पर गुस्से के साथ मायूसी छाई थी। फिर बच्ची के पिता, दादा और गांव वालों से बात की। इस दौरान सभी के जुबान पर सिर्फ एक ही बात थी, हमारे घर की खुशी नहीं रही। आखिर अवंतिका की मौत का कारण क्या है, उसके साथ क्या घटना हुई थी, वो गोपालगंज से पटना कैसे पहुंची। इन सारे सवालों के जवाब इस ग्राउंड रिपोर्ट में पढ़िए… अवंतिका की घरवालों के साथ बिताए पल की कुछ झलक देखें… 160 दूर ले जाने के बावजूद मेरी पोती नहीं बच सकी अवंतिका राय के दादा मुंशी राय ने बताया, हम सोचे थे पटना में बड़ा अस्पताल है। वहां सब सुविधा मिलेगी। इस वजह से बच्ची को 160 किलोमीटर की दूरी तय कर पीएमसीएच में भर्ती कराया, लेकिन वहां के डॉक्टरों ने मेरी बच्ची को मार दिया। दवा और बेहोशी की वजह से वो अब हमारे बीच नहीं है। पैर फिसलने से हुआ था हादसा अवंतिका राय के दादा मुंशी राय ने घटना वाले दिन की कहानी बताई। उन्होंने बताया, गुरुवार(27 नवंबर) का दिन था। अच्छी धूप निकली थी। इस वजह से बच्चे बाहर खेल रहे थे। तभी पोती ट्रैक्टर पर चढ़ने लगी। इसी दौरान पैर फिसला और वह नीचे गिर गई। इससे उसका दोनों पैर फ्रैक्चर हो गया। उसे तुरंत हम लोग PMCH ले गए। यहां उसका एक्स-रे हुआ। 2 दिसंबर को डॉक्टरों ने बच्ची को बेहोशी के 2 इंजेक्शन दिए। उस वक्त उसके पापा भी वहीं थे। बाद में डॉक्टर्स ने उसे बाहर भेज दिया। डॉक्टर ने कहा- अवंतिका को कार्डियक अरेस्ट हुआ है अवंतिका का हड्डी रोग विभाग में ऑपरेशन हुआ। वहीं, ऑपरेशन के कुछ देर बाद डॉक्टर ने हम लोगों से आकर कहा, अवंतिका को कार्डियक अरेस्ट हुआ है। हम लोग घबरा गए। उसके दोनों पैर का ऑपरेशन होना था, लेकिन सिर्फ दाएं पैर का हुआ। आनन-फानन में उसे ICU वार्ड में शिफ्ट किया गया। मेरी बच्ची ऑपरेशन से पहले बेहोश हुई, फिर वो होश में नहीं आई। 6 दिसंबर शनिवार को लगभग 11:45 बजे डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। डॉक्टरों पर होनी चाहिए कार्रवाई बच्ची के नाना राम संदेश रॉय ने गुस्से मे सोशल मीडिया पर पोस्ट किया। उन्होंने लिखा, PMCH मौत का कुआं है। यहां दलाल और गैर जिम्मेदार डॉक्टरों का कब्जा है। मेरी 3 साल की नातिन अवंतिका की मौत डॉक्टर महेश प्रसाद, उनकी टीम और एनेस्थीसिया विभाग की लापरवाही से हुई है। हमने पूछा तो कहा- मर गई तो हम क्या करें। ऐसे डॉक्टरों पर कार्रवाई होनी चाहिए। बच्ची की मौत की जांच कर हो कार्रवाई बच्ची के पिता शैलेश राय ने बताया, मेरी बेटी को मार दिया गया है। हम चाहते हैं बिहार सरकार इस मामले को संज्ञान लें और जांच कर संबंधित डॉक्टर पर कार्रवाई करे। आज मेरे साथ हुआ है, आगे किसी और के साथ न हो। PMCH ऐसा अस्पताल है, जहां पर हर जगह से लोग इलाज के लिए पहुंचते हैं। पांच साल का बड़ा भाई पूछ रहा- बहन कब आएगी? अवंतिका का पांच साल का भाई अंकुश बार-बार एक ही सवाल पूछ रहा है, पापा, परी कब आएगी? हम कब खेलने जाएंगे। उसे जल्दी से बुला दीजिए। इस मासूम सवाल का जवाब किसी के पास नहीं था। घर के एक कोने में अवंतिका की खिलौनों वाली छोटी बाल्टी रखी है। उसमें गुड़िया, चप्पल की छोटी जोड़ी और गुलाबी रंग का क्लिप रखा है। अवंतिका की मां उसे देखकर फूट-फूटकर रो रही है। वो लगातार बेटी को याद करते हुए बेहोश हो रही है। दैनिक भास्कर की टीम ने उसने भी बात करने की कोशिश की, लेकिन वो कुछ नहीं बोल पा रही हैं। गरीबों का डॉक्टर पर से भरोसा उठ जाएगा स्थानीय निवासी टूना पाल ने बताया, शैलेश हमारे अच्छे मित्र हैं। मेरे घर के बगल में ही रहते हैं। जैसे ही हम लोगों को जानकारी मिली, वैसे ही हमलोगों ने बच्ची को लेकर पीएमसीएच पहुंचे, ताकि बेहतर इलाज हो जाएगा। लेकिन MBBS किए डॉक्टरों के कारण ही बच्ची की मौत हो गई। इस तरह से गरीबों का डॉक्टर से भरोसा उठ जाएगा। हालांकि, ऑपरेशन करने वाले डॉ. महेश प्रसाद ने किसी भी तरह की लापरवाही से इनकार किया। उन्होंने कहा कि ऐसी कोई घटना उनकी जानकारी में नहीं है। दो ऑपरेशन थिएटर हैं, लेकिन एनेस्थीसिया मशीन सिर्फ एक इस घटना से परिवार सदमे में है और उन्होंने डॉक्टरों की लापरवाही को मौत का कारण बताते हैं। बच्ची का ऑपरेशन हड्डी रोग विभाग के डॉ. महेश प्रसाद (ऑर्थो स्पेशलिस्ट) की यूनिट में ओटी-5 में किया गया था। अस्पताल के एक वरिष्ठ चिकित्सक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि ओटी-5 में दो ऑपरेशन थिएटर हैं, लेकिन बेहोशी देने वाली महत्वपूर्ण ‘बॉयल्स मशीन’ केवल एक ही है। ऐसे में, जब दोनों ओटी में एक साथ सर्जरी होती है, तो एक मरीज को ‘मैनुअल एनेस्थीसिया’ दिया जाता है। मैनुअल एनेस्थीसिया में ओवरडोज का खतरा विशेषज्ञों के मुताबिक, मैनुअल एनेस्थीसिया में डोज की सटीकता पर बड़ा जोखिम रहता है और मरीज की जान खतरे में पड़ सकती है। बताया जा रहा है कि पीएमसीएच में चल रही यह मशीन दशकों पुरानी है। लंबे समय से डॉक्टर इसे बदलने की मांग कर रहे हैं, लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने अब तक ध्यान नहीं दिया। जब इस बारे में डॉ. महेश प्रसाद से सवाल किया गया, तो उन्होंने किसी भी तरह की लापरवाही या प्रक्रिया संबंधी त्रुटि से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि ऐसी कोई घटना उनकी जानकारी में नहीं है।
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