लोकल से ग्लोबल हो चुका छठ केवल सूर्य की उपासना और छठी मैया की पूजा का महापर्व नहीं गांव की समृद्धि का आधार भी है। छठ में बाजार का 50 प्रतिशत रुपया किसानों के घर जाता है, तो परदेसियों के आने से उनके घर भी खुशहाली आती है। छठ में उपयोग होने वाले आधे से अधिक पूजन सामग्री स्थानीय किसानों के खेत के होते हैं। किसानों द्वारा उपजाए जाने वाले सुथनी की भले ही आम दिनों में कोई पूछ नहीं हो, लेकिन छठ में वह 200 रुपए किलो बिक रहा है। हल्दी तो हल्दी, हल्दी के पत्ते भी किसानों को अतिरिक्त आय दे जाते हैं। 5 रुपए गांठ हल्दी भी बिका। बांस लगाने वाले किसान को भी इस पर्व का बेसब्री से इंतजार रहता है, मलिक समुदाय के लोग सूप एवं अन्य लोग डाला बनाने के लिए बांस खरीदते हैं। बेगूसराय में खरना के दिन फलों और अन्य सामान के ये रहे रेट इस वर्ष बेगूसराय में पानी फल सिंघाड़ा 150 से 200 रुपए किलो, सूथनी 200 से 300 रुपए किलो, आदी 5 रुपए एक छोटा गांठ, हल्दी 5 रुपए गांठ, केला 40 से 70 रुपए दर्जन, बड़ा डाव नींबू 30 रुपए पीस, ओल 80 से 100 रुपए किलो, बांस का डाला 200 से 400 रुपए पीस, सूप 80 से 100 रुपए पीस तक बिका और लोगों ने जमकर खरीदारी की है। केराव (मटर), शरीफा, दीप, अमरूद, पान का पत्ता, फूल, माला, आम की लकड़ी, गोयठा तथा गाय का दूध भी खूब बिका, यह भी गांव के किसानों का उत्पाद। इस वर्ष भी गांव से लेकर शहर तक का बाजार ग्रामीण उत्पादों से भरा रहा। सिर्फ बेगूसराय जिले में इस पर्व में करीब 25 करोड़ से अधिक का कारोबार होता है, जिसमें 10 करोड़ से अधिक रुपया गांव के गरीब और किसानों तक पहुंचता है। जिससे यह महापर्व उनके लिए आर्थिक समृद्धि का त्योहार साबित होता है। किसानों के प्रोडक्ट बेचने वाले ने क्या कहा? ग्रामीण क्षेत्रों के किसानों का उत्पादन लाकर बेचने वाले संतोष कुमार ने बताया कि हमारे पिता जी भी छठ में गांव से सामान लाकर बेचते थे। मुज्जफरा, बखरी, गढ़पुरा आदि जगह पर पहले ही जाकर बात कर लेते हैं। खेत पर ही जाकर सूथनी, हल्दी, आदी, नींबू, गन्ना, ओल एवं पानी वाला सिंधारा खरीद लेते हैं। किसानों को वहीं पैसा दे दिया जाता है जिससे वह भी महापर्व की खुशियां मना सकें।
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