‘फर्रुखाबाद SP को हिरासत में लो’, हाई कोर्ट के जज ने आरती सिंह से कहा- आप किसी को धमका नहीं सकतीं

‘फर्रुखाबाद SP को हिरासत में लो’, हाई कोर्ट के जज ने आरती सिंह से कहा- आप किसी को धमका नहीं सकतीं

उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था और पुलिस प्रशासन पर एक बार फिर न्यायिक छाया पड़ गई है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2017 बैच की आईपीएस अधिकारी और फर्रुखाबाद की वर्तमान पुलिस अधीक्षक (एसपी) आरती सिंह को तत्काल हिरासत में लेने का कड़ा निर्देश जारी किया है. यह आदेश कोर्ट नंबर 43 में न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने मंगलवार को दोपहर 2 बजे सुनाया, जो एक हैबियस कॉर्पस (बंदी प्रत्यक्षीकरण) याचिका से जुड़ा है. याचिकाकर्ता ने एसपी आरती सिंह पर धमकी देकर मामले को वापस लेने का दबाव बनाने का गंभीर आरोप लगाया है, जिसे अदालत ने प्रथम दृष्टया न्यायिक प्रक्रिया में हस्तक्षेप के रूप में माना.

मूल प्रकरण एक हैबियस कॉर्पस याचिका से संबंधित है, जिसमें याचिकाकर्ता ने अदालत से गुहार लगाई थी कि उनका कोई करीबी संभवतः पत्नी, बहन या बच्चा पुलिस या प्रशासनिक दबाव में गायब हो गया है या अवैध हिरासत में है. ऐसे मामलों में अदालतें पुलिस अधिकारियों से रिपोर्ट मांगकर व्यक्ति की लोकेशन का पता लगाने और न्याय सुनिश्चित करने का प्रयास करती हैं. लेकिन इस केस में ट्विस्ट तब आया जब याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि फर्रुखाबाद एसपी आरती सिंह से मिलने पर उन्हें धमकाया गया.

याचिका वापस लेने का दबाव बनाया गया. याचिकाकर्ता के बयान और पेश किए गए तथ्यों को गंभीरता से लेते हुए न्यायमूर्ति जेजे मुनीर ने कहा कि यह आईपीएस अधिकारी का व्यवहार न्यायिक प्रक्रिया को प्रभावित करने वाला प्रतीत होता है. अदालत ने इसे ‘प्रथम दृष्टया’ (प्राइमा फेसी) गंभीर अपराध मानते हुए तत्काल हिरासत का आदेश दिया.

कोर्ट का कड़ा रुख

अदालत ने पूरे घटनाक्रम पर तीखी टिप्पणी की और दोपहर 2 बजे ही आरती सिंह को हिरासत में लेने के निर्देश दिए. इसके बाद, राज्य सरकार की दलीलें सुनने के लिए मामला दोपहर 3:45 बजे दोबारा सुनवाई के लिए निर्धारित कर दिया गया. कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को स्पष्ट करने का आदेश दिया कि याचिकाकर्ता को धमकाने के आरोपों में कितनी सच्चाई है? एसपी आरती सिंह के खिलाफ विभागीय जांच या कानूनी कार्रवाई की जा रही है या नहीं?

यह आदेश न केवल पुलिस महकमे के लिए झटका है, बल्कि यह दर्शाता है कि उच्च न्यायालय अवैध हिरासत और प्रशासनिक दुरुपयोग के मामलों में किसी भी स्तर के अधिकारी को बख्शने को तैयार नहीं.

पुलिस प्रशासन में हड़कंप

इस फैसले के बाद फर्रुखाबाद से लेकर लखनऊ तक प्रशासनिक हलकों में हलचल मच गई है. आरती सिंह उत्तर प्रदेश की उन चुनिंदा महिला आईपीएस अधिकारियों में शुमार हैं, जिन्हें उनका ट्रैक रिकॉर्ड अब तक साफ-सुथरा और प्रभावी माना जाता रहा है. 2017 बैच की यह अधिकारी फर्रुखाबाद जिले की कमान संभाल रही थीं, जहां उन्होंने अपराध नियंत्रण और महिला सुरक्षा जैसे मुद्दों पर सक्रिय भूमिका निभाई थी. लेकिन हाईकोर्ट का यह आदेश उनके उज्ज्वल करियर पर काला धब्बा लगाने का खतरा पैदा कर सकता है. सूत्रों के अनुसार, डीजीपी मुख्यालय और मुख्यमंत्री कार्यालय में इस मामले पर आपात बैठकें हो रही हैं. राज्य सरकार कोर्ट में अपनी सफाई पेश करने की तैयारी में जुटी है, जबकि पुलिस महकमे में अफसरों के बीच यह चर्चा का विषय बन गया है कि क्या यह मामला राजनीतिक रंग ले लेगा.

कानून व्यवस्था पर सवाल

यह घटना उत्तर प्रदेश पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर एक बार फिर सवाल खड़े करती है. हाल ही के वर्षों में कई ऐसे मामले सामने आए हैं, जहां वरिष्ठ अधिकारीयों पर दबाव डालने या याचिकाओं को दबाने के आरोप लगे हैं. इलाहाबाद हाईकोर्ट का यह कदम न केवल आरोपी अधिकारी के लिए बल्कि पूरे सिस्टम के लिए एक चेतावनी है.

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