‘अगर नीतीश बाबू हम लोगों से 10 हजार रुपए वापस चाहते हैं, तो कोई बात नहीं है। हम कर्ज लेकर भी सरकार का पैसा लौटा देंगे, लेकिन सरकार को भी हमारा वोट वापस करना होगा। हमने वोट नीतीश कुमार और अपने पसंद के नेता जाले से एनडीए के उम्मीदवार जीवेश कुमार को इस भरोसे पर दिया था कि सरकार गरीबों के लिए काम करेगी। अगर सरकार हमसे पैसा वापस ले रही है, तो पहले हमारा वोट भी वापस करे।’ ये बातें दरभंगा के जाले विधानसभा क्षेत्र के रहने वाले चार दिव्यांग और उनके परिवार के सदस्यों ने दैनिक भास्कर से बातचीत में कही है। दरअसल, बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले सीएम नीतीश ने ‘मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना’ के तहत महिलाओं के खाते में 10-10 हजार रुपए भेजना शुरू किया था। अब तक 1.20 करोड़ महिलाओं के खाते में ये राशि भेजी जा चुकी है। इसी बीच नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने अपने एक्स हैंडल पर एक नोटिस की फोटो शेयर की। सामने आया कि तकनीकी खामियों की वजह से मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत मिलने वाली 10-10 हजार रुपए की राशि दरभंगा जिले के 4 दिव्यांग पुरुष के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर कर दी गई। चारों दिव्यांगों ने दुर्गापूजा, दिवाली और छठ में इस पैसे को खर्च कर दिया। अब बिहार विधानसभा चुनाव के खत्म होने के बाद स्थानीय प्रशासन की ओर से चारों दिव्यांग को नोटिस जारी कर पैसा वापस करने को कहा गया है। आखिर 10-10 हजार रुपए की राशि चार लोगों के अकाउंट में कैसे और कब ट्रांसफर हुई। 10-10 हजार रुपए का चारों लोगों ने क्या किया, नोटिस के बाद उनका क्या कहना है? इन सवालों के जवाब जानने के लिए दैनिक भास्कर रिपोर्टर जाले प्रखंड पहुंचे। पढ़िए, पूरी रिपोर्ट… सबसे पहले नोटिस की कॉपी देखिए अब जानिए, नोटिस में क्या लिखा है… जिन चार दिव्यांग के बैंक अकाउंट में पैसे आए थे, उनमें कमतौल थाना क्षेत्र के अहियारी (अहिवारी) दक्षिणी पंचायत के रहने वाले नागेंद्र राम, बलराम सहनी, राम सागर यादव और ब्रह्मपुर गांव के रहने वाले फेकन पासवान शामिल हैं। चारों लोगों को जाले के जीविका बीपीएम यानी प्रखंड परियोजना प्रबंधक देवदत्त झा की ओर से जल्द से जल्द 10-10 हजार रुपए की राशि वापस करने का अनुरोध किया गया है। राशि जमा करने के लिए सरकारी बैंक अकाउंट की डिटेल भी दी गई है, जिसमें बैंक अकाउंट का नाम- BRLPS-DARBHANGA-NRLM-HOLDING लिखा है। बैंक अकाउंट नंबर 38093839831, जबकि IFSC: SBIN0012553 लिखा गया है। जीविका समूह के अधिकारी ने ये भी निर्देश दिया है कि राशि जमा करने के बाद उसकी रसीद या स्क्रीनशॉट बीपीआईयू, जाले कार्यालय में जमा किया जाए, ताकि रिकॉर्ड को अपडेट किया जा सके। बलिराम और नागेंद्र के घर की दो तस्वीरें देखिए… दरभंगा मुख्यालय से करीब 50 किलोमीटर दूर अहियारी गांव पहुंचने के बाद पता चला कि जिन लोगों को अकाउंट में मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना की राशि पहुंची है, वे महादलित समुदाय से आते हैं। उनकी आर्थिक हालत काफी खराब है। चारों लोग दिव्यांग हैं। इनके पास अपना खुद का जमीन भी नहीं है, बल्कि सरकार जमीन पर इंदिरा आवास और झोपड़ी बनाकर रहते हैं। कुछ के घर में तो पालतू जानवर और परिवार के सदस्य साथ ही रहते हैं। गांव के लोगों से जब चार लोगों के अकाउंट में पैसे आने के संबंध में बातचीत की गई, तो ग्रामीण मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जाले के विधायक जीवेश मिश्रा पर भड़क गए। कहा कि अगर सरकार पैसा चाहती है तो वे कर्ज लेकर लौटा देंगे, लेकिन