बरेली में लोक आस्था का महापर्व छठ शनिवार को नहाय-खाय के साथ शुरू हो गया। बिहार और पूर्वांचल मूल के परिवारों ने इस पारंपरिक पर्व की शुरुआत पूरे उत्साह और श्रद्धा के साथ की। पर्व के पहले दिन व्रती महिलाओं ने सुबह घरों की साफ-सफाई कर स्नान किया और पवित्र मन से व्रत का संकल्प लिया। परंपरा के अनुसार, उन्होंने चने की दाल, लौकी की सब्जी और चावल का सात्विक भोजन ग्रहण कर परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की। पूरे शहर में छठ की रौनक
शहर में छठ की रौनक साफ नजर आ रही है। यूनिवर्सिटी कैंपस, इज्जतनगर स्थित शिव पार्वती मंदिर, बदायूं रोड और कैंट क्षेत्र में छठ पूजा की भव्य तैयारियां चल रही हैं। पूजा स्थलों को रंगीन लाइटों, फूलों और तोरणों से सजाया गया है। महिलाएं पारंपरिक छठ गीतों के साथ सूर्य देव की उपासना कर रही हैं। व्रती महिलाओं ने प्रसाद की तैयारी भी शुरू कर दी है। सेब, केला, अमरूद, अनानास जैसे फलों से सजी डलियां श्रद्धा और आस्था का प्रतीक बनी हुई हैं। छठ पर्व में सात्विकता और शुद्धता का विशेष महत्व है, इसलिए प्रसाद बनाने में मिट्टी के नए चूल्हे और आम की लकड़ियों का उपयोग किया जा रहा है। आज खरना, कल अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य
नहाय-खाय के बाद रविवार को खरना का आयोजन होगा। इस दिन व्रती महिलाएं गुड़, चावल और दूध से बनी खीर का प्रसाद तैयार कर छठी मैया को अर्पित करेंगी। इसके बाद 36 घंटे का निर्जल व्रत शुरू होगा।
सोमवार को व्रती डूबते सूर्य को अर्घ्य देंगी, जबकि मंगलवार की सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य अर्पित कर व्रत का पारण करेंगी।
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