उत्तराखंड में दिसंबर का महीना शुरू होने के साथ ही ठंड अब अपने चरम पर है। अगले एक हफ्ते तक बारिश की कोई खास उम्मीद नहीं होने की वजह से आने वाले दिनों में तापमान में लगातार गिरावट आ रही है। इसके साथ ही ओस भी गिरने लगी है। जिसकी वजह से सब्जियों की खेती पर खतरा मंडरा रहा है। खेत में लगी सब्जियां बर्बाद होने लगी हैं। कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में करीब 57 हजार 716 हेक्टेयर भूमि पर सब्जियों की खेती होती है। इन दिनों दिसंबर महीने में गेहूं, टमाटर, मिर्च, बैंगन, आलू, मटर और पत्ता गोभी के साथ-साथ सरसों की फसल की पैदावार होती है। इन फसलों की अच्छी पैदावार के लिए बारिश का मुख्य रोल रहता है और बारिश के अभाव में सर्द पाला और कोहरा इन सभी फसलों को खराब कर देता है। जिससे फसलों की वृद्धि रुक जाती है। किसानों को इसके कारण काफी नुकसान होता है। प्रदेश में फूलों की खेती भी करीब 1650 हेक्टेयर तक होती है। किसान गेंदा, गुलाब, जरबेरा, ग्लेडियोलाई, गुलाब की कस्में, लिलियम, रजनीगंधा समेत अन्य फूलों का उत्पादन कर रहे हैं। दिसंबर में भी बारिश नहीं होने से इनको को भी नुकसान पहुंच रहा है। बारिश नहीं होने के क्या-क्या नुकसान हैं?
उत्तराखंड उद्यान विभाग की सलाहकार सुरभि पांडे ने बताया कि दिसंबर का समय रबी की फसलों का फ्लॉवरिंग समय होता है और इस फसल को अच्छी ग्रोथ देने के लिए बारिश का योगदान होता है और अगर बारिश नहीं होती है तो किसानों को नुकसान से बचने के लिए फसलों को पानी लगाना होता है। सर्दियों के फल के लिए इस समय गड्ढे बनाए जाते हैं, जिसमें मुख्य रूप से सेब की बागवानी की जाती है और अगर बारिश नहीं होती है तो इसमें भी किसानों को परेशानी होती है। इन तीन कारणों से भी होता है फसलों को नुकसान फसलों को बचाने के लिए ले सकते हैं पलवार की मदद
सुरभि पांडे ने बताया कि इस सीजन में बारिश न होने की वजह से सब्जियों को बहुत ज्यादा नुकसान होता है और पहाड़ों में भी अगर बारिश नहीं होती है तो मटर जैसी फसल काफी हद तक प्रभावित होती है। जिससे किसानों को उनकी फसल का अच्छा मुनाफा नहीं मिल पाता। इस नुकसान से बचने के लिए किसानों को प्लास्टिक की पलवार (मल्चिंग) करने की जरूरत है जिससे फसलों में नमी बनाए रखने में मदद मिलती है और फसलों के नुकसान को भी पाले और कोहरे से बचाया जा सकता है। नवम्बर महीने में हुई 98% कम बारिश
मौसम विभाग के मुताबिक इस समय पूरे उत्तर भारत में तापमान में गिरावट के साथ सर्दी का सितम बढ़ता ही जा रहा है जो आम जनजीवन को प्रभावित कर रहा है। आमतौर पर नवंबर के महीने में बारिश की संभावना सबसे कम होती है, लेकिन इस बार नवंबर महीने में सामान्य से 98 प्रतिशत कम बारिश दर्ज की गई है। नवंबर महीने की सामान्य औसत वर्षा 6.4 मिलीमीटर दर्ज की जाती है। हालांकि, इस बार पूरे महीने सिर्फ 0.1 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई, जो सामान्य से 98 प्रतिशत कम है। बरसात के सीजन में इस साल अच्छी बारिश होने की वजह से जमीन में अभी भी नमी है, लेकिन आने वाले दो हफ्तों में अगर बारिश नहीं होती है तो किसानों को बड़ा नुकसान हो सकता है। हल्की बारिश और बर्फबारी बढ़ाएगी ठंड
मौसम विभाग की ओर से आज से उत्तरकाशी, चमोली और पिथौरागढ़ के ऊंचाई वाले इलाकों में हल्की बारिश और बर्फबारी की संभावना जताई गई है, जबकि बाकी जिलों में मौसम शुष्क रहने का अनुमान जारी किया गया है। हालांकि प्रदेश के ज्यादातर जिलों में अगले एक सप्ताह तक बारिश की कोई उम्मीद नजर नहीं आ रही है। जिसके चलते उत्तराखंड के निचले इलाकों में पाला पड़ने की भी पूरी संभावना है। जिससे यहां की फसलों को भी पूरा नुकसान हो सकता है।
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