गया के फतेहपुर में मां सरस्वती शिशु क्लिनिक में इलाज के दौरान छह दिन के एक नवजात की मौत हो गई। परिजनों ने क्लिनिक संचालक और डॉक्टर पर इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया है। यह घटना फतेहपुर थाना क्षेत्र की है। यशपुर निवासी मृतक नवजात के पिता प्रवेश चौधरी ने बताया कि उनके बेटे का जन्म 15 नवंबर को पहाड़पुर स्थित एक नर्सिंग होम में हुआ था। प्रसव के बाद मां और बच्चे दोनों का इलाज पहाड़पुर के उसी नर्सिंग होम में डॉ. विवेक कुमार की देखरेख में चल रहा था। 19 नवंबर को बच्चे की तबीयत अचानक बिगड़ने लगी। इस पर डॉ. विवेक कुमार ने नवजात को मां सरस्वती शिशु क्लिनिक में भर्ती कराने की सलाह दी। इसके बाद बच्चे को उक्त क्लिनिक में भर्ती कराया गया। पिता प्रवेश चौधरी के अनुसार, क्लिनिक संचालक रवि कुमार ने इलाज के लिए उनसे 34 हजार रुपए जमा कराए। दो दिन तक नवजात की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। 21 नवंबर को पिता ने बच्चे को किसी बड़े अस्पताल में रेफर करने की बात कही, जिस पर डॉक्टर ने एम्बुलेंस से भेजने का आश्वासन दिया। एम्बुलेंस के किराए के तौर पर 2 हजार रुपए जमा कराए गए, लेकिन एम्बुलेंस आने में एक घंटे की देरी हो गई। इस दौरान बच्चे की तबीयत और बिगड़ गई। इसके बाद क्लिनिक संचालक रवि कुमार क्लिनिक बंद कर मौके से फरार हो गया। नवजात को गया ले जाने के दौरान रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। डॉक्टर बोले- मैं वहां मरीज नहीं देखता हूं प्रवेश चौधरी ने बताया कि क्लिनिक पर फतेहपुर सीएचसी में कार्यरत डॉक्टर प्रमोद कुमार निराला का नाम अंकित है,पर इलाज कोई कर रहा था। प्रवेश चौधरी ने अंकित नाम पर ही केस के लिए आवेदन दिया था। इधर प्रमोद कुमार निराला ने बताया कि उन्होंने किसी को भी अपने नाम का प्रयोग करने के लिए नहीं कहा है और ना ही वह फतेहपुर में कोई प्राइवेट क्लिनिक में बैठते हैं। पुलिस ने शिकायत दर्ज नहीं की प्रवेश चौधरी ने बताया कि नवजात की मौत के बाद उन्होंने फतेहपुर थाने में शिकायत दर्ज कराने के लिए आवेदन दिया। हालांकि, पुलिस ने उनके आवेदन को सही नहीं बताते हुए उन्हें फटकार लगाई और डॉक्टर के पिता का नाम व पता लिखकर नया आवेदन देने को कहा। पुलिस के इस रवैये से निराश होकर पिता ने नवजात के शव को गांव ले जाकर दफन कर दिया। पुलिस का बयान थाना प्रभारी राम कृपाल यादव ने बताया कि आवेदन में कुछ अशुद्धि थी इसके कारण आवेदन को बदलने के लिए कहा गया था। किसी भी पुलिस पदाधिकारी के द्वारा किसी को फटकार नहीं लगाया गया है। वहीं उन्होंने ने बताया कि शिकायतकर्ता दूसरी बार आवेदन लेकर नहीं आया है।
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