सरकार को भी हमारा वोट वापस करना चाहिए। पैसा आया था, सोचा कि सरकार की ओर से पूजा में मदद मिली है बलिराम सहनी बताते हैं कि ‘मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना में तकनीकी खामी के कारण हमारे बैंक अकाउंट में 10 हजार रुपए आए थे, लेकिन अब उस 10 हजार की वजह से हम संकट में हैं। वे बताते हैं कि दुर्गापूजा, दिवाली और छठ के बीच मेरे बैंक अकाउंट में पैसे आए थे। इन पैसों से मैंने परिवार चलाने के लिए बकरी और बत्तख खरीद ली। जो पैसे बचे थे, उनसे पत्नी, बच्चों के लिए कपड़े खरीद लिए और त्योहार में खर्च कर दिए।’ बलिराम सहनी ने कहा कि ‘पैसे आने के करीब 3 महीने बाद डाक विभाग के जरिए नोटिस मिला कि 10 हजार रुपए वापस करने हैं। अगर सरकार को पैसा वापस ही लेना था तो पहले ही बता देती। हम उसी समय पैसा लौटा देते। अब अचानक पैसा मांगने से हम परेशान हैं। मैं दिव्यांग हूं। पंचायत में कचरा उठाने का ठेला चलाकर परिवार का भरण-पोषण करता हूं। कभी-कभी राजमिस्त्री के साथ मजदूरी भी कर लेता हूं। परिवार में पत्नी, माता-पिता और पांच छोटे बच्चे हैं और मैं परिवार का इकलौता कमाने वाला सदस्य हूं।” सरकार हमसे पैसा ले रही है, तो हमारा वोट भी वापस करे बलिराम सहनी ने कहा, “सरकार कह रही है कि पैसे लौटाइए, तो हम कर्ज लेकर भी पैसा दे देंगे। लेकिन हमने वोट नीतीश कुमार और स्थानीय प्रत्याशी जीवेश कुमार को इस भरोसे पर दिया था कि सरकार गरीबों के लिए काम करेगी। अगर सरकार हमसे पैसा वापस ले रही है, तो हमारा वोट भी वापस करे।” उन्होंने साफ कहा कि मैंने किसी योजना के तहत आवेदन नहीं किया था। पैसा अपने आप खाते में आया, इसलिए मैंने समझा कि ये सरकार की मदद है। अगर पहले बताया जाता कि पैसे गलती से आपके अकाउंट में चले गए हैं, तो हम उस पैसे को छूते भी नहीं, खर्च करना तो दूर की बात है। बलिराम सहनी ने सरकार से मांग की है कि गरीब और दिव्यांग लाभार्थियों की स्थिति को समझते हुए उनसे राशि वसूली पर पुनर्विचार किया जाए, ताकि उनका परिवार आर्थिक संकट में न फंसे। बेटे को दिव्यांग पेंशन मिलती है, सोचा उसी का पैसा आया है बलिराम सहनी की मां उर्मिला देवी ने बताया कि ‘मेरा बेटा दिव्यांग है, उसे पहले से दिव्यांग पेंशन मिलती है। जब मेरे बेटे के बैंक अकाउंट में 10 हजार रुपए आए, तो उसने मुझे बताया था। मुझे लगा था कि दिव्यांग पेंशन के तहत ही पैसा बढ़ाकर आया होगा। मेरे बेटे ने उस पैसे से बत्तख और बकरी खरीदी ताकि जीविका चला सके। कुछ पैसा बच्चों के कपड़ों, त्योहार में खर्च हो गया। अब तीन महीने बाद नोटिस आया है कि पैसा वापस करो, दिव्यांग आदमी कहां से देगा।” पेंशन की राशि चेक करने पहुंचा तो 10 हजार एक्स्ट्रा दिखे दूसरे दिव्यांग नागेंद्र राम ने बताया कि ‘जब मैं पेंशन की राशि जांचने बैंक गया, तब पता चला कि बैंक अकाउंट में 10 हजार रुपए एक्स्ट्रा हैं। त्योहार का समय था, बच्चों के कपड़े और पूजा-सामग्री में पैसा खर्च हो गया। सरकार बनने के दो-तीन महीने बाद नोटिस भेजा गया। ब्लॉक से लोग आकर धमका रहे हैं कि पैसा नहीं दिया तो क्रेडिट खराब हो जाएगा, लोन नहीं मिलेगा। आगर पहले ही जानकारी दी जाती तो वे पैसा निकालकर तुरंत लौटा देते।’ मेरे पति दिव्यांग हैं, मजदूरी करते हैं, कहां से इतना पैसा लाएंगे नागेंद्र राम की पत्नी प्रमिला देवी ने बताया कि ‘मेरे पति दिव्यांग हैं और मजदूरी कर परिवार चलाते हैं। सरकार को पैसा नहीं देना था तो नहीं देती, लेकिन अब जब मांग रही है तो हमारे पास देने के लिए कुछ नहीं है। चुनाव से पहले पैसा दिया, वोट ले लिया, अब सरकार बनते ही पैसा वापस मांग रहे हैं।’ नागेंद्र के बेटे पंकज कुमार राम ने कहा कि ‘मेरे पिता को भी बिना किसी जानकारी के 10 हजार रुपए मिले थे। अब डाक से नोटिस आया कि पैसा वापस करो। त्योहार में सारा खर्च हो गया। अगर पहले बताया जाता तो हम पैसा वापस कर देते।’ पीड़ित परिवारों का कहना है कि यह राशि उनकी मांग पर नहीं आई थी, बल्कि सरकारी गलती से बैंक अकाउंट में क्रेडिट हुआ है। अब महीनों बाद गरीब, दिव्यांग और महादलित परिवारों पर दबाव बनाना अन्याय है। सभी पीड़ितों ने राज्य सरकार और मुख्यमंत्री से मांग की है कि तकनीकी गलती से भेजी गई राशि को गरीब व दिव्यांग लाभार्थियों से वापस न लिया जाए और इसे माफ किया जाए, ताकि पहले से संकट झेल रहे परिवारों पर और बोझ न पड़े। वहीं, बाकी दो दिव्यांग राम सागर यादव और फेकन पासवान के घर पर कोई नहीं था। पड़ोसियों ने बताया कि वे रोजाना खाने-कमाने वाले लोग हैं, कभी मजदूरी करने गए होंगे। 10 हजार रुपए आए थे, मदद समझकर आंख मूंदकर नीतीश को वोट दिया गांव के सुंदेश्वर यादव बताते हैं कि ‘विधानसभा चुनाव के लिए वोटिंग से पहले सरकार की ओर से 10-10 हजार रुपए की सहायता राशि दी गई थी, जिस पर भरोसा कर हम लोगों ने आंख मूंदकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को वोट दिया। चुनाव खत्म हुआ, सरकार बन गई और अब वही सरकार हम गरीबों को 10 हजार रुपए वापस करने का नोटिस भेज रही है। जिनके पास नोटिस आया है, उनके पास रहने के लिए घर तक नहीं है। चार-पांच छोटे बच्चे हैं। जो पैसा मिला था, वो रोजमर्रा की जरूरतों, बच्चों के कपड़े और खाने-पीने में खर्च हो गया। अब इतनी बड़ी राशि लौटाने की स्थिति में नहीं हैं।’ हम लोगों को पता होता कि पैसा वापस मांग लेंगे तो दूसरे को वोट देते सुंदेश्वर यादव ने बताया कि ‘हम लोग सरकारी जमीन पर बसे हुए हैं, निजी जमीन तक नहीं है कि बेचकर पैसा लौटाया जा सके। इंदिरा आवास योजना के तहत जो घर मिला, वो भी अधूरा है, छत ढलाई नहीं हो सकी, ऊपर केवल टीन और कचरे से किसी तरह ढककर परिवार गुजर-बसर कर रहे हैं। इस राशि को माफ किया जाए और दिव्यांग और गरीब परिवारों को परेशान न किया जाए। हम लोगों को अगर पहले ही पता होता कि चुनाव के बाद यह पैसा वापस मांगा जाएगा, तो वे लोग नीतीश कुमार को वोट नहीं देते और किसी अन्य पार्टी को समर्थन देते।’ ग्रामीण कृष्णा सहनी ने कहा कि ‘गरीब और दिव्यांग परिवारों को दी गई राशि सरकार को माफ कर देनी चाहिए। पांच बच्चों का परिवार है, दिव्यांग आदमी है, न जमीन है न रोजगार। अब सरकार 10 हजार मांग रही है, यह कहां से आएगा।’ अब जानिए, जाले प्रखंड के बीपीएम देवदत्त झा ने क्या कहा? इस पूरे मामले पर जीविका जाले प्रखंड के बीपीएम देवदत्त झा ने बताया कि ‘ये क्लर्कियल और टेक्निकल गलती के कारण हुआ है। गलती से चार पुरुषों के बैंक अकाउंट में महिला रोजगार योजना की राशि ट्रांसफर हो गई। सभी संबंधित लोगों से राशि लौटाने का अनुरोध किया गया है।’ वहीं, जीविका के जिला संचार प्रबंधक राजा सागर ने बताया कि ‘जीविका के अंतर्गत दो प्रकार के समूह संचालित होते हैं- एक केवल महिला स्वयं सहायता समूह और दूसरा दिव्यांगजनों का समूह, जिसमें पुरुष सदस्य भी शामिल हो सकते हैं। लिस्ट मिलाने के दौरान गलती के कारण मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना की 10,000 रुपए की राशि कुछ दिव्यांग पुरुष सदस्यों के बैंक अकाउंट में भी चली गई। चूंकि ये राशि योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार केवल महिला लाभार्थियों के लिए थी, इसलिए विभाग की ओर से राशि वापसी की प्रक्रिया शुरू की गई है।’
https://ift.tt/OW3dfSm
🔗 Source:
Visit Original Article
📰 Curated by:
DNI News Live

Leave a Reply