पाकिस्तान में हिंसा से हर दिन 10 मौतें, 4 प्रांत बुरी तरह अशांत…नई रिपोर्ट में खुलासा
आतंकवाद को पनाह देने वाला पाकिस्तान खुद अपने देश में बढ़ती हिंसा से परेशान है. जहां पाकिस्तान के पीओके में इस समय हिंसा देखी जा रही है. जम्मू कश्मीर जॉइंट अवामी एक्शन कमिटी (JKJAAC) ने अपनी मांगों की लिस्ट पूरी न होने की वजह से हड़ताल बुलाई. देखते ही देखते यह विरोध प्रदर्शन हिंसक होते चले गए. वहीं, Center for Research and Security Studies की रिपोर्ट के अनुसार देश में तीन महीने में 46 प्रतिशत हिंसा बढ़ गई है. रोजाना हिंसा के चलते 10 लोगों की मौत हो रही है.
यह रिपोर्ट 30 सितंबर को सामने आई है जो बताती है कि कैसे 3 महीने में ही पाकिस्तान में हिंसा बढ़ी है. पाकिस्तान में जुलाई से लेकर सितंबर के महीने में हिंसा में 901 लोगों की हिंसा के चलते मौत हुई है. वहीं, पीओके में जारी विरोध प्रदर्शन में ही कम से कम 3 पुलिसकर्मी मारे गए हैं. जियो टीवी के अनुसार, 100 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं.
900 से ज्यादा लोगों की हुई मौत
इस्लामाबाद स्थित थिंक टैंक The Center for Research and Security Studies (CRSS) ने बताया कि पाकिस्तान में तीसरी तिमाही 2025 में उग्रवादी हिंसा में 46 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई. साथ ही इन तीन महीनों में 901 लोग मारे गए. CRSS की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान में दूसरी तिमाही में 616 मौतें हुई थीं, जबकि तीसरी तिमाही में यह संख्या बढ़कर 901 हो गई है.
इस दौरान 329 हिंसक घटनाएं हुईं, जिनमें आतंकवादी हमले और सुरक्षाबलों की जवाबी कार्रवाइयां शामिल थीं. इन घटनाओं में 901 मौतें और 599 घायल हुए, जिनमें नागरिक, सुरक्षा कर्मी और अपराधी शामिल हैं.
सबसे ज्यादा कहां हुई हिंसा?
रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि इस हिंसा से सबसे ज्यादा आशांति चार प्रांत में है. खैबर पख्तूनख्वा, बलूचिस्तान, पंजाब और सिंध. दरअसल,खैबर पख्तूनख्वा में पाकिस्तानी तालिबान (TTP) एक्टिव रहते हैं और सरक्षाबलों पर हमला करते हैं. वहीं, बलूचिस्तान के अलगाववादी समूह जैसे बलोच लिबरेशन आर्मी (BLA) प्रांत की स्वतंत्रता की मांग करते हैं और हमला करते हैं.
देश की कुल हिंसा में 96% से ज्यादा मामलों में खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान शामिल हैं. खैबर पख्तूनख्वा सबसे ज्यादा प्रभावित प्रांत रहा, जहां कुल हिंसा से जुड़ी मौतों का लगभग 71% और हिंसक घटनाओं का 67% हुआ. इसके बाद बलूचिस्तान रहा, जहां 25% से अधिक मौतें और घटनाएं हुईं.
चौंकाने वाले आंकड़े
रिपोर्ट में कहा गया कि 2025 में 2024 के मुकाबले हिंसा तेजी से बढ़ गई है. अब तक इस साल की मौतें 2,414 रिकॉर्ड की जा चुकी हैं. रिपोर्ट ने यह भी बताया कि तीसरी तिमाही में पाकिस्तान ने सुरक्षाबलों के माध्यम से उग्रवादियों के खिलाफ जवाबी कार्रवाई तेज़कर दी, जिससे उन्हें भारी नुकसान हुआ.
देश में लिया गया एक्शन
वहीं, दूसरी तरफ देश ने हिंसा पर लगाम कसने के लिए कदम उठाए. इसी के तहत 516 उग्रवादी मारे गए. इस तिमाही में लगभग 123 आतंकवादी हमलों में नागरिक सबसे ज्यादा निशाना बने, जबकि सुरक्षा बलों पर 106 बार हमला हुआ.
थिंक टैंक ने चेतावनी दी कि अगर पाकिस्तान आतंकवाद विरोधी उपायों को मजबूत नहीं करता, तो बढ़ती हिंसा देश की कमजोर सुरक्षा स्थिति को और बिगाड़ सकती है.
रिपोर्ट में बताया गया कि सुरक्षा अभियानों की संख्या आतंकी हमलों की तुलना में तीन गुना कम रही, लेकिन उनमें उतनी ही मौतें हुईं जितनी नागरिकों और सुरक्षाबलों के खिलाफ आतंकवादियों की हिंसा से हुई थीं.
हालांकि, पाकिस्तान में हिंसा इतनी बढ़ गई है कि जिस दिन CRSS की यह रिपोर्ट शेयर की गई उस दिन बलूचिस्तान की राजधानी क्वैटा में फ्रंटियर कॉर्प्स मुख्यालय पर एक आत्मघाती हमला हुआ. 30 सितंबर को यह हमला हुआ जिसमें कम से कम 10 लोग मारे गए और गोलीबारी में 4 उग्रवादी मारे गए.
POK में हिंसा
पीओके में 29 सितंबर से स्थानीय पब्लिक एक्शन कमेटी ने अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की. दरअसल, बीबीसी उर्दू के मुताबिक पब्लिक एक्शन कमेटी ने 25 सितंबर को सरकार के साथ एक मीटिंग की थी. इस बैठक में कमेटी ने अपनी मांगों को सरकार के सामने रखा था. कमेटी का कहना था कि पीओके की जो स्थानीय सरकार है, उसके पावर में कटौती हो. साथ ही वीआईपी व्यवस्था भी खत्म की जाए. कमेटी ने 38 प्वाइंट हैं जिनकी वो मांग कर रहे हैं. इसी के बाद अब प्रदर्शन दिन-बा- दिन तनावपूर्ण होता जा रहा है.
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