पटना के पुस्तक मेले में आज 15 करोड़ की किताब ‘मैं’ का अनावरण हुआ। यह दुनिया की सबसे महंगी किताब मानी जा रही है। यह किताब 408 पन्ने की है, जिसमें 43 चैप्टर हैं। इस किताब को 3 घंटे 24 मिनट में लिखी गई है। यह एक जीवन दर्शन किताब है जिसे लेखक रत्नेश्वर ने लिखा है। इस ग्रंथ की रचना 6-7 सितंबर, 2006 ई. के ब्रह्म मुहूर्त सुबह 3 बजे से 6:24 बजे तक हुई। ज्ञान की परम अवस्था का आविष्कार है यह किताब लेखक रत्नेश्वर ने कहा कि इस ग्रंथ में ज्ञान की परम अवस्था का आविष्कार है। इस किताब में लोगों के मानने से लेकर जानने की यात्रा है। इस किताब को मैंने 3 घंटे 24 मिनट में लिखा है। इस किताब को लिखने के दौरान मैंने अपने शरीर के अंदर और बाहर की यात्रा की। मैंने ब्रह्मलोक की यात्रा की। मैं रासलीला का प्रत्यक्ष साक्षी बना। मेरे मुख से निकले शब्द साकार होने लगे। 21 दिनों में मैंने जो अपनी तीसरी आंखों से देखा, जो ध्यान-ज्ञान प्राप्त किया है, उसे मैंने इस ग्रंथ में उतारा है। पूरी दुनिया में फिलहाल तीन कॉपी ही उपलब्ध उन्होंने आगे कहा कि इसमें जिस तरह की वैज्ञानिकता लिखी गई है उसे समझना थोड़ा कठिन होगा। इस किताब को सिर्फ आप पढ़ेंगे नहीं बल्कि स्वयं को जानने में आगे बढ़ेंगे। यह एक ऐसी कथा है जिसमें सभी दुखों का अंत होता है। जहां व्यक्ति ईश्वर का दर्शन करता है और मणिकार के माध्यम से ‘मैं’ बनने के परम आनंद का अनुभव करता है। यह ग्रंथ कई जगह स्थापित किए जाएंगे। इस किताब की फिलहाल तीन कॉपी ही बनाई गई है जो पूरी दुनिया में उपलब्ध है। 11 लोग को यह ग्रंथ सौंपी जाएगी इसकी खोज जारी है।
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