पूर्व सांसद व बिहार सरकार में मंत्री रहे नगीना राय हत्याकांड की मंगलवार को सुनवाई हुई। बचाव पक्ष की ओर से वरीय अधिवक्ता इष्टदेव तिवारी व अनिल दुबे जबकि अभियोजन की ओर से अधिवक्ता वेद प्रकाश तिवारी उपस्थित हुए। कोर्ट में केस की सुनवाई शुरू हुई तो इष्टदेव तिवारी ने कोर्ट को बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में राइफल की गोली का इंज्यूरी नहीं है। एसएसबीएल बंदूक से गोली चलने की बात है।इसका विरोध करते हुए वेद प्रकाश तिवारी ने कहा कि यह मान रहे कि मौके पर मौजूद थे। जिसे इंकार करते हुए वरीय अधिवक्ता ने कहा कि पुलिस की ओर से मृत्यु समीक्षा रिपोर्ट को दूसरे दिन दर्ज किया जाता है। गोपालपुर गांव के रहने वाले पूर्व सांसद, मंत्री नगीना राय 10 अप्रैल 1991 की शाम छह बजे पटना से गोपालगंज आए। जहां को-ऑपरेटिव बैंक में कुछ लोगों से मिलने के बाद घर जाने के लिए निकले। शाम छह बजे कुचायकोट थाना क्षेत्र के भोपतपुर गांव में पहुंचे। उसी दौरान एक पंडित ने नेताजी को रोक कर आगाह किया कि कुछ बदमाश मारने को उतारू है। जीप चला रहे अपने भतीजा ओम प्रकाश राय से कहे कि आगे बढो। आगे बढ़ते ही मेन रोड पर गन्ना लदा बैलगाड़ी खराब था। जीप रुकते ही कुछ लोगों को देख जाम को हटाने के लिए नेताजी जैसे उतरे कि परमात्मा चौबे ने राइफल व ब्रज भूषण चौबे ने बंदूक से गोली मार दिया। गोली लगने के बाद सांसद को इलाज के लिए सदर अस्पताल ले जाने के दौरान मौत हो गई थीं।
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