कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने सरकार की तरफ से संसद में पेश होने वाले बिलों के टाइटल में हिंदी शब्दों के इस्तेमाल की बढ़ती प्रथा की आलोचना की है। उन्होंने कहा कि यह बदलाव गैर-हिंदी भाषी लोगों का अपमान है। चिदंबरम ने कहा कि गैर-हिंदी भाषी लोग ऐसे बिल/एक्ट को नहीं पहचान सकते जिनके टाइटल अंग्रेजी अक्षरों में लिखे हिंदी शब्दों में हों। वे उनका उच्चारण भी नहीं कर सकते। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने सोमवार को मनरेगा के नाम ‘विकसित भारत-गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) (VB-G RAM G) बिल, 2025’ पर अपनी राय रखी। उन्होंने कहा- यह बदलाव गैर-हिंदी भाषी लोगों और उन राज्यों का अपमान है जिनकी आधिकारिक भाषा हिंदी के अलावा कोई और है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने पूछा- 75 साल की प्रथा में बदलाव जरूरी क्यों राज्यसभा सांसद चिदंबरम ने सरकार से सवाल किया कि- अभी तक यह प्रथा थी कि बिल का टाइटल अंग्रेजी वर्जन में अंग्रेजी शब्दों में और हिंदी वर्जन में हिंदी शब्दों में लिखा जाता था। 75 साल की इस प्रथा में किसी को दिक्कत नहीं हुई, तो सरकार को बदलाव क्यों करना चाहिए? पिछली सरकारों ने इस वादे को दोहराया है कि अंग्रेजी एक सहयोगी आधिकारिक भाषा बनी रहेगी। मुझे डर है कि यह वादा टूट जाएगा।
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