डुमरांव से भाकपा माले के पूर्व विधायक अजीत कुशवाहा ने राज्य और केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने आरोप लगाया कि समाज में जानबूझकर भ्रम फैलाया जा रहा है और हर घटना को धर्म व जाति से जोड़कर देखा जा रहा है, जिससे न्याय की बात करना मुश्किल हो गया है। अजीत कुशवाहा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर निशाना साधते हुए कहा कि नियुक्ति पत्र वितरण के दौरान एक महिला डॉक्टर का हिजाब खींचना बेहद आपत्तिजनक है। उन्होंने कहा कि यदि मुख्यमंत्री को चेहरा देखना था, तो वे किसी महिला अधिकारी से शालीनता से अनुरोध कर सकते थे। किसी महिला के साथ इस तरह का व्यवहार किसी भी स्थिति में उचित नहीं ठहराया जा सकता। महिला सम्मान से जुड़ा मामला पूर्व विधायक ने जोर दिया कि यह मामला केवल एक समुदाय से नहीं, बल्कि महिला सम्मान से जुड़ा है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब सरकार एक अल्पसंख्यक समुदाय की महिला को सुरक्षा और सम्मान नहीं दे पा रही है, तो उद्योग और बेहतर माहौल के दावे कैसे किए जा रहे हैं। उन्होंने सोशल मीडिया के दौर में छोटे-छोटे कामों का बढ़ा-चढ़ाकर श्रेय लेने की होड़ पर भी टिप्पणी की। कुशवाहा ने कहा कि नियुक्ति पत्र बांटना कोई नई बात नहीं है; पहले भी लोग परीक्षा और साक्षात्कार के बाद नियुक्त होते थे और नियुक्ति पत्र डाक से घर पहुंच जाते थे। उन्होंने मुख्यमंत्री पर तंज कसते हुए कहा कि वे यह भूल जाते हैं कि वे बिहार के मुख्यमंत्री हैं। कुशवाहा ने कहा कि मुख्यमंत्री को केवल उस महिला से ही नहीं, बल्कि देश की तमाम महिलाओं से माफी मांगनी चाहिए। अजीत कुशवाहा ने मनरेगा पर नए कानून को लेकर भी सरकार पर हमला किया। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) में मजदूरों को पहले से ही 100 दिन का काम नहीं मिल पा रहा था। योजना का नाम बदलकर किया जा रहा कमजोर उन्होंने आरोप लगाया कि अब योजना का नाम और नियम बदलकर उसे कमजोर किया जा रहा है। कुशवाहा ने कहा, “शराब वही है, बोतल वही है, सिर्फ रैपर बदला गया है।” उन्होंने सवाल किया कि सरकार को महात्मा गांधी के नाम से क्या आपत्ति है। उन्होंने कहा कि केंद्र-राज्य हिस्सेदारी बदलकर अब राज्यों पर अतिरिक्त बोझ डाला जा रहा है और यह तय किया जाएगा कि मनरेगा किन राज्यों में चलेगा। इसका मतलब है कि जनता को पूरी तरह केंद्र पर निर्भर बना दिया जाए। कुल मिलाकर सरकार इस योजना का “राम नाम सत्य” करने में जुटी है। अजीत कुशवाहा ने अंत में कहा कि इस पूरे मसले पर समाज के हर वर्ग को एकजुट होना होगा, क्योंकि यह सवाल सिर्फ राजनीति का नहीं, बल्कि सम्मान, न्याय और लोकतंत्र का है।
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