गोंडा। कैसरगंज लोकसभा सीट से पूर्व भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह की इकलौती बेटी शालिनी सिंह पहली बार सार्वजनिक मंच पर कविताएं व शायरी पढ़ती हुई नजर आईं। कवि सम्मलेन में शालिनी ने अपने अनुभव, परिवार और भाई की चुनावीय जीत से जुड़ी भावनाओं को दर्शाता साहित्यिक अन्दाज़ पेश किया, जिसे श्रोताओं ने उत्साहपूर्ण स्वागत किया। शालिनी ने मंच पर कहा कि यह उनका पहला कवि सम्मेलन था और वे अपने को एक नई कवयित्री के रूप में पेश कर रही हैं। उन्होंने पिता के पहलवान होने का जिक्र करते हुए मंचीय श्रोताओं को परिवार की परछाईं और संघर्ष की कुछ झलकियां सुनाईं। कार्यक्रम में शालिनी ने कई शेर और कविताएं पढ़ीं — जिनमें कुछ पंक्तियाँ इस प्रकार रहीं:“किसी चाकू, किसी खंजर किसी तलवार से नहीं मारूंगा, यह वादा है मेरा — तेरी तरह पीठ पर वार से नहीं मारूंगा… मार दूंगा शब्दों से तो झेल न पाएगा बाण मेरा, लेखक हूं—कलम के अलावा किसी और औजार से नहीं मारूंगा। उन्होंने एक और शायरी में कहा- एक सल्तनत है लफ्जों की, हम दिखावा नहीं करते; हम लिख देते हैं इतिहास, हम दावा नहीं करते… हमने शब्दों से रूह को छुआ है, हम मंदिर-मस्जिद का शिकवा नहीं करते।” शालिनी ने छोटे भाई करण भूषण सिंह की हालिया चुनावी सफलता का भी जिक्र किया और भावुक होते हुए कहा कि युद्धभूमि से लौटकर जब वे मां को गले लगाते हैं तो सारी वेदनाएं शांत हो जाती हैं। उन्होंने बताया कि भाई की जीत ने उन्हें और परिवार को गर्वित किया है। कवयित्री ने पति-पत्नी और प्रेम-प्रसंग पर भी तियांबंद शेर कहे और संबंधों में वफ़ादारी व इरादों की कड़ाई पर ज़ोर दिया। मंचीय समापन पर उन्होंने कहा कि यदि लोग नहीं मानते तो उनका इरादा सख़्त है, लेकिन पहले समझाना उनका तरीका रहा है। कवि सम्मेलन में उपस्थित साहित्य प्रेमियों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने शालिनी के मंच पर आत्मविश्वास और शब्दों की धार की प्रशंसा की। आयोजकों ने उम्मीद जताई कि शालिनी भविष्य में और भी सभा-सभा में अपनी कविताएं पढ़ेंगी और सार्वजनिक साहित्यिक मोर्चे पर सक्रिय रहेंगी। कार्यक्रम के बाद शालिनी ने माना कि मंच मिलने का अनुभव नया और उत्साह-वर्धक रहा — और वे आगे भी लिखते रहने का संकल्प लेकर लौटीं।
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