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बिहार में इस बार 50 दिन कड़ाके की ठंड:ला-नीना और पोलर वोर्टेक्स में दरार से बढ़ रही ठिठुरन, क्या टूटेगा सर्दी का रिकॉर्ड

बिहार में कोल्ड-डे के हालात हैं। सर्द हवाओं ने ठिठुरन बढ़ा दी है। दिन और रात के समय एक जैसी सर्दी पड़ रही है। ज्यादातर शहरों में 5 दिन धूप के दर्शन ही नहीं हो रहे हैं। ओस की बूंदें रिमझिम बारिश की तरह पड़ रही हैं। सड़कों पर सन्नाटा पसरा हुआ है। पटना मौसम विज्ञान केंद्र के मुताबिक, गयाजी, नालंदा, अरवल और जहानाबाद जिले में आज यानी 22 दिसंबर को कोल्ड डे की संभावना है। राज्य के उत्तर-पश्चिम भाग के जिलों सीतामढ़ी और शिवहर के एक या दो स्थानों पर घना कोहरा छाए रहने की संभावना है। बिहार में इस बार कैसी पड़ेगी ठंडी और उसके पीछे क्या-क्या वजहें हैं; जानेंगे आज के एक्सप्लेनर बूझे की नाही में…। सवाल-1: बिहार में सर्दी का सीजन कब से कब तक रहता है? जवाब: आमतौर पर बिहार में सर्दी का मौसम नवंबर के आखिरी हफ्ते से शुरू होकर फरवरी के आखिरी हफ्ते तक चलता है। ये वो समय होता है जब तापमान में लगातार गिरावट आती है। पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी होती है और उत्तरी भारत में ठंडी हवाएं तेजी से बहने लगती हैं। मौसम वैज्ञानिक इसे 3 हिस्सों में बांटते हैं ताकि तापमान और मौसम के पैटर्न को बेहतर तरीके से समझा जा सके… 1. प्री-विंटर (20 नवंबर-20 दिसंबर) इस दौरान ठंड की हल्की दस्तक होती है। दिन में हल्की गर्मी और रात में ठंड बढ़ने लगती है। कोहरा और धुंध की शुरुआत हो जाती है। पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी शुरू हो जाती है, जिससे मैदानी इलाके जैसे-पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार-झारखंड में ठंडी हवाएं बहने लगती हैं। तापमान में धीरे-धीरे गिरावट होती है और लोगों की दिनचर्या में गर्म कपड़े शामिल होने लगते हैं। 2. पीक-विंटर (20 दिसंबर-20 जनवरी) ये सर्दियों का सबसे ठंडा और तीखा दौर होता है। इस समय तापमान बिहार के कई जिलों में 10 डिग्री सेल्सियस से नीचे चला जाता है और उत्तरी बिहार के कई हिस्सों में न्यूनतम तापमान शून्य के आसपास या उससे भी कम हो सकता है। पश्चिमी विक्षोभ यानी वेस्टर्न डिस्टरबेंस सबसे ज्यादा सक्रिय रहता है। ये वही मौसम प्रणाली है जो पहाड़ों पर भारी बर्फबारी और मैदानी इलाकों में ठंडी हवाएं व बारिश लाती है। इस दौरान दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार-झारखंड जैसे राज्यों में ठंड चरम पर होती है। सुबह और रात में कोहरा इतना घना हो सकता है कि विजिबिलिटी बहुत कम हो जाती है। 3. पोस्ट-विंटर (20 जनवरी-20 फरवरी) इस समय तापमान धीरे-धीरे बढ़ने लगता है, लेकिन ठंडी हवाओं का असर बना रहता है। दिन के समय धूप तेज हो जाती है, पर सुबह और रातें ठंडी रहती हैं। कई बार इस दौरान भी पश्चिमी विक्षोभ के कारण हल्की बारिश और ठंड की वापसी देखने को मिलती है। यही वो वक्त होता है जब सर्दी से गर्मी की ओर मौसम का ट्रांजिशन शुरू होता है। सवाल-2ः इस बार बिहार में ठंडी बाकी सालों से कम दिन पड़ेगी या ज्यादा दिन? जवाबः पिछले सीजन में बिहार में करीब 8 दिन कोल्ड वेव की स्थिति रही थी। इस साल उससे ज्यादा दिन कोल्ड डे रहने की संभावना है। मतलब इस साल ठंड ज्यादा दिन तक पड़ेगी। 