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पिता-भाई की मौत के बाद करने लगा साइबर ठगी, फिर जितेंद्र के संपर्क में आया अमल

क्राइम रिपोर्टर|मोतिहारी साइबर पुलिस की पांच करोड़ से अधिक की साइबर ठगी में अंतरराज्यीय गिरोह के पकड़े गए तीन बदमाशों से पूछताछ में पुलिस को अहम जानकारी मिली है। गिरोह का मास्टरमाइंड लखनऊ का आलोक ठाकुर है। हालांकि, पकड़े गए बदमाशों को आलोक के चारबाग स्टेशन के अलावा अन्य ठिकानों की जानकारी नहीं है। तीनों बदमाश जितेंद्र, ओमप्रकाश व अमल प्रकाश से चारबाग स्टेशन स्थित एक होटल आलोक की होती थी मुलाकात। पांच करोड़ से अधिक के साइबर ठगी में गिरफ्तार सीतामढ़ी प्रेमनगर निवासी अमल प्रकाश पहले दिल्ली में मजदूरी करता था। उसके पिता प्रह्लाद पासवान की बीमारी व छोटे भाई की सड़क हादसे में मौत के बाद परिवार पर आर्थिक संकट खड़ा हो गया। मेहनत मजदूरी से कमाया पैसा पिता के इलाज में कम पड़ने लगा। इस बीच उसके पिता भी गुजर गए। आर्थिक रूप से टूटा अमल के सामने कोई दूसरा रास्ता नहीं था। दिल्ली में वह एक युवक से मिला। उसकी परेशान सुनकर युवक ने उसे पैसा कमाने के लिए साइबर क्राइम का शॉट कॉट रास्ता बताया। इसके लिए उसने लखनऊ के आलोक ठाकुर का नंबर दिया। कहा कि उससे संपर्क करो, तुम कम दिनों में काफी पैसे कमा लोगे। अमल ने आलोक के मोबाइल नंबर पर संपर्क किया। उसके बताए पते पर यूपी के चारबाग स्टेशन के पास गया। एक होटल में दोनों की मुलाकात हुई। इसके बाद आलोक ने राजेपुर काशीपकड़ी निवासी जितेंद्र कुमार का मोबाइल नंबर देकर उससे मिल लेने को कहा। जितेंद्र मुजफ्फरपुर में कार्यालय खोल लोगों का इन्कम टैक्स रिटर्न दाखिल करने की आड़ में साइबर ठगी में संलिप्त था। इसका खुलासा अमल ने साइबर थाना के पुलिस अधिकारियों के समक्ष पूछताछ में किया है। साइबर थाना की पुलिस को आलोक की तलाश है। उसकी गिरफ्तारी के लिए लखनऊ पुलिस से संपर्क किया गया है। साइबर डीएसपी अभिनव पराशर ने बताया कि आलोक की गिरफ्तारी के लिए पुलिस को लखनऊ भेजा जाएगा। पूछताछ के बाद न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है गिरफ्तार जितेंद्र, अमल व ओमप्रकाश को पूछताछ के बाद न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। तीनों साइबर बदमाशों के पास से बरामद पासबुक, चेकबुक की जांच की है। जांच में पाया गया है कि उक्त सभी अकाउंट पर 70 शिकायत दर्ज है। गिरफ्तार उक्त तीनों बदमाश पांच से दस हजार रुपए का लालच देकर गरीब लोगों का बैंकों में खाता खोलवाते थे। फिर उक्त खाता का उपयोग साइबर ठगी में की जाती थी।


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