उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आयोजित एक राष्ट्रीय शैक्षिक सम्मेलन में बिहार के बांका के तीन सरकारी विद्यालयों के छात्रों ने पीयर लर्निंग (सहपाठी आधारित सीख) का प्रभावी प्रयोग प्रस्तुत किया। इस प्रस्तुति ने जिले और राज्य का नाम रोशन किया। यह सम्मेलन छात्र नेतृत्व और सहभागिता पर केंद्रित था,जिसका आयोजन इनवाल्व, प्रथम और मंत्रा नामक प्रमुख संगठनों के संयुक्त देखरेख में हुआ। इसमें देशभर से चयनित छात्र-छात्राओं ने भाग लिया। स्पष्ट सोच से सभी को प्रभावित किया कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव पार्थसारथी सेन शर्मा, प्रथम की सीईओ, कई शिक्षाविद, नीति निर्माता और सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि उपस्थित थे। इस राष्ट्रीय मंच पर बांका के सरकारी विद्यालयों के तीन छात्रों ने अपने आत्मविश्वास, नेतृत्व क्षमता और स्पष्ट सोच से सभी को प्रभावित किया। नेतृत्व आधारित कार्यों का प्रभावशाली प्रस्तुतीकरण किया छात्रों ने यह दर्शाया कि बिहार की नई पीढ़ी न केवल शिक्षा ग्रहण कर रही है, बल्कि अपने विचारों और नवाचारों के माध्यम से शैक्षिक संवाद का नेतृत्व भी कर रही है।सम्मेलन में प्रोन्नत मध्य विद्यालय कठौन, कटोरिया की छात्रा नीलम और साक्षी, तथा प्रोन्नत मध्य विद्यालय सैजपुर, बांका की छात्रा पल्लवी भारती ने अपने विद्यालयों में किए जा रहे नेतृत्व आधारित कार्यों का प्रभावशाली प्रस्तुतीकरण किया। स्पष्टता, आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता की शिक्षाविदों ने खुले मंच से सराहना की इन छात्राओं ने बताया कि वे अपने स्कूलों में स्वच्छता, अनुशासन, सहपाठी आधारित सीख, एफएलएन (फाउंडेशनल लिटरेसी एंड न्यूमेरसी) कौशल, गतिविधि आधारित शिक्षण, सांस्कृतिक कार्यक्रमों और सामुदायिक सहभागिता को कैसे नई दिशा दे रही हैं। उनकी स्पष्टता, आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता की शिक्षाविदों ने खुले मंच से सराहना की। शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य जिम्मेदार और जागरूक नागरिक तैयार करना अपर मुख्य सचिव पार्थसारथी सेन शर्मा ने अपने संबोधन में कहा कि शिक्षा का वास्तविक उद्देश्य ऐसे जिम्मेदार और जागरूक नागरिक तैयार करना है, जो अपने आसपास सकारात्मक परिवर्तन ला सकें। उनके इस प्रोत्साहन से बिहार के छात्रों का मनोबल बढ़ा। इस तीन सदस्यीय छात्र दल का नेतृत्व प्रोन्नत मध्य विद्यालय कठौन के प्रधानाध्यापक तुलसी दास कर रहे थे। यह आयोजन केवल एक प्रस्तुति मंच तक सीमित नहीं रहा, बल्कि विभिन्न राज्यों के छात्रों के बीच सांस्कृतिक, शैक्षिक और वैचारिक आदान-प्रदान का केंद्र भी बना। बिहार के छात्रों ने अन्य राज्यों के विद्यार्थियों के साथ नई शैक्षणिक तकनीकों, नेतृत्व अभ्यास, सीखने के वैज्ञानिक तरीकों और स्कूल स्तर के नवाचारों पर चर्चा की।
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