गुजरात के राजकोट जिले के आटकोट क्षेत्र में 6 वर्षीय बच्ची से दुष्कर्म के आरोपी का पुलिस ने शॉर्ट एनकाउंटर किया है। आरोपी ने रिमांड के दौरान पुलिस पर धारदार हथियार से हमला कर दिया था। जवाबी कार्रवाई में पुलिस की दो राउंड फायरिंग की। इस दौरान आरोपी के दोनों पैरों में गोली लगी है। उसे इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है। पुलिस के अनुसार, आरोपी को सबूतों की बरामदगी के लिए घटनास्थल ले जाया गया था। इसी दौरान उसने भागने की कोशिश करते हुए लोहे के धारदार हथियार से पुलिस टीम पर हमला कर दिया। हमले में LCB के एक जवान को हाथ में चोट आई। हालात को काबू में करने और आत्मरक्षा के लिए पुलिस को फायरिंग करनी पड़ी। इससे पहले आरोपी को कोर्ट में पेश कर 5 दिन के पुलिस रिमांड पर लिया गया था। पुलिस ने बताया कि वारदात में इस्तेमाल किया गया हथियार खेत में फेंकने की जानकारी आरोपी ने ही दी थी, जिसके बाद उसे पंचों के साथ मौके पर ले जाया गया था। एसपी विजय सिंह गुर्जर ने कहा कि आरोपी ने बच्ची को देखकर विकृत मानसिकता में यह अपराध किया था। मामले में आरोपी के खिलाफ गंभीर धाराओं में केस दर्ज कर आगे की जांच जारी है। बता दें कि आटकोट के पास कानपर गांव की सीमा में दिल्ली निर्भया कांड जैसी बेहद क्रूर और अमानवीय घटना सामने आई थी। खेत में खेल रही 6 साल की मासूम बच्ची को एक खेत मजदूर झाड़ियों में खींच ले गया। दुष्कर्म के बाद उसके साथ की हैवानियत की सारी हदें पार कर दीं। आरोपी ने रेप के बाद उसके प्राइवेट पार्ट में रॉड घोंप दी थी। आरोपी मध्यप्रदेश के आलीराजपुर का रहने वाला है। घटना के कुछ ही घंटों में पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया था। 10 संदिग्धों की लाइनअप, बच्ची ने आरोपी को पहचाना
राजकोट ग्रामीण एसपी विजय सिंह गुर्जर के मुताबिक पीड़िता मूल रूप से दाहोद जिले की रहने वाली है। परिवार खेतों में मजदूरी करता है। आरोपी ने दुष्कर्म के बाद बच्ची के प्राइवेट पार्ट में रॉड घोंप दी, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गई। बच्ची दर्द से कराहती रही, लेकिन आरोपी उसे वहीं लहूलुहान हालत में छोड़कर फरार हो गया। पुलिस ने 10 टीम बनाकर 10 किलोमीटर के दायरे में लगे CCTV खंगाले। 10 संदिग्ध सामने आए। चाइल्ड काउंसलर, महिला पुलिस और डॉक्टर की मौजूदगी में बच्ची ने आरोपी रामसिंह तेजसिंह की पहचान की। 4 दिसंबर को क्या हुआ था?
आरोपी पास के खेत में मजदूरी करता था। उसी खेत में पीड़िता के मामा-मामी भी काम करते थे। दोपहर करीब 12 बजे बच्चे खेल रहे थे। आरोपी ने बच्ची को चॉकलेट का लालच देकर पानी की टंकी के पीछे ले गया। रेप की कोशिश असफल होने पर उसने प्राइवेट पार्ट में रॉड घोंप दी। बच्ची की हालत बिगड़ते ही वह भाग निकला। परिजनों ने बच्ची को अस्पताल में भर्ती कराया, तब पुलिस को सूचना दी गई। आरोपी खुद 13 साल की बेटी का पिता
आरोपी रामसिंह (30) मध्यप्रदेश के अलीराजपुर का निवासी है। उसके दो बेटे और एक 13 साल की बेटी है। घटनास्थल से एफएसएल टीम ने साक्ष्य जुटाए हैं। पीड़िता का मेडिकल कराया गया है। सरकार के निर्देश हैं कि जल्द चार्जशीट दाखिल कर सख्त सजा दिलाई जाए। मन में अचानक आई विकृति, कोई पूर्व योजना नहीं
पुलिस के अनुसार आरोपी ने पहले से कोई योजना नहीं बनाई थी। बच्ची को देखकर उसमें अचानक विकृति उत्पन्न हुई। आरोपी का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं मिला है। फिलहाल पॉक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया है, मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर और धाराएं जुड़ सकती हैं। घटना 4 दिसंबर की, मामला अब क्यों सामने आया?
शुरुआत में परिजनों को लगा कि बच्ची खेलते समय गिर गई है। अस्पताल में इलाज चलने के दौरान 24 घंटे महिला कॉन्स्टेबल तैनात रही। जब डॉक्टरों ने पुष्टि की कि बच्ची के साथ यौन उत्पीड़न हुआ है, तब एफआईआर दर्ज की गई। घटना के बाद आटकोट और आसपास के इलाकों में आक्रोश फैल गया है। लोग दोषी को फांसी जैसी सख्त सजा देने की मांग कर रहे हैं। पुलिस पूछताछ में आरोपी ने कबूला जुर्म
पुलिस पूछताछ में आरोपी ने स्वीकार किया कि उसने बच्ची के साथ दुष्कर्म का प्रयास किया। जब बच्ची ने विरोध किया तो उसने रॉड घोंप दी। आरोपी ने बच्ची का मुंह दबाकर वारदात को अंजाम दिया। बच्ची की हालत स्थिर, 2-3 दिन में डिस्चार्ज संभव
परिजनों को बच्ची खून से लथपथ हालत में खेत के पास मिली। पहले स्थानीय अस्पताल और फिर राजकोट के जनाना अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टरों के अनुसार बच्ची की हालत अब स्थिर है और 2–3 दिन में छुट्टी मिल सकती है। क्या है निर्भया कांड दिल्ली में 16 दिसंबर 2012 को 6 लोगों ने निर्भया के साथ गैंगरेप किया था। उसके गुप्तांग में लोहे की रॉड डाल दी थी। हालत गंभीर होने पर 27 दिसंबर को निर्भया को इलाज के लिए सिंगापुर ले जाया गया जहां 29 दिसंबर को माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में उसकी मौत हो गई थी। निर्भया के साथ गैंगरेप और हत्या के दोषी चार लोगों- मुकेश सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) को 20 मार्च को साल 2020 में दिल्ली की तिहाड़ जेल में फांसी दी गई। वहीं एक दोषी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में ही आत्महत्या कर ली थी। छठा आरोपी घटना के दौरान नाबालिग था। साल 2015 में उसे रिहा कर दिया गया था।
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