परिवार परामर्श केन्द्र में इन दिनों ऐसे-ऐसे मामले पहुंच रहे हैं कि काउंसलर भी हैरान हैं। कभी दिव्यांग पति पत्नी पर पत्नी धर्म न निभाने का आरोप लगाता है तो कहीं पति शिक्षिका पत्नी पर बेवफाई का इल्जाम जड़ देता है। आरोप-प्रत्यारोपों के इस दौर में काउंसलरों के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। टूटते रिश्तों को किसी तरह जोड़ना। रविवार को परामर्श केन्द्र में 90 दंपतियों को बुलाया गया था, जिनमें से केवल पांच ही जोड़े आपसी सहमति से साथ रहने को तैयार हुए। पहला मामला: पैसे के लालच में हुई शादी, अब विवाद बढ़ा शमशाबाद क्षेत्र की रहने वाली एक युवती का विवाह करीब तीन साल पहले चित्राहाट के युवक से हुआ था। लड़की के परिजन जानते थे कि लड़का दिव्यांग है, लेकिन खेती और आर्थिक स्थिति बेहतर होने के कारण रिश्ता तय कर दिया गया। अब इसी शादी में विवाद गहराया है। युवक और उसके परिजनों ने पत्नी पर “पत्नी धर्म न निभाने” और चरित्र पर उंगली उठाने के गंभीर आरोप लगाए हैं। मामला पुलिस तक पहुंचा तो परिवार परामर्श केन्द्र में सुलह की कोशिश शुरू हुई। पत्नी अब भी ससुराल में रहना चाहती है, लेकिन ससुराल पक्ष उसे स्वीकारने को तैयार नहीं। दूसरा मामला: शिक्षिका पर बेवफाई का आरोप, पति ने दिखाए सबूत दूसरा मामला एत्माद्दौला क्षेत्र का है। यहां करीब दस साल पहले शादीशुदा एक शिक्षिका पर उसके पति ने बेवफाई का आरोप लगाया है। पति का कहना है कि उसकी पत्नी के स्कूल के एक बाबू से प्रेम संबंध हैं। परेशान पति ने पुलिस से न्याय की गुहार लगाई, जबकि पत्नी ने सारे आरोपों को निराधार बताया। काउंसलिंग के दौरान पति ने पत्नी के संबंधों के सबूत भी पेश किए, जिससे मामला और उलझ गया। परामर्श केन्द्र में आए कई मामलों ने काउंसलरों को भी असमंजस में डाल दिया है। एक ओर जहां परिवार टूटने की कगार पर हैं, वहीं दूसरी ओर काउंसलर पूरी कोशिश कर रहे हैं कि समझौते से रिश्ते बच सकें। रविवार को बुलाए गए 90 जोड़ों में से केवल पांच के बीच सुलह हो सकी।
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