उत्तर प्रदेश की एक पॉक्सो अदालत ने नोएडा पुलिस को 11 साल की बच्ची से छेड़छाड़ के आरोपी एक सुरक्षा गार्ड के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया है। यह निर्देश तब आया जब अदालत ने पाया कि पुलिस ने बच्ची के बयान पर विचार किए बिना केवल गार्ड के बयान पर भरोसा करके मामला पहले ही बंद कर दिया था। अपने आदेश मे पॉक्सो न्यायाधीश विकास नागर ने नाबालिग का बयान दर्ज किया और कहा, सुनवाई के दौरान, मामले की पीड़िता इस अदालत के समक्ष पेश हुई और उसने प्रतिवादी संख्या 1 द्वारा उसके शरीर पर किए गए अपराध/घटना के बारे में बताया। पोक्सो अधिनियम के तहत, जब भी कोई बच्चा इस प्रकार की शिकायत दर्ज कराता है तो एफआईआर दर्ज की जानी चाहिए।
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जाँच अधिकारी को अन्य लोगों की भूमिका की भी जाँच करने का निर्देश
अदालत ने मुख्य आरोपी के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया और कहा कि अगर जाँच के दौरान अन्य लोग भी इसमें शामिल पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए। लड़की की माँ ने अपनी शिकायत में यह भी उल्लेख किया है कि अपार्टमेंट मालिक संघ के एक सदस्य के फ़ोन में गार्ड के साथ बच्ची की एक सेल्फी थी।
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परिवार ने आरोप लगाया है कि एक्सप्रेसवे थाने के एसएचओ सहित कुछ पुलिस अधिकारियों ने उन्हें मामले को आगे बढ़ाने से हतोत्साहित किया और मामले को “समाधान” करने का आग्रह किया। लड़की की माँ का कहना है कि एसएचओ ने 16 मार्च, 2025 को उनकी शिकायत लेने से इनकार कर दिया था, जब घटना उनके आवासीय क्षेत्र के पास एक निर्माणाधीन इमारत के पास हुई थी। उनका दावा है कि उन्होंने बार-बार अनुरोध करने के बाद ही शिकायत स्वीकार की और रसीद नहीं दी। बाद में एक महिला कांस्टेबल ने 1 मई, 2025 को बच्ची का बयान दर्ज किया, लेकिन उसके बाद कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई।
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