शिवहर जिला विधिक सेवा प्राधिकार (DLSA) ने बाल विवाह उन्मूलन के लिए ‘आशा’ अभियान शुरू किया है। नालसा (NALSA) द्वारा संचालित ‘आशा’ योजना 2025 के तहत शिवहर को बाल विवाह मुक्त जिला बनाने का लक्ष्य रखा गया है। इस अभियान के तहत व्यापक जन जागरूकता फैलाई जा रही है। DLSA के सचिव सह न्यायाधीश ललन कुमार रजक ने शिवहर के नागरिकों से इस सामाजिक बुराई के खिलाफ एकजुट होने की अपील की है। बाल विवाह समाज और राष्ट्र के भविष्य से जुड़ा गंभीर मुद्दा न्यायाधीश ललन कुमार रजक ने बाल विवाह को राष्ट्र के विकास में एक बड़ी बाधा बताया। उन्होंने कहा कि यह केवल एक पारिवारिक निर्णय नहीं, बल्कि समाज-राष्ट्र के भविष्य से जुड़ा मुद्दा है। कम उम्र में विवाह बच्चों की शिक्षा, स्वास्थ्य और मानसिक विकास को प्रभावित करता है, जिससे व्यक्तिगत जीवन के साथ-साथ सामाजिक और आर्थिक प्रगति भी बाधित होती है। बच्चों की शिक्षा और आत्मनिर्भरता को प्राथमिकता दें न्यायाधीश रजक ने अभिभावकों को बाल विवाह से संबंधित कानूनी प्रावधानों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि लड़कियों के लिए विवाह की न्यूनतम आयु 18 वर्ष और लड़कों के लिए 21 वर्ष निर्धारित है। इससे कम उम्र में किया गया विवाह कानूनी अपराध है और इसके लिए दंड का प्रावधान है। उन्होंने माता-पिता से अपील की कि वे सामाजिक दबाव के बजाय बच्चों की शिक्षा और आत्मनिर्भरता को प्राथमिकता दें। बाल विवाह की सूचना जिला विधिक सेवा प्राधिकार को दें ‘आशा’ योजना 2025 के तहत DLSA शिवहर का लक्ष्य जिले में बाल विवाह के एक भी मामले को रोकना है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए विधिक जागरूकता शिविर, पंचायत स्तर पर संवाद और आमजन की भागीदारी को बढ़ावा दिया जा रहा है। न्यायाधीश रजक ने नागरिकों से आग्रह किया कि बाल विवाह की किसी भी सूचना पर तुरंत जिला विधिक सेवा प्राधिकार को सूचित करें। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि सामूहिक प्रयासों से शिवहर को बाल विवाह मुक्त बनाया जा सकता है, जिससे आने वाली पीढ़ी का भविष्य सुरक्षित और उज्ज्वल होगा।
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