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बाबा केदार की पंचमुखी डोली पहुंची उखीमठ:6 महीने तक ओंकारेश्वर मंदिर में विराजमान होंगे केदारेश्वर, 3 दिनों में पूरी की 55KM की पैदल यात्रा

रुद्रप्रयाग स्थित केदारनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद होने के बाद बाबा केदार की पंचमुखी डोली अब 55 किलोमीटर की यात्रा पूरी कर उखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में पहुंच गई है। यहां भक्तों ने “हर-हर महादेव” के जयकारों के बीच बाबा का भव्य स्वागत किया। अब छह महीने तक बाबा केदार की शीतकालीन पूजा इसी गद्दीस्थल पर होगी और भक्त अपने आराध्य का दर्शन यहीं कर सकेंगे। शनिवार सुबह डोली ने गुप्तकाशी से अपने अंतिम पड़ाव उखीमठ की ओर प्रस्थान किया था। सेना की बैंड धुनों और भक्तों के जयकारों के बीच बाबा केदार की चल उत्सव विग्रह डोली ने सेमी-भैंसारी, विद्यापीठ और जैवीरी होते हुए दोपहर 12 बजे ओंकारेश्वर मंदिर में अपनी 55 किलोमीटर की पैदल यात्रा पूरी की। डोली के ओंकारेश्वर पहुंचने की PHOTS देखें… मंदिर के गर्भगृह में स्थापित की गईं मूर्तियां डोली के ओंकारेश्वर मंदिर पहुंचने पर हजारों भक्तों ने पुष्प और अक्षत के साथ स्वागत किया। बाबा के जयकारों के बीच डोली ने मंदिर की परिक्रमा की। मुख्य पुजारी बागेश लिंग ने बाबा केदार की आरती उतारी और रावल भीमाशंकर लिंग की मौजूदगी में चल उत्सव विग्रह डोली से भोग मूर्तियों को उतारा गया। भोग मूर्तियों को ओंकारेश्वर मंदिर के गर्भगृह में स्थापित किया गया। पंथेर पुरोहितों ने केदारनाथ धाम के उदक कुंड से लाया पवित्र जल भक्तों में प्रसाद रूप में वितरित किया। केदारनाथ की विधायक आशा नौटियाल ने कहा कि बाबा केदार की यात्रा सफल रही और अब शीतकालीन पूजा ओंकारेश्वर मंदिर में प्रारंभ हो गई है। अब पढ़िए पंचमुखी डोली का आध्यात्मिक अर्थ…. भगवान केदारनाथ की पंचमुखी उत्सव मूर्ति शिव के पांच स्वरूपों- ईशान, तत्पुरुष, अघोर, वामदेव और सद्योजात का प्रतीक है। ये पांच रूप मानव जीवन की पांच क्रियाओं- क्रीड़ा, तपस्या, लोकसंहार, अहंकार और ज्ञान का प्रतिनिधित्व करते हैं। वरिष्ठ तीर्थपुरोहित उमेश चंद्र पोस्ती कहते हैं, पंचमुखी मूर्ति भगवान शिव की सृष्टि से लेकर संहार तक की शक्ति को दर्शाती है। भूतल में सृष्टि, जल में स्थिति, अग्नि में संहार, वायु में तिरोभाव और आकाश में अनुग्रह ये पांचों भाव शिव के स्वरूप में समाहित हैं। पांच दिशाओं में दिखते हैं शिव के रंग और वर्ण पंचमुखी मूर्ति में भगवान शिव के पांच दिशाओं में अलग-अलग वर्ण दिखाई देते हैं। सिर की दिशा श्वेत वर्ण में, पूर्व दिशा सुवर्ण में, दक्षिण दिशा नीलवर्ण में, पश्चिम दिशा शुभ स्फटिक उज्ज्वल में और उत्तर दिशा जपापुष्प या प्रवाल स्वरूप में है। ये पांचों रंग संसार के सभी वर्णों और भावों के प्रतीक हैं। पंचाक्षर ‘ॐ नमः शिवाय’ से जुड़ी मूर्ति पंचमुखी डोली पंचाक्षर मंत्र ‘ॐ नमः शिवाय’ से भी जुड़ी मानी जाती है। इसमें उत्तर दिशा में ‘अकार’, पश्चिम में ‘उकार’, दक्षिण में ‘मकार’, पूर्व में ‘बिंदु’ और मध्य में ‘नाद’ का प्रतीकात्मक निवास बताया गया है। धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि त्रिपदा गायत्री का प्रकाट्य भी इसी पंचमुखी मूर्ति से हुआ है। इस वर्ष 17 लाख से ज्यादा श्रद्धालुओं ने किए दर्शन बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के अनुसार, इस बार यात्रा अवधि में 17 लाख 68 हजार 795 श्रद्धालुओं ने बाबा केदार के दर्शन किए। यह संख्या 2013 की आपदा के बाद दूसरी बार इतनी बड़ी दर्ज हुई है।


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