18 दिसंबर से ही राज्य के 20 से ज्यादा जिलों में घना कोहरा का असर दिख रहा है। इसके चलते राज्य की करीब 4 करोड़ आबादी को शीतलहर का असर महसूस हो रहा है। ऐसी स्थिति जनवरी 2026 के अंत तक बार-बार बनेगी। सवाल 3: क्या जनवरी में कड़ाके की ठंड या शीतलहर महसूस होगी? जवाबः हां। इस बार बिहार-झारखंड और उत्तर प्रदेश में कड़ाके की ठंड पड़ेगी। इसे 2 बड़े कारण हैं… 1. दिसंबर-फरवरी में 62% ला-नीना बनने की संभावना मौसम विभाग के मुताबिक, दिसंबर से फरवरी के बीच ला-नीना के बनने की 62% संभावना है। ला नीना पूरी दुनिया के मौसम और जलवायु पर असर डालता है। एक्सपर्ट का अनुमान है कि ये भूमध्य सागर से उठने वाले बर्फीले तूफान यानी वेस्टर्न डिस्टरबेंस को और मजबूत करेगा। इससे उत्तर भारत के पहाड़ी इलाकों में ठंडी हवाएं चलेंगी, कोहरा और धुंध बनी रहेगी। अनुमान लगाया जा रहा है कि भारत में ला नीना का सबसे ज्यादा असर जनवरी 2026 में दिखेगा। ये मार्च तक बना रहेगा। इसका असर बिहार पर भी पड़ेगा। 2. पोलर वोर्टेक्स में दरार से बढ़ेगी UP-बिहार में ठंड मौसम एजेंसियों के मुताबिक, उत्तरी ध्रुव के ऊपर बनने वाले ध्रुवीय ठंडी हवाओं के घेरे (पोलर वोर्टेक्स) में दरार पड़ रही है। इससे भारत के बड़े हिस्से मतलब पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार-झारखंड में बेहद ठंडी हवाएं फैलेंगी। मौसम एजेंसी स्काईमेट के प्रेसिडेंट (AVM) जीपी शर्मा बताते हैं, ‘ध्रुवों के ऊपर ठंडी हवाओं का एक घेरा रहता है। घेरा मजबूत होता है, तो ठंड वहीं सीमित रहती है। यह कमजोर पड़ जाए, तो ठंडी हवाएं बाहर निकलकर दूसरे इलाकों तक पहुंच जाती हैं। इस बार ऐसी स्थिति के संकेत हैं। इसका असर भारत में पश्चिमी विक्षोभों की संख्या बढ़ने, पहाड़ों में ज्यादा बर्फबारी और मैदानी इलाकों में शीतलहर के रूप में दिख सकता है।’ सवाल-4ः आखिर ये ला-नीना क्या है और ये सर्दी कैसे बढ़ाता है? जवाबः अगर आप प्रशांत महासागर का नक्शा देखें, तो इसके पूर्वी छोर पर दक्षिण अमेरिका और पश्चिम की तरफ ऑस्ट्रेलिया और एशियाई देश हैं। सामान्य दिनों में प्रशांत महासागर के ऊपर से हवा पूर्व से पश्चिम चलती है। ये हवा गर्म सतही पानी को एशिया की तरफ धकेल देती है, जिससे इंडोनेशिया और आसपास के इलाके गर्म रहते हैं, और दक्षिण अमेरिका की तरफ का समुद्र ठंडा। जब ये हवा कमजोर पड़ जाती है, तो गर्म पानी एशिया से हटकर अमेरिका के पास चला जाता है। इसे कहते हैं EI Niño। इस वक्त भारत में आमतौर पर कम बारिश और ज्यादा गर्मी होती है। जब हवा बहुत तेज चलने लगती है, तो गर्म पानी पश्चिम की तरफ और ज्यादा धकेल दिया जाता है, और अमेरिका के पास का समुद्र और ठंडा हो जाता है। इसे कहते हैं La Niña। भारत में इस समय आमतौर पर ज्यादा बारिश, ठंडा मौसम, और कई बार कड़ाके की सर्दी भी देखने को मिलती है। सवाल-5ः बिहार में शीतलहर के लिए जिम्मेदार वेस्टर्न डिस्टरबेंस क्या है? जवाबः भारत के पश्चिम में भूमध्य सागर है, वहां से तूफानी हवा नमी लेकर गल्फ देशों और काला सागर, कैस्पियन सागर से होकर हमारे देश तक आती है, जिसे वेस्टर्न डिस्टरबेंस कहते हैं। ये हवा भारत में आकर यहां के वेदर पैटर्न को डिस्टर्ब करती है, इसलिए डिस्टरबेंस शब्द जुड़ा। जैसे- ठंड के मौसम में वेस्टर्न डिस्टरबेंस आ जाए तो बारिश या बर्फबारी होने लगती है। एक तरह से बेमौसम बारिश के लिए यही हवा जिम्मेदार है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन (WMO) के मुताबिक, 2025-26 की सर्दी पिछले 10 साल की सबसे ठंडी होगी। बिहार सहित पूरे देश में कड़ाके की ठंड पड़ सकती है।


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