बीएनएसएस की धारा 356 में प्रावधान बिहार ट्रायल इन एब्सेंशिया (आरोपी की अनुपस्थिति में मुकदमा चलाना) शुरू करने वाला पहला राज्य बन गया है। देशभर में जुलाई 2024 में तीन नए आपराधिक कानून लागू होने के बाद किसी अन्य राज्य ने इस तरह का ट्रायल शुरू नहीं किया है। बीएनएसएस की धारा 356 में यह प्रावधान है कि जिस केस में 10 साल से अधिक की सजा हो सकती है, उसमें अगर कोई आरोपी गिरफ्तार नहीं होता है, तब भी उसके खिलाफ ट्रायल चलेगा। बांका में हत्या के एक मामले में 7 आरोपियों के खिलाफ केस दर्ज हुआ था। इनमें पांच को ही पुलिस ने गिरफ्तार किया था। लेकिन, फरार चल रहे दो आरोपियों के खिलाफ भी ट्रायल चलाया जा रहा है। सुपौल में भी लूट के मामले में फरार आरोपियों के खिलाफ ट्रायल इन एब्सेंशिया शुरू कराने के लिए पुलिस ने कोर्ट में आवेदन दिया है। ट्रायल इन एब्सेंशिया से न्याय प्रणाली में तेजी आती है। पीड़ितों को जल्दी न्याय मिलता है। कोर्ट पर मामलों का बोझ कम होता है। ई-अभियोजन में बिहार दूसरे स्थान पर तीन नए आपराधिक कानून लागू होने के बाद ई-अभियोजन में बिहार देश में दूसरे स्थान पर है। यूपी पहले स्थान पर है। नए कानून के लागू होने के बाद राज्य के सभी जिलों में अभियोजन निदेशालय बनाए गए। कोर्ट में गवाहों को पेश कराने के लिए टीमें बनाई गई हैं। रोजाना गृह विभाग, पुलिस मुख्यालय से मॉनिटरिंग होती है। रोजाना कोर्ट में तैनात लोक अभियोजक, विशेष लोक अभियोजक, नियमित लोक अभियोजक गृह विभाग, अभियोजन और पुलिस मुख्यालय को जानकारी देते हैं कि कितने केस में ट्रायल शुरू हुआ, कितने में गवाह पेश किए, कितने केस में बेल रिजेक्ट कर दी गई और कितने केस में बेल मिली। इस साल नवंबर तक क्या हुआ राज्य के 1380 थानों की पुलिस ने 2 लाख 99 हजार 927 केस का निपटारा किया। संगीन अपराध और शराब के 1 लाख 5 हजार 291 कांडों में फैसला हुई। इनमें 1 लाख 43 हजार 878 अभियुक्तों को सजा सुनाई गई। इनमें 4 को मृत्युदंड, 1097 को आजीवन कारावास, 533 को 10 साल से अधिक की कैद, 1410 को 10 साल से कम और 2 साल से अधिक की कैद, 2917 को दो साल से कम की सजा हुई। 1,37,983 से बॉन्ड भरवाया गया अथवा जुर्माना किया गया। उत्पाद एवं मद्य निषेध अधिनियम के तहत 1,04,766 मामलों का निष्पादन हुआ। इनमें 97257 मामलों में 1,25,603 अभियुक्तों को सजा या जुर्माना किया गया। बिहार गवाह सुरक्षा के तहत 87 गवाहों को सुरक्षा दी गई। देशभर में कम समय में ट्रायल करा सजा दिलाने वाला बिहार पहला राज्य बना। गोपालगंज पुलिस ने स्पीडी ट्रायल कराकर 15 दिनों में आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा दिलाई। इससे पहले कम समय में सजा दिलाने का रिकॉर्ड सारण पुलिस का था। सारण पुलिस ने भी पिछले साल स्पीडी ट्रायल कराकर 48 दिनों में सजा दिलाई थी। इस साल अक्टूबर तक 30 माननीयों को सजा सुनाई गई इस साल अक्टूबर तक बिहार के पूर्व और वर्तमान सांसद, एमएलए, एमएलसी के खिलाफ चल रहे 986 मामलों के निपटारा किया गया। ये केस एमपी-एमएलए कोर्ट में चल रहे थे। इनमें 30 कांडों में सजा सुनाई गई। सभी जिलों की पुलिस को आदेश दिया गया है कि जिस संगीन केस में आरोपी फरार चल रहे हैं, उनपर ट्रायल शुरू कराने के लिए कोर्ट में आवेदन दें। देशभर में बिहार ने सबसे पहले ट्रायल इन एब्सेंशिया के तहत ट्रायल शुरू करा दिया है। अब इसमें और तेजी आएगी।-अरविंद चौधरी, अपर मुख्य सचिव, गृह विभाग
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