भास्कर न्यूज | खगड़िया जिले के हृदय स्थल महेशखूंट में 1990 के दशक में लाखों रुपये की लागत से निर्मित एकमात्र बस स्टैंड आज बदहाली का शिकार हो चुका है। कभी यात्रियों की सुविधा और सुव्यवस्थित यातायात का केंद्र रहा यह बस स्टैंड अब खंडहर में तब्दील हो गया है। वर्षों से मरम्मत और देखरेख के अभाव में इसकी हालत इतनी जर्जर हो चुकी है कि यहां बसों का ठहराव संभव नहीं रह गया है। नतीजतन वाहन चालकों को मजबूरी में महेशखूंट चौक पर ही बसें खड़ी करनी पड़ती हैं, जिससे आए दिन जाम लग रहा है और दुर्घटनाओं का खतरा लगातार बना हुआ है। इस बस स्टैंड का उद्घाटन तत्कालीन परिवहन मंत्री इंदर सिंह नामधारी ने किया था। उस समय इसे क्षेत्र के लिए एक बड़ी उपलब्धि माना गया था। यात्रियों के बैठने, बसों के ठहराव और सुरक्षित आवागमन के लिए यह महत्वपूर्ण केंद्र था। लेकिन दशकों की प्रशासनिक उपेक्षा ने इसकी तस्वीर पूरी तरह बदल दी है। आज बस स्टैंड की छतें टूट चुकी हैं, दीवारों में गहरी दरारें पड़ गई हैं और परिसर में जगह-जगह कचरे का अंबार लगा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि समय रहते इसकी मरम्मत नहीं कराई गई, तो यह पूरी तरह ध्वस्त हो सकता है। यहां दो एनएच का है संगम महेशखूंट चौक की स्थिति वैसे ही अत्यंत संवेदनशील है। यह एनएच-31 और एनएच-107 जैसे दो प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गों का संगम स्थल है। यहां से पटना, भागलपुर, पूर्णिया, कटिहार, सहरसा और मधेपुरा जैसे जिलों के लिए दिन-रात वाहनों का आवागमन होता है। बस स्टैंड के उपयोग में न होने के कारण बसें, टोटो और अन्य वाहन सड़क किनारे और चौक पर ही खड़े रहते हैं। इससे न केवल लंबा जाम लगता है, बल्कि पैदल यात्रियों, स्कूली बच्चों और बुजुर्गों के लिए भी हालात बेहद खतरनाक हो जाते हैं। स्थानीय निवासी राम कुमार बताते हैं कि रोजाना यहां जाम की समस्या रहती है। स्कूल जाने वाले बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग सबसे ज्यादा परेशान होते हैं। कई बार दुर्घटना होते-होते बचती है। बावजूद इसके प्रशासन की ओर से कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला जा सका है। जिले के वरिष्ठ पदाधिकारी और प्रशासनिक अधिकारी भी इसी मार्ग से होकर गुजरते हैं, लेकिन बस स्टैंड की दुर्दशा पर अब तक ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई है। पूर्व में गोगरी के तत्कालीन एसडीओ अब्दुल मन्नान ने अपने कार्यकाल के दौरान बस स्टैंड की मरम्मत को लेकर पहल की थी। लेकिन उनके स्थानांतरण के बाद यह योजना फाइलों में ही सिमट कर रह गई। स्थानीय लोगों का आरोप है कि प्रशासनिक उदासीनता के कारण समस्या जस की तस बनी हुई है। हाल ही में जिला प्रशासन के निर्देश पर महेशखूंट चौक पर अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया गया। इससे यातायात व्यवस्था में थोड़ी राहत जरूर मिली, लेकिन बस स्टैंड चालू न होने के कारण समस्या पूरी तरह खत्म नहीं हो सकी। यात्रियों को अब भी सड़क किनारे खड़े होकर बसों का इंतजार करना पड़ता है, जो असुरक्षित है। बारिश और ठंड के मौसम में परेशानी और बढ़ जाती है। स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता सुनीता देवी का कहना है कि यदि बस स्टैंड की मरम्मत कर इसे चालू कर दिया जाए, तो जाम और दुर्घटनाओं से काफी हद तक राहत मिल सकती है। वहीं व्यापारी संघ के पदाधिकारियों का भी मानना है कि बस स्टैंड का पुनर्निर्माण क्षेत्र के आर्थिक विकास के लिए जरूरी है। बजट आवंटन की प्रक्रिया चल रही प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार बस स्टैंड की मरम्मत के लिए बजट आवंटन की प्रक्रिया चल रही है, लेकिन अब तक कोई ठोस प्रगति नहीं हो सकी है। जिला परिवहन कार्यालय का कहना है कि समस्या के समाधान के प्रयास किए जा रहे हैं। हालांकि स्थानीय लोग अब केवल आश्वासन नहीं, बल्कि जल्द से जल्द ठोस कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। यदि बस स्टैंड को दुरुस्त कर वाहनों के ठहराव की व्यवस्था कर दी जाए, तो महेशखूंट चौक की यातायात व्यवस्था काफी हद तक सुधर सकती है और हजारों यात्रियों को राहत मिल सकती है।
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