किशनगंज में महानंदा नदी पर बना मौजाबाड़ी पुल अब यातायात की लाइफलाइन से ज्यादा जाम का कारण बन गया है। छह दशक पुराना यह सिंगल लेन पुल अररिया, बहादुरगंज, कोचाधामन और टेढ़ागाछ को जोड़ने का एकमात्र रास्ता है। बढ़ती आबादी और वाहनों की संख्या के कारण सुबह-शाम घंटों लंबा जाम लगना आम हो गया है। एंबुलेंस, स्कूली बच्चे और आम यात्री होते हैं परेशान इस जाम में एंबुलेंस स्कूली बच्चे और शादी के काफिले तक फंस जाते हैं, जिससे उन्हें धुएं और भूख-प्यास का सामना करना पड़ता है। स्थानीय लोगों का आरोप है कि प्रशासनिक अधिकारी इस समस्या को नजरअंदाज कर रहे हैं, जिससे यात्रियों का कीमती समय बर्बाद हो रहा है। पुल पर भारी वाहनों की आवाजाही के कारण छोटे वाहनों की लंबी कतारें लग जाती हैं। पुल के कारण हम बैठकों में भी समय पर नहीं पहुंच पाते बहादुरगंज के विधायक तौसीफ आलम ने इस मुद्दे पर गंभीर चिंता व्यक्त की। उन्होंने कहा, “इस पुल के कारण हम जिला मुख्यालय की महत्वपूर्ण बैठकों में भी समय पर नहीं पहुंच पाते। किशनगंज के डीएम, एसपी और एसडीएम, जिनकी कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी है, चुप्पी साधे बैठे हैं। जाम के कारण कई गर्भवती महिलाओं की मौत हो चुकी है। मैं इस मुद्दे को बिहार विधानसभा में जोरदार तरीके से उठाऊंगा।” दूसरी ओर, एसडीएम अनिकेत कुमार ने समस्या को स्वीकार करते हुए कहा कि उन्हें पूर्व में कई शिकायतें मिल चुकी हैं। उन्होंने बताया कि शाम के समय जाम की स्थिति बनी रहती है और सूचना मिलने पर जिला पुलिस व प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचकर जाम खुलवाते हैं। जिला प्रशासन ने ट्रैफिक मैनेजमेंट पर काम करने का दिया भरोसा उन्होंने कहा, “विस्तृत कार्य योजना तैयार की जा रही है। हमारा प्रयास रहेगा कि वहां पुलिस बल की प्रतिनियुक्ति की जाए और शाम के समय बड़े वाहनों पर अंकुश लगाया जाए, ताकि छोटे वाहन आसानी से निकल सकें।” स्थानीय निवासियों ने मांग की है कि इस पुराने पुल के अलावा एक समानांतर पुल का निर्माण तत्काल शुरू हो, ताकि क्षेत्रवासियों को राहत मिल सके। फिलहाल, जिला प्रशासन ने ट्रैफिक मैनेजमेंट के लिए कदम उठाने का भरोसा दिलाया है, लेकिन ग्रामीणों का इंतजार जारी है। बल्कि क्षेत्र के विकास में भी बाधा बन रही है।
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