बांका जिला मुख्यालय से लगभग 15 किलोमीटर दूर बौसी प्रखंड में अवस्थित मंदार पर्वत हर वर्ष की तरह इस वर्ष फिर जैन साधु-संतों और श्रद्धालुओं के आगमन से आध्यात्मिक ऊर्जा से सराबोर हो उठा है। तीन धर्मों की संगम स्थली के रूप में प्रसिद्ध मंदारगिरी इन दिनों जैन धर्मावलंबियों की आस्था का प्रमुख केंद्र बन गया है। बिहार पंचतीर्थ यात्रा पर निकला दिगम्बर जैन संतों का एक बड़ा जत्था रविवार को मंदारगिरी पहुंचा, जिससे पूरे क्षेत्र में धार्मिक उल्लास और भक्ति का माहौल देखने को मिला । विश्व विख्यात समाधिस्थ संत शिरोमणि आचार्य श्री 108 विद्यासागर जी महाराज की शिष्या आर्यिका 105 गुरुमति माता जी, आर्यिका 105 गुणमति माता जी और आर्यिका 105 दृढ़मति माता जी के नेतृत्व में 50 जैन साध्वियों एवं लगभग 200 भक्तों का यह संघ मंदार पर्वत शिखर पर पहुंचा। यहां उन्होंने 12वें तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य स्वामी की तप, कैवल्य ज्ञान और निर्वाण स्थली पर भगवान के चरणों में ध्यान-साधना की। साध्वी संघ द्वारा किए गए शांत, संयमित और मौन तप ने पूरे पर्वत क्षेत्र को आध्यात्मिक वातावरण से भर दिया। विकास कार्यों को देखकर अत्यंत अभिभूत – श्री 105 गुरुमति माता जी इस अवसर पर आर्यिका श्री 105 गुरुमति माता जी ने कहा कि मंदारगिरी पर्वत शिखर स्थित दिगम्बर जैन मंदिर, समोशरण मंदिर, तलहटी मंदिर और कार्यालय मंदिर के दर्शन कर तथा यहां चल रहे विकास कार्यों को देखकर वह अत्यंत अभिभूत हैं। उन्होंने कहा कि इस पावन स्थल पर आकर सभी तपस्वियों का जीवन धन्य हो गया है। यहां का कण-कण भगवान वासुपूज्य के पवित्र चरणों से पावन है। इस महत्वपूर्ण जैन तीर्थस्थली और प्रभु वासुपूज्य की तप-साधना व मोक्ष धरा पर शीश नवाकर स्वयं को सौभाग्यशाली महसूस कर रहे हैं। 50 जैन साध्वियों की सेवा के लिए लगभग 200 श्रद्धालुओं का समूह भी साथ मंदार क्षेत्र प्रबंधक पवन कुमार जैन ने बताया कि माता जी संघ की आहारचर्या कार्यालय मंदिर में विधिपूर्वक सम्पन्न हुई। विश्राम पर्वत की तलहटी स्थित जैन मंदिर में किया गया । उन्होंने जानकारी दी कि गुरुवार को यह संघ भगवान वासुपूज्य स्वामी की जन्मस्थली चम्पापुर, भागलपुर के लिए प्रस्थान करेगा। संघ में शामिल 50 जैन साध्वियों की सेवा के लिए लगभग 200 श्रद्धालुओं का समूह भी साथ चल रहा है, जिनका मंदार जैन कमिटी की ओर से भव्य स्वागत किया गया। पुलिस सुरक्षा बढ़ाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया क्षेत्र प्रबंधक ने बढ़ती तीर्थयात्रियों की संख्या को देखते हुए मंदार पर्वत शिखर पर पुलिस सुरक्षा बढ़ाने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि देश के विभिन्न हिस्सों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु यहाँ पहुँच रहे हैं, ऐसे में सुरक्षा व्यवस्था का सुदृढ़ होना अत्यंत आवश्यक है, ताकि श्रद्धालु बिना किसी असुविधा के दर्शन और साधना कर सकें। आमजन को आत्मसंयम और अहिंसा का संदेश गुरुभक्त प्रवीण जैन ने बताया कि इस पदयात्रा का मुख्य उद्देश्य जैन धर्म के मूल सिद्धांतों अहिंसा, साधना, संयम और शांति-संदेश को समाज तक पहुंचाना है। उन्होंने कहा कि जैन साधु-साध्वियां पैदल यात्रा करते हुए मौन, संयम और कठोर तपस्या के साथ आगे बढ़ते हैं, जो न केवल धार्मिक अनुशासन का प्रतीक है बल्कि आमजन को आत्मसंयम और अहिंसा का संदेश भी देता है। आध्यात्मिक चेतना और भक्ति भाव से गुलजार हो उठी मंदारगिरी की धरती जैन साधु-संतों और तीर्थयात्रियों के इस पावन आगमन से मंदारगिरी की धरती एक बार फिर आध्यात्मिक चेतना और भक्ति भाव से गुलजार हो उठी है। श्रद्धालुओं का मानना है कि ऐसे आयोजनों से न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलता है, बल्कि क्षेत्र की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पहचान भी और अधिक सुदृढ़ होती है।
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