बिहार विधानसभा चुनाव से पहले जिस IIP पार्टी ने अचानक ताकत दिखाकर महागठबंधन में जगह बनाई, अब वही पार्टी सहरसा की एक सीट जीतकर चर्चा में है। आईआईपी इस चुनाव में 3 सीटों पर लड़ी थी, जिसमें से 1 सीट पर जीत मिली। वहीं, दूसरी ओर मुकेश सहनी की वीआईपी पार्टी 15 सीटों पर लड़कर भी एक सीट नहीं जीत पाई, जबकि उन्हें डिप्टी सीएम फेस तक घोषित किया गया था। आईआईपी पार्टी के सुप्रीमो आईपी गुप्ता हैं। पार्टी का निशान है करनी छाप। अति पिछड़ा वर्ग पार्टी का कोर वोट बैंक है। भास्कर ने आईपी गुप्ता से पार्टी की दिशा और उनकी रणनीति को लेकर खास बातचीत की। महागठबंधन की हार, फ्रेंडली फाइट और परिवारवाद को लेकर उनकी क्या राय है? जानिए इस बातचीत में…। सवाल- आपके बारे में लोग सोचते हैं कि इतने कम समय में आप महागठबंधन का हिस्सा कैसे बन गए? इसका क्या राज है? जवाब- इसके लिए आपको हमारा पूरा इतिहास देखना चाहिए। एक साल हमारा आंदोलन चला। उसी आंदोलन का प्रतिफल था कि 13 अप्रैल को पटना के गांधी मैदान में महारैली की। गांधी मैदान में ही पार्टी बनाने का मैंने ऐलान किया था। 5 अक्टूबर को मेरी पार्टी का रजिस्ट्रेशन हुआ और 10 अक्टूबर को हमें सिंबल मिला। 16 को महागठबंधन का हिस्सा बनता हूं और 17 को बिहार विधानसभा में नामांकन भरने सहरसा गया। सवाल- चुनाव में महागठबंधन की बड़ी हार हुई। इसकी बड़ी वजह आप क्या मानते हैं? जवाब- मुझे लगता है कि इसकी समीक्षा होनी चाहिए। एक दिन की समीक्षा से काम नहीं चलेगा, बल्कि 7 दिनों तक कलस्टर वाइज उम्मीदवारों की बैठक होनी चाहिए। विशेषज्ञों की राय ली जानी चाहिए। सवाल- फिर भी आप तो सोते-जागते, उठते-बैठते कुछ सोच रहे होंगे कि इतनी करारी हार महागठबंधन की क्यों हुई? जवाब- 10 हजार रुपए महिलाओं को देने को लोग बड़ा कारण मान रहे हैं। हमारे तीनों उम्मीदवार को दो लाख वोट मिले हैं। एक लाख तो महिलाओं का वोट मिला। तेजस्वी यादव को एक करोड़ 85 लाख वोट मिले। महिलाओं का एक करोड़ वोट उन्हें मिला। इसलिए यह उतना बड़ा फैक्टर नहीं बना। दुनिया जानती है कि इलेक्शन के दौरान कोड ऑफ कंडक्ट को ताक पर रखकर महिलाओं को 10 हजार रुपए दिए गए। फिर भी एक कारण यह रहा। सवाल- कांग्रेस ने तेजस्वी यादव को सीएम फेस घोषित करने में देर क्यों की? जवाब- मुझे नहीं लगता कि उससे कोई घाटा हुआ। उधर कहां सीएम फेस था। हमारे यहां तो बिल्कुल स्पष्ट था कि तेजस्वी यादव सीएम फेस बनेंगे। ये कोई वजह नहीं रही। पॉलिटिक्स एक सामान्य प्रक्रिया है, चाहे वह कांग्रेस और आरजेडी के बीच की ही बात क्यों न हो। NDA में नहीं हो रहा क्या साथी पार्टियों के बीच पॉलिटिक्स? ये बड़ी चीज नहीं है। हमें बैठकर देखना होगा। सवाल- कांग्रेस कहीं से दोषी नहीं है? जवाब- हार की जवाबदेही हम सब को लेनी चाहिए। चाहे वह आईपी गुप्ता ही क्यों न हो। सवाल- सीट बंटवारे में भी काफी गड़बड़ी हुई, फ्रेंडली फाइट कई सीटों पर दिखा। जवाब- परसेप्शन लेवल पर वोटर के बीच फ्रेंडली फाइट ने द्वंद की स्थिति ला दी। इसमें कोई दो राय