आर्थिक संकट से जूझ रहा पाकिस्तान अपनी राष्ट्रीय एयरलाइंस को बेचने की तैयारी में है। शहबाज सरकार पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (PIA) की 75% हिस्सेदारी बेचेगी। डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक, 23 दिसंबर बोली जमा करने का आखिरी दिन है। डेडलाइन के ठीक 2 दिन पहले सेना से जुड़ी एक खाद कंपनी फौजी फर्टिलाइजर प्राइवेट लिमिटेड (FFPL) ने बोली लगाने से अपना नाम वापस लिया है, जिसके बाद सिर्फ 3 दावेदार रेस में हैं। सरकार को एयरलाइंस बेचने की नौबत क्यों आई? एयरपोर्ट और बंदरगाहों को पहले ही बेच चुकी सरकार पाकिस्तान 1958 से अब तक कुल 20 बार IMF से लोन ले चुका है। उसने IMF के दबाव में आकर कई कठिन फैसले लिए हैं। इसी कड़ी में पाकिस्तान अपने बंदरगाहों और एयरपोर्ट को पहले ही बेच चुका है। पाकिस्तान ने पिछले साल इस्लामाबाद एयरपोर्ट को ठेके पर देने का फैसला किया था। कैसी होगी नीलामी की प्रक्रिया? प्राइवेटाइजेशन कमीशन के चेयरमैन मोहम्मद अली ने बताया कि PIA की नीलामी में ‘क्लोज्ड बिडिंग’ या सीलबंद बोली की प्रक्रिया का इस्तेमाल होगा। 23 दिसंबर की सुबह 10:45 से 11:15 तक तीनों दावेदार अपनी बोली की रकम एक सीलबंद लिफाफे में लिखकर एक ट्रांसपेरेंट बॉक्स में डालेंगे। दावेदारों को पता नहीं होगा कि दूसरे ने कितनी बोली लगाई है। इसके बाद प्राइवेटाइजेशन कमीशन का बोर्ड बैठक करेगा और ‘रेफरेंस प्राइस’ तय करेगा। इसके बाद कैबिनेट कमेटी ऑन प्राइवेटाइजेशन (CCoP) की बैठक होगी, जो इस रेफरेंस प्राइस को मंजूरी देगी। यही कीमत बोली खोलते समय सार्वजनिक की जाएगी। ये प्रक्रिया आईपीएल की नीलामी जैसी लाइव नहीं होगी। लाइव बोली लगाने या दाम बढ़ाने जैसा कुछ नहीं होगा। सिर्फ लिफाफे खोलने की प्रक्रिया ही लाइव दिखाई जाएगी। अगर किसी बोली की रकम सरकार की तय कीमत से ज्यादा हुई, तभी सीमित ओपन ऑक्शन हो सकता है, लेकिन अगर बोलियां रेफरेंस प्राइस से कम रहीं, तो सबसे ज्यादा बोली लगाने वाले को प्राथमिकता दी जाएगी। इस 75 प्रतिशत की बोली राशि में से 92.5% पैसा सीधे PIA को जाएगा, जबकि सिर्फ 7.5% राष्ट्रीय खजाने में जाएगा। PIA को खरीदने की कतार में कौन? PIA को खरीदने की कतार में सिर्फ 3 दावेदार हैं- सेना से जुड़ी कंपनी ने नाम वापस क्यों लिया? 1978 में बनी पाकिस्तान की एक खाद निर्माता कंपनी फौजी फर्टिलाइजर भी इस बिडिंग का हिस्सा थी। यह कंपनी फौजी फाउंडेशन का एक हिस्सा है, जो पाकिस्तान आर्मी से जुड़ा है। इसने 21 दिसंबर को बिडिंग की प्रक्रिया से अपना नाम वापस ले लिया। इसकी 3 वजह बताई जा रही हैं – आधिकारिक कारण: बिडिंग कमेटी से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि फौजी फर्टिलाइजर ने नाम इसलिए वापस लिया, ताकि डील में फ्लेक्सिब्लिटी बनी रहे। यानी कंपनी यदि चाहे, तो उसके पास बिडिंग जीतने वाले गठबंधन से बाद में जुड़ने का मौका है। अगर कंपनी बोली लगाती, तो ये ऑप्शन बंद हो जाता। रणनीतिक कारण: आर्मी चीफ आसिम मुनीर फौजी फर्टिलाइजर के क्वार्टर मास्टर जनरल को नियुक्त करते हैं, जो कंपनी के बोर्ड का हिस्सा होता है। इस हिसाब से सेना का इस फाउंडेशन पर इनडायरेक्ट कंट्रोल रहता है। अगर सेना की दखल वाली कोई कंपनी बिडिंग जीतती है, तो IMF तक गलत मैसेज जा सकता है और ये बिडिंग के नियमों का उल्लंघन हो सकता है। नियम के तहत, PIA को सिर्फ प्राइवेट कंपनी ही खरीद सकती है। बिडिंग हारने का डर: आसिम मुनीर PIA पर कंट्रोल चाहते हैं, लेकिन क्लोज्ड बिडिंग में अन्य दावेदार कितनी बोली लगाएंगे, इसकी जानकारी उन्हें नहीं होगी। ऐसे में अगर फौजी फर्टिलाइजर बोली हार जाए, तो आसिम मुनीर PIA पर कंट्रोल का मौका गंवा देंगे। यही वजह है कि कंपनी ने नाम वापस ले लिया। अब फौजी फर्टिलाइजर के पास जीतने वाली कंपनी से जुड़ने का चांस बचा रहेगा। किसके जीतने के चांस सबसे ज्यादा? पाकिस्तानी मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, लकी सीमेंट का गठबंधन और आरिफ हबीब का गठबंधन बिडिंग जीतने के सबसे मजबूत दावेदार हैं। दोनों ही बड़े बिजनेस ग्रुप हैं और फौजी फर्टिलाइजर को बाद में अपने साथ जोड़ने के लिए तैयार हैं। एयरब्लू के चांस कम लगते हैं, क्योंकि ये अकेली कंपनी है और इसकी फाइनेंशियल स्ट्रेंथ अन्य दावेदारों जितनी नहीं है। ——————– PIA की नीलामी से जुड़ी ये खबर भी पढ़िए… पाकिस्तान अपनी सरकारी एयरलाइंस बेच रहा, क्या उनकी आर्मी ही खरीद लेगी; IMF ने लोन देने के लिए रखी है शर्त पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस यानी PIA की 100% हिस्सेदारी बिक रही है। इस सरकारी एयरलाइंस को खरीदने के लिए 23 दिसंबर को 3 कंपनियां बोली लगाएंगी। पाकिस्तानी आर्मी भी इसका कंट्रोल पाने की फिराक में है। PIA बिकने के बाद ही IMF पाकिस्तान को लोन की अगली किस्त जारी करेगा। पढ़ें पूरी खबर…
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