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पूर्व CJI गवई बोले- हिंदू विरोधी होने के आरोप गलत:जूता फेंकने वाले को उसी पल माफ किया, कोर्ट किसी के दबाव में काम नहीं करतीं

पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया बीआर गवई ने मंगलवार को कहा कि अदालत में हुई जूता फेंकने की कोशिश वाली घटना का उन पर कोई असर नहीं पड़ा। उन्हें हिंदू-विरोधी बताए जाने के आरोप पूरी तरह गलत हैं। एक न्यूज चैनल से बातचीत में गवई ने कहा कि जिस शख्स ने उन पर जूता फेंका, उसे उन्होंने उसी समय माफ कर दिया था। उन्होंने बताया कि यह प्रतिक्रिया उनकी परवरिश और परिवार से सीखे मूल्यों का परिणाम है। कानून की शान सजा में नहीं, बल्कि माफ करने में है। उन्होंने कहा कि अपने कार्यकाल में उन्होंने सिर्फ कानून और सेक्युलरिज्म के उसूलों को बनाए रखने पर ध्यान दिया था। गवई ने स्पष्ट किया कि उनकी अंतरात्मा साफ है और वे सभी धर्मों का सम्मान करते हैं। गवई की बातचीत की प्रमुख बातें… CJI बीआर गवई का कार्यकाल 23 नवंबर को खत्म हुआ। इसके बाद जस्टिस सूर्यकांत ने 24 नवंबर को देश के 53वें मुख्य न्यायाधीश (CJI) के रूप में शपथ ली थी। जस्टिस सूर्यकांत 9 फरवरी 2027 को रिटायर होंगे और उनका कार्यकाल लगभग 14 महीने का होगा। 6 अक्टूबर: सुप्रीम कोर्ट के वकील ने जूता फेंकने की कोशिश की थी 16 सितंबर को मध्य प्रदेश में टूटी हुई विष्णु मूर्ति की याचिका पर सुनवाई के दौरान गवई के जाओ और भगवान से पूछो वाले बयान को लेकर विवाद हुआ था। 6 अक्टूबर को कोर्टरूम में आरोपी राकेश किशोर ने उन्हें सनातन धर्म का अपमान करने वाला बताते हुए नारे लगाए थे और जूता फेंकने की कोशिश की थी। पुलिस ने 3 घंटे पूछताछ के बाद वकील को छोड़ा था जूता फेंकने वाले वकील को पुलिस ने हिरासत में लेने के बाद सुप्रीम कोर्ट कैंपस में 3 घंटे पूछताछ की थी। पुलिस ने कहा कि SC अधिकारियों ने मामले में कोई शिकायत नहीं की। उनसे बातचीत के बाद वकील को छोड़ा गया। काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) ने भी आरोपी को तुरंत निलंबित कर दिया था। वहीं SCBA ने उसी दिन आरोपी वकील का लाइसेंस रद्द कर दिया था। उसका रजिस्ट्रेशन 2011 का था। —————————————- ये खबर भी पढ़ें… CJI गवई बोले- 40 साल की यात्रा से बेहद संतुष्ट हूं, न्यायपालिका की स्वतंत्रता संविधान की मूल संरचना है भारत के 52वें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) बीआर गवई का 21 नवंबर को आखिरी वर्किंग डे था। CJI गवई ने अपने अंतिम कार्य दिवस पर न्यायपालिका की स्वतंत्रता को संविधान की मूल संरचना बताते हुए कहा कि 2021 के ट्रिब्यूनल रिफॉर्म्स कानून की प्रमुख धाराओं को रद्द करने का फैसला इसी सिद्धांत पर आधारित था। पूरी खबर पढ़ें…


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