नहीं। फ्रेंडली फाइट नहीं होती तो और सात-आठ सीट हमलोग जीत ही सकते थे। यह भी एक बड़ा फैक्टर रहा। सवाल- किसकी जवाबदेही थी कि महागठबंधन के अंदर फ्रेंडली फाइट को दूर करने की? जवाब- पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं से बनती है। कुछ नेता और कार्यकर्ता वर्षों से तैयारी कर रहे होते हैं। ऐसे कार्यकर्ताओं को नकार पाना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में इसका नफा-नुकसान उठाना पड़ता है। इसलिए मजबूरी में यह डिसीजन लेना पड़ा। सवाल- चर्चा है कि आप जेडीयू में जा सकते हैं या जेडीयू आपको बुला सकती है? जवाब- राजनीतिक गलियारे में बहुत सारी चर्चा है। यह चर्चा भी सामान्य है। हर चुनाव के समय जब सरकार बनती है, तब यह दिखता है। सवाल- छोटी पार्टियों के बारे में टूट की चर्चा ज्यादा होती है। आपकी पार्टी भी छोटी है? जवाब- कांग्रेस तो बड़ी पार्टी है, उसके टूटने की चर्चा है। जेडीयू के बारे में चर्चा है कि वह टूट सकती है। जो आदमी अपने दम पर राजनीति में आया और गांधी मैदान भर दिया, हमारी पार्टी को तोड़ना मुश्किल है। हम आंदोलन से निकल हैं, कोई हमें तोड़ने की सोच भी कैसे सकता है। बहुत मुश्किल है। किसी की सोच के बाहर की चीज है आईपी गुप्ता। सवाल- नई सरकार से आपको क्या उम्मीद है, आप क्या चाहते हैं? जवाब- उन लोगों ने महिलाओं को 2-2 लाख देने का वादा किया है, वह दें। सम्राट चौधरी जैसा नौजवान गृह मंत्री बना है तो पुलिस प्रशासन में जो शिथिलता है, वह दुरुस्त होगी। नई सोच के नेता हैं सम्राट चौधरी। सवाल- तांती-ततवा को SC का आरक्षण देने की मांग मांग रही है, अगर वह मांग सरकार मानती है, तो क्या करेंगे? जवाब- सरकार आरक्षण की हमारी मांग मानेगी तो हम निश्चित तौर पर सोचेंगे। सवाल- जाति के नाम पर लोग राजनीति करते हैं। फिर नेता बनते हैं और आगे बच्चों को ले आते हैं? जवाब- इसमें बुराई क्या है। सवाल- आप भी राजनीति में अपने परिवार को लाएंगे? जवाब- रामविलास पासवान लगातार अपने परिवार को राजनीति में लाते रहे, पर जनता क्यों वोट देती थी। सवाल- आप परिजनों को टिकट क्यों देते हैं, रामविलास पासवान से भी यह सवाल हम पूछते थे, आज आपसे भी पूछ रहे हैं? जवाब- यह चर्चा ही बेईमानी है। हम पिता हैं और राजनीति करते हैं तो क्यों नहीं चाहेंगे अपने बेटे को राजनीति में स्थापित करना। सवाल- कार्यकर्ताओं का भी तो हिस्सा बनता है? जवाब- कार्यकर्ता, नेता को नकारे ना। कार्यकर्ता रिजाइन करे एक लाइन से, तब ना बात समझ में आए। धरना-प्रदर्शन करे। कार्यकर्ता को कोई चिंता ही नहीं है। कार्यकर्ता तो मिठाई बांट रहे हैं, माला पहना रहे हैं। कुशवाहा जी पिता हैं कि नहीं। वे क्यों नहीं अपने बेटा को सेट करेंगे। सवाल- आप भी यही करेंगे? जवाब- मैंने तो कार्यकर्ता को टिकट दिया, लेकिन मैं तो दोष दे रहा हूं कार्यकर्ताओं को, वोटर को। जनता के पास वोट की ताकत है। वह नकारना शुरू करे तो हम भी मनमानी करना बंद करेंगे।
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