गया में केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी ने शुक्रवार को शराबबंदी और विदेश नीति पर बयान दिए। उन्होंने गया स्थित गोदावरी आवास पर मीडिया से बात करते हुए बिहार में पूर्ण शराबबंदी कानून पर पुनर्विचार की आवश्यकता बताई। मांझी ने सुझाव दिया कि राज्य में गुजरात मॉडल की तरह शराब पीने की नियंत्रित छूट दी जानी चाहिए। अवैध शराब का कारोबार फल-फूल रहा केंद्रीय मंत्री ने कहा कि पूर्ण शराबबंदी के कारण आम लोगों को परेशानी हो रही है, जबकि अवैध शराब का कारोबार फल-फूल रहा है। उन्होंने दावा किया कि शराबबंदी के बावजूद राज्य में शराब आसानी से उपलब्ध है, जिसका फायदा माफियाओं को मिल रहा है और आम लोग कानूनी पचड़ों में फंस रहे हैं। मांझी ने गुजरात की तरह सीमित और नियंत्रित व्यवस्था अपनाने का सुझाव दिया, जहां नियमों के तहत शराब पीने की अनुमति है। उनका मानना है कि इससे अवैध कारोबार पर रोक लगेगी और सरकार को राजस्व भी मिलेगा। उद्देश्य समाज को नशामुक्त बनाना मांझी ने यह भी कहा कि शराबबंदी का उद्देश्य समाज को नशामुक्त बनाना है, लेकिन इसके क्रियान्वयन में आ रही व्यावहारिक समस्याओं को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। उन्होंने इस मुद्दे पर राज्य सरकार से गंभीरता से विचार करने की अपील की। इसके अलावा, केंद्रीय मंत्री ने बांग्लादेश की मौजूदा स्थिति पर भी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश जिस दिशा में आगे बढ़ रहा है, वह पाकिस्तान के रास्ते जैसा प्रतीत होता है। मांझी ने आशंका व्यक्त की कि यदि वहां कट्टरता और अस्थिरता बढ़ती है, तो इसका असर पूरे दक्षिण एशिया पर पड़ सकता है। उन्होंने भारत सरकार से इस स्थिति पर कड़ी नजर रखने का आग्रह किया। मांझी के इन बयानों को राजनीतिक गलियारों में महत्वपूर्ण माना जा रहा है। जहां एक ओर शराबबंदी पर उनके सुझावों से बिहार की सत्ताधारी राजनीति में हलचल मची है। बांग्लादेश को लेकर की गई उनकी टिप्पणी विदेश नीति के संदर्भ में चर्चा का विषय बन गई है।
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