बिहार में नई सरकार के गठन के बाद शुरू हुए बुलडोजर एक्शन पर अब सियासत तेज हो गई है। कांग्रेस के पूर्व विधायक शकील अहमद खान ने सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए दावा किया कि अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई का सबसे ज्यादा असर गरीब और कमजोर तबके पर पड़ रहा है, जबकि बड़े रसूखदारों के अवैध कब्जों पर कोई हाथ नहीं डाल रहा। सम्राट चौधरी का नाम सम्मानजनक, अब बुलडोजर से जोड़ा कांग्रेस नेता ने बिहार के मंत्री सम्राट चौधरी पर निशाना साधते हुए कहा कि सम्राट जैसा सम्मानजनक नाम होने के बावजूद उन्हें अब बुलडोजर की राजनीति से जोड़ा जाने लगा है। उन्होंने कहा, यूपी से जो परंपरा आई है, उसमें सबसे पहले गरीबों के आशियाने उजाड़े जाते हैं। अगर अतिक्रमण हटाने का शौक है तो बड़े लोगों पर कार्रवाई करें, झोंपड़ियां क्यों तोड़ते हैं? शकील अहमद खान का कहना है कि किसी भी अतिक्रमण हटाने से पहले प्रभावित परिवारों के लिए ऑप्शनल व्यवस्था होनी चाहिए, अन्यथा यह सीधा अन्याय है। टीएमसी विधायक के बाबरी जैसे शिलान्यास पर भी दिए बयान पश्चिम बंगाल में टीएमसी से निलंबित विधायक हुमायूं कबीर द्वारा बाबरी मस्जिद जैसी संरचना की नींव रखने के मामले पर भी उन्होंने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा ऐसे संवेदनशील मामलों का राजनीतिक लाभ उठाती है। शकील ने कहा, 2019 में हुमायूं कबीर भाजपा के उम्मीदवार थे। भाजपा डायरेक्ट और इनडायरेक्ट दोनों तरह से ऐसे काम करवाती है, जिससे समाज में ध्रुवीकरण बढ़े। नफरत और कट्टरता जितनी बढ़ेगी, भाजपा को उतना राजनीतिक लाभ मिलेगा। भाजपा समाज को बांटकर राजनीति साधती है शकील अहमद खान ने आरोप लगाया कि भाजपा समाज को ध्रुवीकृत करने की रणनीति पर काम कर रही है। उनके अनुसार, ऐसी घटनाएं उसी एजेंडे को आगे बढ़ाती हैं और लोगों के बीच नफरत से राजनीतिक फायदा लिया जाता है। बिहार में अतिक्रमण हटाने की हालिया कार्यवाहियों को लेकर विपक्ष लगातार सरकार पर हमलावर है। बुलडोजर एक्शन आने वाले दिनों में और बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है।
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