यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब इस घटना ने न केवल बांग्लादेश के भीतर बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, विशेषकर भारत में भी गहरी चिंता पैदा कर दी थी. 25 वर्षीय दीपू दास की 18 दिसंबर को मयमनसिंह में भीड़ द्वारा पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी और बाद में उनके शव को आग के हवाले कर दिया गया था.
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