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पुलिस वाले पिता की हत्या करने वाले बेटे का कबूलनामा:वो कहते मैं किसी लायक नहीं हूं, कुछ नहीं कर सकता, सोचा-मारकर नौकरी ले लूंगा

‘मैं जानता हूं, लोग मुझे गलत कहेंगे, लेकिन सच यही है कि मैंने अपने पिता को मार दिया है। जिस आदमी ने वर्दी पहनकर पूरी जिंदगी नौकरी की, वही मेरे रास्ते की सबसे बड़ी रुकावट बन गए थे। मुझे लगा, अगर वो जिंदा रहे, तो नौकरी, पैसा और जमीन सब मेरी बहन के नाम चला जाएगा। इसलिए मैंने फैसला कर लिया कि उन्हें ही रास्ते से हटा देता हूं। वो हमेशा ताने मारते थे, तू किसी लायक नहीं, कुछ नहीं कर सकता। ये बात मुझे हमेशा चुभती रहती थी।’ ये कबूलनामा उस बेटे का है जिसने अपने पुलिस वाले पिता की गला रेतकर हत्या कर दी। मामला आरा (भोजपुर) का है। यहां झारखंड पुलिस के हवलदार पशुपतिनाथ तिवारी की हत्या उनके बेटे विशाल तिवारी ने दोस्त के साथ मिलकर कर दी थी। अनुकंपा नौकरी, रिटायरमेंट का पैसा और संपत्ति के लालच में सोते पिता का गला रेत दिया। पुलिस ने 5 दिन में मामले का खुलासा कर दिया है। बेटे ने बाप की हत्या की साजिश कैसे रची..? मां दोस्त इसके लिए कैसे राजी किया? पुलिस वाले पिता को मारा किस तरह से? पढ़िए रिपोर्ट…. मैं उनसे नफरत करने लगा था, उनकी बातें मुझे बहुत खराब लगती थीं हत्या के आरोपी विशाल तिवारी ने पुलिस की पूछताछ में बताया, ‘मेरे पिता झारखंड पुलिस में थे। घर में उनकी वर्दी का ही रौब चलता था। लोग उन्हें ईमानदार हवलदार कहते थे, लेकिन मेरे लिए वो हमेशा ऐसे आदमी रहे, जो मुझे नाकाम समझते थे। मैं नशे में पड़ गया था, इस बात को लेकर वो अकसर ताना मारा करते थे। मुझे सबसे ज्यादा चुभता था उनका यह कहना कि तू किसी लायक नहीं है। यही बात खटकती रहती थी और मेरी उनसे नफरत बढ़ती जा रही थी। पापा जनवरी 2026 में रिटायर होने वाले थे। घर में चर्चा हो रही थी रिटायरमेंट का पैसा, पीएफ, ग्रेच्युटी को कहीं सही जगह इन्वेस्ट करेंगे। बेटा तो इस लायक है नहीं कि चीजों को संभाल सके। मैं जानता था कि यही मौका है, अगर उनकी मौत हो जाए तो मुझे अनुकंपा पर नौकरी मिल जाएगी। यही नहीं पिता का पैसा, ग्रेच्युटी भी मिल जाएगी। इसी बीच घर में एक दिन पिता ने कहा कि अगर मैं कुछ नहीं करूंगा तो वे सारी संपत्ति बेटी के नाम कर देंगे। इससे मेरा गुस्सा और बढ़ गया। मुझे लगा, सब कुछ बहन को मिल जाएगा और मैं फिर खाली हाथ रह जाऊंगा।’ पापा जिंदा रहते तो मुझे कुछ नहीं मिलता विशाल ने पुलिस को बताया कि, ‘कुछ दिन बाद मुझे पता चला कि उन्होंने दो बीघा जमीन का एग्रीमेंट भी करा दिया है, बिना मुझसे पूछे। मैंने तय कर लिया कि अगर पापा जिंदा रहे, तो मेरा कुछ नहीं बचेगा। 19 दिसंबर की शाम मैं और मेरा दोस्त हजारीबाग से बाइक से निकले। रात करीब डेढ़ बजे गांव पहुंचे। घर के पास पेड़ के सहारे अंदर घुसे। पापा बरामदे में पलंग पर सो रहे थे। मेरे अंदर नफरत भरी हुई थी मैंने सीधे पहला वार चाकू से किया और गला रेत दिया। फिर दोस्त ने वार किया। देखते ही देखते वहां पूरा खून फैल गया। मुझे डर था, कहीं वो बच न जाएं। अगर बच गए, तो जमीन और संपत्ति तुरंत बहन के नाम कर देंगे। इसी डर में मैंने उनका दाहिना अंगूठा ही काट दिया। मुझे लगा अब सब खत्म। हम बाइक से भाग निकले। सोन नदी के पास चाकू और दस्ताने फेंक दिए। मैंने सोचा था कोई शक नहीं करेगा। लेकिन अंगूठा काटा जाना ही मेरी सबसे बड़ी गलती बन गया।’ बेटे ने मां को भी संदिग्ध बना दिया पूछताछ में विशाल ने कहा- ‘मेरी मां जानती थीं कि मेरा और पिता जी का तनाव बना रहता है। उन्हें पता था कि जमीन को लेकर विवाद है। मैंने उन्हें धमका दिया था, हत्या के बाद उन्होंने भी पुलिस को साफ जवाब नहीं दिए। इसलिए पुलिस मां को भी संदिग्ध मानकर पूछताछ कर रही है। पुलिस को लगता है कि कहीं हत्या में मां भी शामिल तो नहीं है।’ पहले भी रची गई थी पिता की हत्या की साजिश पुलिस जांच में जो सबसे चौंकाने वाली बात सामने आई है वो है ये है कि यह हत्या अचानक नहीं हुई। विशाल तिवारी अपने पिता पशुपतिनाथ तिवारी को मारने की पहले भी साजिश रच चुका था। करीब दो साल पहले विशाल ने अपने पिता को रास्ते से हटाने की एक योजना बनाई थी। उस वक्त उसने सीधे हत्या का तरीका नहीं चुना था, बल्कि इसे हादसा दिखाने की तैयारी की थी। योजना यह थी कि किसी तरह पिता की मौत सड़क दुर्घटना में हो जाए, ताकि शक किसी पर न जाए और अनुकंपा की नौकरी व संपत्ति का रास्ता भी साफ हो जाए। उस समय पशुपतिनाथ तिवारी झारखंड में पोस्टेड थे और अक्सर छुट्टी में गांव आते-जाते रहते थे। विशाल को उनके आने-जाने का रूट और समय पूरी तरह पता था। पुलिस जांच में सामने आया है कि विशाल ने एक बार पिता के बाइक से सफर के दौरान एक्सीडेंट करवाने की कोशिश की। उसने अपने कुछ जान-पहचान वालों के जरिए ऐसी स्थिति बनाने की कोशिश की, जिसमें रास्ते में हादसा हो जाए। लेकिन उस योजना में वह कामयाब नहीं हो सका। पशुपतिनाथ तिवारी बाल-बाल बच गए। उस घटना के बाद परिवार में तनाव और बढ़ गया। पिता को शक हुआ कि बेटा गलत संगत और नशे में बुरी तरह फंस चुका है। उन्होंने बेटे को फटकार लगाई और साफ शब्दों में कहा कि वह अपनी संपत्ति और फैसलों में अब बेटे को शामिल नहीं करेंगे। यही बात विशाल के लिए सबसे बड़ा झटका बन गई। मोबाइल लोकेशन से पकड़ा गया विशाल पुलिस पूछताछ में विशाल कई बार गोल-गोल बयानबाजी करता रहा। पुलिस जब भी उससे अंगूठे पर सवाल करती तो वह सही जवाब नहीं देता। पहले उसने बताया कि वह गांव में था फिर उसने कहा कि दोस्त के साथ गया था। इसके बाद पुलिस ने उस दोस्त को उठाया और कड़ाई से पूछताछ की तो सच सामने आने लगा। इसी बीच उसके मोबाइल की लोकेशन भी गांव में ही मिली। धीरे-धीरे सारी बातें खुलती चली गईं। पांच दिन में पुलिस ने पूरी कड़ियां जोड़ लीं और मामले का खुलासा कर दिया। पुलिस के मुताबिक, हत्या का मकसद अनुकंपा नौकरी, रिटायरमेंट फायदा और संपत्ति का था। आरोपी विशाल तिवारी नशे का आदी है और पिता से उसका विवाद चल रहा था। तकनीकी साक्ष्य, मोबाइल लोकेशन और सहयोगी आरोपी की स्वीकारोक्ति से केस सुलझाया गया।


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