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पूर्णिया में क्रिसमस पर 108 लोगों ने छोड़ा ईसाई धर्म:एक दशक पहले धर्म परिवर्तन किया था, 19 परिवार के सदस्यों ने एक साथ की घर वापसी

पूर्णिया के बनमनखी में में क्रिसमस पर बड़ा धार्मिक आयोजन हुआ। 19 परिवारों के 108 लोगों को हिंदू धर्म में घर वापसी कराई गई। सभी ने 10 से 12 साल पहले ईसाई धर्म अपना लिया था। करीब एक दशक बाद दोबारा से सनातन धर्म अपनाया। विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल की ओर से क्रिसमस पर आयोजित परावर्तन यज्ञ में मूल सनातन धर्म में घर वापसी की। हालांकि हिंदू संगठन इस आयोजन को स्वामी श्रद्धानंद बलिदान दिवस से जोड़ रहे हैं। घर वापसी से पहले इनका सामूहिक रूप से शुद्धिकरण हुआ। विधिवत वैदिक मंत्रोच्चार, हवन-पूजन और धार्मिक अनुष्ठान की देर रात तक चली प्रक्रिया के बाद सभी को हिंदू धर्मावलंबी की मान्यता दी गई। सामाजिक एकता को मजबूत करने का संकल्प कार्यक्रम की शुरुआत वैदिक मंत्रों के उच्चारण और हवन से हुई, जिसमें सभी परिवारों ने पूरे श्रद्धा और भावनात्मक जुड़ाव के साथ हिस्सा लिया। आयोजन स्थल पर जय श्रीराम और सनातन धर्म की जय के उद्घोष से पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया। सभी परिवारों ने सनातन परंपराओं के पालन और सामाजिक एकता को मजबूत करने का संकल्प लिया। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे बनमनखी प्रखंड अध्यक्ष गुड्डू चौधरी और विहिप के बिहार-झारखंड धर्म प्रसार प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा ने बताया कि ये सभी परिवार बीते कुछ वर्षों से ईसाई मिशनरियों के संपर्क में थे, लेकिन अब वापस अपनी सनातन परंपराओं और सांस्कृतिक मूल्यों की ओर लौट आए हैं। हिंदू धर्म में लौटने की इच्छा जताई थी उत्तर बिहार के धर्म प्रसार प्रमुख भानुप्रताप सिंह, सामाजिक समरसता प्रमुख रवि प्रकाश, पूर्णकालिक मौल बाबा, अशोक पोद्दार, मनोज चौधरी, जयप्रकाश यादव, चंदन राज, सुधीर यादव ने बताया कि संगठन से जुड़े लोगों ने बनमनखी में साल भर कैंप किया और सामाजिक, धार्मिक और आर्थिक हालातों को जानने की कोशिश की। इन परिवारों ने बताया कि 10 से 12 साल पहले मौजूदा हालात से परेशान होकर उन्होंने बहकावे में हिंदू धर्म त्यागकर ईसाई धर्म अपना लिया था। विहिप ने शीर्ष लेवल पर मंथन किया। संगठन के लोगों ने बातचीत की। इस पर सभी परिवारों ने वापस हिंदू धर्म में लौटने की इच्छा जताई। जिसके बाद स्वामी श्रद्धानंद बलिदान दिवस के मौके पर 19 परिवार के 108 लोगों का शुद्धिकरण कर सनातन धर्म मे वापसी कराई गई। ईसाई मिशनरी के चंगुल से मुक्त हुए ये सभी लोग दलित समाज से हैं। समाज के लोगों से संवाद के बाद लिया फैसला घर वापसी करने वाले परिवारों ने बताया कि समय के साथ उन्हें यह महसूस होने लगा था कि वे अपनी परंपराओं, रीति-रिवाजों और देवी-देवताओं से दूर होते जा रहे हैं। धार्मिक आयोजनों में सहभागिता और समाज के लोगों से संवाद के बाद अपने मूल धर्म में लौटने का निर्णय लिया। परिवारों का कहना है कि घर वापसी के बाद उन्हें मानसिक शांति, आत्मिक संतोष और सामाजिक अपनापन महसूस हो रहा है। परावर्तन यज्ञ के बाद विश्व हिन्दू परिषद की ओर से सभी परिवारों को विधिवत प्रमाण पत्र प्रदान किए गए। इसके साथ ही विहिप पूर्णिया और जिले के प्रसिद्ध चिकित्सक समाजसेवी डॉ. अनिल कुमार गुप्ता ने सभी सनातनियों के बीच वस्त्र और कंबल का वितरण किया गया। इसे क्रिसमस से जोड़ने पर आयोजकों ने कहा कि ये कार्यक्रम किसी धर्म का विरोध नहीं, बल्कि आत्मिक जागरण और सांस्कृतिक पुनर्जागरण का प्रतीक है। समाज के कमजोर और वंचित वर्गों को उनकी जड़ों से जोड़ना ही इसका उद्देश्य है।


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