प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को पश्चिम बंगाल के नदिया ज़िले के दौरे पर यहाँ पहुँचे, जहाँ उन्हें नेशनल हाईवे प्रोजेक्ट्स का उद्घाटन करना है और एक जनसभा को संबोधित करना है। यह दौरा राज्य में चल रहे SIR अभ्यास को लेकर बढ़े राजनीतिक तनाव के बीच हो रहा है। SIR ड्राफ्ट लिस्ट जारी होने के बाद मोदी का यह राज्य का पहला दौरा है, और पिछले पाँच महीनों में यह तीसरा दौरा है। एक अधिकारी ने बताया, “प्रधानमंत्री सुबह 10:33 बजे एन एस सी बोस इंटरनेशनल एयरपोर्ट पहुँचे और नदिया के लिए हेलीकॉप्टर में सवार हुए।”
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एक अधिकारी ने बताया, ‘‘प्रधानमंत्री सुबह 10 बजकर 33 मिनट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर पहुंचे और नदिया के लिए हेलीकॉप्टर से रवाना हुए।’’
मसौदा सूचियों के प्रकाशन के बाद मतुआ समुदाय के सदस्यों में बढ़ती चिंताओं को दूर करने के लिए प्रधानमंत्री रानाघाट के ताहेरपुर इलाके में रणनीतिक रूप से अहम स्थल से जनसभा को संबोधित करेंगे। यह रैली स्थल पास के बनगांव में नामशूद्र हिंदू समुदाय के गढ़ से कुछ ही दूरी पर है।
ऐसी संभावनाएं हैं कि इस दौरान मोदी राज्य में अगले साल की शुरुआत में प्रस्तावित विधानसभा चुनावों के लिए भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के चुनावी अभियान की शुरुआत कर सकते हैं और इन अहम चुनावों के लिए पार्टी की बड़े स्तर की रणनीति की रूपरेखा भी तय कर सकते हैं।
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प्रधानमंत्री ने शुक्रवार शाम को अपने दौरे की जानकारी देते हुए ‘एक्स’ पर पोस्ट कर कहा, ‘‘पश्चिम बंगाल के लोग केंद्र सरकार की जनहितैषी पहलों से लाभान्वित हो रहे हैं। वहीं, हर क्षेत्र में तृणमूल कांग्रेस के कुप्रबंधन के कारण उन्हें परेशानियों का सामना भी करना पड़ रहा है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘तृणमूल की लूट और डराने-धमकाने की राजनीति ने सारी हदें पार कर दी हैं। यही वजह है कि भाजपा आज जनता की उम्मीद बनी हुई है।’’
उनका यह दौरा ऐसे समय हो रहा है जब ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस एसआईआर का लगातार विरोध कर रही है।
तृणमूल कांग्रेस का आरोप है कि इससे बड़ी संख्या में पात्र मतदाता, विशेषकर शरणार्थी हिंदू, मताधिकार से वंचित हो सकते हैं।
गणना चरण के बाद जारी की गई मतदाताओं की मसौदा सूची में 58,20,899 नाम हटा दिए गए हैं। इसके बाद राज्य में कुल मतदाताओं की संख्या घटकर 7.08 करोड़ रह गई है।
करीब 1.36 करोड़ प्रविष्टियों में ‘‘तार्किक विसंगतियां’’ पाई गई हैं।
इसके अलावा, 30 लाख मतदाताओं का कुछ पता नहीं लगाया जा सका है, ऐसे में इन्हें ‘अज्ञात’ की श्रेणी में रखा गया है। इनमें से बड़ी संख्या में लोगों को अगले 45 दिन के भीतर सत्यापन सुनवाई के लिए बुलाए जाने की संभावना है।
धार्मिक उत्पीड़न के कारण दशकों से बांग्लादेश से पलायन करने वाला दलित हिंदू समुदाय मतुआ के लिए इस प्रक्रिया ने पहचान और दस्तावेजों को लेकर उनकी पुरानी चिंताओं को फिर से खड़ा कर दिया है।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि राज्य की 294 विधानसभा सीट में से करीब 80 सीट पर इस समुदाय के सदस्यों का खासा प्रभाव है।
ऐसी अटकलें हैं कि बड़ी संख्या में मतुआ समुदाय के लोगों के नाम पहले ही मसौदा मतदाता सूची से बाहर कर दिए गए हैं।
इसके अलावा, सत्यापन चरण के दौरान सुनवाई नोटिस मिलने की स्थिति में निर्वाचन आयोग द्वारा तय किए गए निर्दिष्ट सांकेतिक दस्तावेज उपलब्ध न होने के कारण, अंतिम मतदाता सूची में और भी कई नाम हटाए जाने की आशंका जताई जा रही है।
पिछले कुछ वर्षों में आए चुनाव नतीजों से संकेत मिलता है कि भाजपा ने इस समुदाय के भीतर काफी पैठ बना ली है और उन्हें औपचारिक भारतीय नागरिकता देने का वादा किया है।
रानाघाट लोकसभा सीट का प्रतिनिधित्व करने वाले भाजपा सांसद जगन्नाथ सरकार ने दावा किया कि एसआईआर को लेकर मतुआ समुदाय में जानबूझकर डर फैलाया जा रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘हमें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री के संदेश से ऐसी आशंकाएं और अफवाहें दूर हो जाएंगी।’’
मुख्यमंत्री बनर्जी पहले ही नदिया और उत्तर 24 परगना में एसआईआर विरोधी रैली कर चुकी हैं। ये दोनों जिले बांग्लादेश से सटे हैं और यहां मतुआ समुदाय की अच्छी खासी आबादी है।
प्रधानमंत्री नदिया जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग-34 के बाराजागुली-कृष्णनगर मार्ग पर 66.7 किलोमीटर लंबे 4-लेन का उद्घाटन करेंगे।
मोदी उत्तर 24 परगना जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग-34 के बारासात-बाराजागुली मार्ग पर 17.6 किलोमीटर लंबे 4-लेन की आधारशिला भी रखेंगे।
अधिकारियों ने बताया कि ये परियोजनाएं कोलकाता और सिलीगुड़ी के बीच महत्वपूर्ण संपर्क मार्ग के रूप में काम करेंगी। इन परियोजनाओं से क्षेत्र में आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा और पूरे क्षेत्र में पर्यटन को प्रोत्साहन मिलेगा।
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